सीतामढ़ी : करीब 38 लाख की आबादी वाले जिले को अब तक एक जिला अस्पताल तक नसीब नहीं हो सका है. एक सदर अस्पताल है, लेकिन इसकी बीमारू व्यवस्था के चलते प्रतिवर्ष जिले के दर्जनों लोगों को जानें गंवानी पड़ती है.
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सदर अस्पताल की रात्रि सेवा बदहाल
सीतामढ़ी : करीब 38 लाख की आबादी वाले जिले को अब तक एक जिला अस्पताल तक नसीब नहीं हो सका है. एक सदर अस्पताल है, लेकिन इसकी बीमारू व्यवस्था के चलते प्रतिवर्ष जिले के दर्जनों लोगों को जानें गंवानी पड़ती है. दरअसल, सदर अस्पताल में व्याप्त कुव्यस्थाओं के चलते गंभीर रूप से बीमार या जख्मी […]
दरअसल, सदर अस्पताल में व्याप्त कुव्यस्थाओं के चलते गंभीर रूप से बीमार या जख्मी व्यक्ति को एसकेएमसीएच व पीएमसीएच समेत अन्य अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया जाता है, जहां पहुंचने से पूर्व ही मरीज दम तोड़ देता है. रात्रि सेवा का तो और भी बुरा हाल है. अस्पताल में आवश्यक दवाओं का अभाव रहता है और बाहर के निजी दवा दुकानें बंद रहती है. ऐसे में मरीजों को बिचौलिये के चक्कर में फंसकर निजी चिकित्सकों द्वारा आर्थिक दोहन का शिकार होना पड़ता है. चिकित्सकों का तर्क है कि सुविधाओं के अभाव में गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अस्पताल में रखना खतरे से खाली नहीं होता है, इसलिए अधिकांश मरीजों को रेफर ही कर देना पड़ता है.
नदारद थे सुरक्षा गार्ड : अस्पताल की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से लाखों रुपये खर्च किया जाता है, लेकिन सदर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है. मुख्य द्वार, इमरजेंसी वार्ड व लेबर वार्ड समेत कई जगहों पर सुरक्षा गार्ड नहीं थे. स्वास्थ्य कर्मियों से मिली जानकारी के अनुसार इन सभी जगहों पर सुरक्षा गार्डों की तैनाती की गयी है, लेकिन कहीं भी सुरक्षा गार्ड दिखाई नहीं देता है.
फर्श पर सोये मिले परिजन: विभागीय निर्देश के बावजूद सदर अस्पताल में मरीजों के साथ आने वाले परिजन के ठहरने की सुविधा नहीं दी गयी है, जिसके चलते परिजनों को लेबर वार्ड के आगे खाली जगहों पर यत्र-तत्र फर्श पर सोना पड़ता है. रविवार की रात को भी ऐसा ही देखने को मिला. अस्पताल में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरा तो लगाया गया है, लेकिन उसमें से एक-दो को छोड़ अधिकांश सीसीटीवी कैमरा बंद है. अस्पताल में इलाज के लिए आये मरीज गंगाधर मिश्र, शंभूकांत मिश्र,
राजाराम राय व मुकेश कुमार ठाकुर ने बताया कि रात को स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मरीजों व परिजनों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है. अधिकांश दवा बाहर से लाना पड़ता है. चिकित्सक के मौजूद रहने के बाद भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है. अस्पताल में रात्रि सेवा को बेहतर किये जाने की आवश्यकता है.
सुविधाओं के अभाव में करना पड़ता है रेफर
रविवार की रात प्रभात खबर ने सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था का जायजा लिया. इमरजेंसी वार्ड में चिकित्सक मौजूद नहीं थे. कई स्वास्थ्य कर्मी सो रहे थे तो कई जग रहे थे. ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ राजेश कुमार डॉक्टर रूम में थे. उन्होंने बताया कि रात को जिले के विभिन्न हिस्सों से मरीज आते हैं, लेकिन पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी समेत कई तरह की जांच की जरूरत होती है. रात को यह सुविधा नहीं रहता है, जिसके चलते अधिकांश मरीजों को रेफर ही कर देना पड़ता है. यहां बता दें कि शहर की सभी जांच घर व दवा दुकानें रात को बंद रहती है.
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