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बैंककर्मियों को राहत, दुकानदार व किसान परेशान

नोटबंदी का असर. शहर की कई एटीएम बंद, कई में िदखी भीड़, 500 की नयी करेंसी आने के बाद दूर हों गी िदक्कतें सीतामढ़ी : नोटबंदी के 10 दिन बाद पहली बार रविवार को बैंक कर्मियों को थोड़ी राहत मिली. बैंक ऑफ बड़ौदा बाजार शाखा प्रबंधक गुंजेश कुमार सिंह ने बताया कि पिछले 10 दिनों […]

नोटबंदी का असर. शहर की कई एटीएम बंद, कई में िदखी भीड़, 500 की नयी करेंसी आने के बाद दूर हों गी िदक्कतें

सीतामढ़ी : नोटबंदी के 10 दिन बाद पहली बार रविवार को बैंक कर्मियों को थोड़ी राहत मिली. बैंक ऑफ बड़ौदा बाजार शाखा प्रबंधक गुंजेश कुमार सिंह ने बताया कि पिछले 10 दिनों से काफी परेशानियों का सामना करने के बाद रविवार को बैंकर्स को थोड़ा रि-चार्ज होने का मौका मिला है. हालांकि कई बैंक कर्मी अगले दिन की तैयारी के लिए रविवार को भी काम में जुटे थे. वहीं, एसबीआइ बाजार शाखा प्रबंधक अजित कुमार झा ने बताया कि रविवार को बैंक बंद रहने से कई फंसे हुए कामों को निबटाने के लिए कर्मियों को काम पर लगाया गया है. शादी-विवाह का सीजन है. आराम के बजाय बैंक के कुछ जरूरी कामों से वे सुबह ही पटना आ गये हैं.
नोटबंदी के 10 दिन बाद आम जनजीवन अब धीरे-धीरे पटरी पर लौटता दिखाई दे रहा है. बैंकों में कतार लगाना अब बंद हो गया है. लेकिन शहर से गांव तक आम जनजीवन अब भी प्रभावित है. किसान, मजदूर, व्यवसायी व सरकारी कर्मियों की परेशानी अब भी खत्म नहीं हुई है. इसका मुख्य कारण बाजार में खुदरा की कमी व पुराने नोटों का न चलना बताया जा रहा है. क्योंकि पुराना नोट कोई ले नहीं रहा है और खुदरा रुपये बाजार में दिख नहीं रहा है. किसान खाद-बीज के लिए परेशान है, तो आम लोग दैनिक खर्च पूरा करने के लिए परेशान है. सरकारी कर्मियों को भी कैश की कमी के कारण भुगतान नहीं मिल पा रहा है. रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण आम तौर पर शहर के
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर खरीदारी को काफी भीड़ उमड़ती रही है, लेकिन इस रविवार को नोट बंदी का असर उन व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर साफ देखने को मिला. शहर में चहल-पहल तो दिखी, लेकिन काफी कम.
हालांकि, रविवार को भी एसबीआइ व आइसीआइसीआइ बैंक समेत अन्य बैंकों से लोगों को निकासी करने का अवसर मिला. जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कुछ अन्य बैंक के एटीएम बंद रहा. रविवार होने के चलते लोगों को पता था कि एटीएम में भी रुपये नहीं डाले जायेंगे, इसलिए कोई खास अफरातफरी देखने को नहीं मिला.
छोटे से बड़े व्यवसायियों तक का मानना है कि जब तक बाजार में पांच सौ का नया नोट बड़ी मात्रा में नहीं आ जाता है, तब तक परेशानी बनी रहेगी. दैनिक वस्तुओं की खरीदारी करने के लिए लोगों के पास पैसे नहीं है. पुराना नोट के साथ ही दो हजार का नया नोट भी कोई लेने को तैयार नहीं है, क्योंकि दो हजार रुपये का खुदरा दे पाना दुकानदारों के लिए संभव नहीं रह गया है. छोटे व्यवसायियों का मानना है कि थोक विक्रेता द्वारा पुराना नोट नहीं लिया जा रहा है. ऐसे में वह पुराना नोट लेकर किसको देगा.
हालांकि कई व्यवसायी अब भी पुराने 500 व 1 हजार के नोट ले रहे हैं. शहर स्थित कृष्णा स्वीट्स संचालक संजीव कुमार ने बताया कि उनके दुकान की बिक्री पर मामूली असर हुआ है. इसका वजह यह है कि वे पुराने 500 व एक हजार के नोट ले रहे हैं. उस पैसे को वे अपने बैंक एकाउंट में डाल देते हैं. यदि किसी को भुगतान करना है तो वे चेक से भुगतान कर रहे हैं. ठेला पर फेरी लगाकर सब्जी बेचने वाला राम विदेही कुमार, सेव बेचकर जीवन यापन करने वाला किशन कुमार व भूंजा
बेचकर पेट पालने वाला रवि कुमार समेत अन्य कई फूटपाथी विक्रेताओं का कहना था कि नोट बंदी के बाद बिक्री आधे से भी कम हो गया है. सब्जी व फल की बिक्री कम हो जाने के कारण सब्जियों के दाम तो घटे हैं, लेकिन बिक्री काफी प्रभावित हो गया है. शहर के मेहसौल चौक स्थित खाद-बीज दुकानदार सुनील कुमार का कहना था कि खाद-बीज की बिक्री में भारी गिरावट आ गयी है.
किसानों का दुकान पर आना लगभग बंद सा हो गया है. अभी मक्का व गेहूं की बुआई के अलावा सब्जी की खेती का सीजन है, बावजूद किसान खरीदारी को नहीं आ रहे हैं. किराणा दुकानदार संतोष कुमार का कहना था कि बिक्री आधे से भी कम हो गया है. ग्राहक के पास न तो नया करेंसी है और न खुदरा रुपया. पुराना 500 व 1 हजार या दो हजार का नया नोट लेकर ग्राहक आ रहे हैं. उन्हें खुदरा दे पाना कैसे संभव है?
आधे मूल्य पर बिक रहा हजार-पांच सौ का नोट : रीगा . पांच सौ-एक हजार के नोट बंदी के निर्णय के बाद प्रखंड क्षेत्र स्थित बैंक में लगने वाली लंबी कतार अब कम होने लगी है. धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होती जा रही है. अब बैंकों खाता में पुराने नोट जमा करने पर नये नोट मिलना शुरू हो गया है. हालांकि परेशानी उनलोगों को अधिक हो रही है, जिनका खाता बैंक में नहीं है. शनिवार को बैंकों में खाता के माध्यम से रुपये का आदान-प्रदान आसानी से संभव हो सका. वहीं, प्रखंड क्षेत्र में नेपाल में जमा भारतीय करेंसी से काली कमाई करने वालों की चांदी कट रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराब बंदी के निर्णय के बाद शराब के कारोबारी नेपाल से बड़ी मात्रा में शराब लाकर बेचना शुरू किया. इन कारणों से भी नेपाल में जमा भारतीय नोट अब चोरी- छिपे भारत लाकर आधे मूल्य पर बेची जा रही है. भाजपा नेता रमेश प्रसाद सिंह व मंडल अध्यक्ष संजीव चौधरी ने प्रशासन को इस पर नजर रखने एवं अवैध कारोबारी पर कानूनी कार्रवाई करने के साथ ही सीमा पर विशेष चौकसी बरतने की जरूरत बतायी है.
व्यवसाय में 50 फीसदी की गिरावट
एमडीएम संचालन करना हुआ मुश्किल
शिक्षक मिथिलेश सहनी का कहना था कि उनके स्कूल का खाता स्थानीय ग्रामीण बैंक में है. बैंक में कैश की कमी के कारण तीन दिन प्रयास करने के बाद भी कैश नहीं मिल पाया, जिसके चलते एमडीएम संचालित करने में परेशानी हो रही है. निगरानी विभाग के रिटायर सब इंस्पेक्टर राम कुमार झा का कहना था कि बैंक में पेंशन की राशि आ गयी है, लेकिन बैंक में लग रही लंबी-लंबी कतार देख कर वापस हो जा रहे हैं. दैनिक खर्च के लिए भी परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि तकलीफ मंजूर है, लेकिन वे सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के साथ हैं.
किसानों को खरीदारी के साथ ही मिले सब्सिडी
किसान लक्ष्मी साह ने बताया कि सरकार को गेहूं व मक्का बोआई के बाद नोट बंद करना चाहिए. पैसा के अभाव में खाद-बीज खरीद पाना मुश्किल हो गया है. स्थानी ग्रामीण बैंक में उनका एकाउंट है और उक्त बैंक में कैश नहीं है. खाद-बीज खरीदने के लिए पहले रुपया जमा करना पड़ता है. सरकार यदि सब्सिडी की राशि खाद-बीज खरीदारी के समय ही दे दे, तो किसानों की परेशानी कम हो सकती है. स्टेशनरी दुकानदार अजय कुमार, मजदूर उगन राउत, कालीकांत झा, संजीत राउत व बलिराम झा का कहना है कि नोट बंदी से पहले सरकार को पूर्व तैयारी करनी चाहिए थी, ताकि किसानों व मजदूरों को परेशानी न हो. बताया कि बैंक का संचालन जैसे-जैसे ठीक होता जाएगा, लोगों की परेशानी दूर होती जाएगी.
बंदी के कगार पर दुकानें
ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें, तो यहां की हालात भी ठीक नहीं है. गेहूं व मक्का की बुआई का सीजन है. पैसे के अभाव में किसानों को खाद व बीज नहीं मिल पा रहा है. खड़का गांव के लोगों का मानना है कि बैंक की रवैये के कारण लोगों के सामने परेशानी बनी हुई है. विशाल इंटरप्राइजेज का संचालक कमलेश कुमार, सहेली जनरल स्टोर संचालक अरुण कुमार झा समेत अन्य का कहना था कि पुराने नोटों को उन लोगों ने बैंक में डिपोजिट कर दिया. थोक विक्रेता द्वारा बैंक के माध्यम से पेमेंट भेजने का निर्देश दिया गया है. पहचान के ग्राहकों को उधार भी देना पड़ रहा है. दुकानदारों का कहना था कि आलम यह है कि थोक विक्रेता द्वारा उधार देना भी बंद कर दिया गया है.

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