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आरोिपत सरोज की िरहाई की संभावना बढ़ी

आरोपित सरोज की िरहाई की संभावना बढ़ी यतींद्र हत्याकांड. गवाहों का विश्वास जितने में सफल नहीं हो पा रही पुलिस, डर से कतरा रहे सभी सीतामढ़ी : दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष यतींद्र खेतान की हत्या के मामले में आरोपित आदतन अपराधी सरोज राय को जमानत मिल चुकी है. गवाहों की सुस्ती के कारण अब […]

आरोपित सरोज की िरहाई की संभावना बढ़ी

यतींद्र हत्याकांड. गवाहों का विश्वास जितने में सफल नहीं हो पा रही पुलिस, डर से कतरा रहे सभी
सीतामढ़ी : दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष यतींद्र खेतान की हत्या के मामले में आरोपित आदतन अपराधी सरोज राय को जमानत मिल चुकी है. गवाहों की सुस्ती के कारण अब खेतान हत्याकांड में सरोज के रिहा होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है. अब तक का रिकार्ड देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रायल के दौरान संतोषजनक गवाही नहीं मिलने पर सरोज को यतींद्र हत्याकांड से रिहा कर दिया जा सकता है.
गवाही की सुरक्षा योजना का अभाव: बताया जाता है कि गवाही की सुरक्षा योजना का अभाव रहने के कारण भी लोग गवाही देने से कतराते है. अधिकांश लोग अपराधियों द्वारा हत्या कर दिये जाने के खौफ से खौफजदा रहते है.
ऐसे में अपराधियों को इसका लाभ मिलता है. अपराधियों को इस तरह का लाभ मिलने के लिए सिर्फ गवाह को दोषी नहीं माना जा सकता है. इसके लिए पुलिस विभाग को सीधे तौर पर क्लीन चिट नहीं दिया जा सकता है. कारण है कि गवाहों के जान-माल की रक्षा का विश्वास दिलाना पुलिस की जवाबदेही बनती है. अगर वह विश्वास दिलाने में नाकाम साबित होती है, तभी इस तरह के मामले में गवाहों को गवाही देने में भय लगता है. इन्हीं सब कारणों से जिले के दो शातिर अपराधियों को कई मामलों में रिहाई मिल चुकी है.
क्या कहते हैं अनुसंधानकर्ता
अनुसंधानकर्ता रह चुके नगर थानाध्यक्ष विशाल आनंद बताते हैं कि आरोप पत्र गठित किया जा चुका है. न्यायालय में जब-जब गवाही की तारीख तय हुई है, उसकी सूचना गवाहों को समय-समय पर दी गयी है.
गवाही से होनेवाला लाभ
न्यायिक प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले बताते है कि किसी भी मामले में गवाहों को भयमुक्त होकर गवाही देने चाहिए. कारण है कि गवाही देने के बाद अभियुक्तों का जेल जाना तय हो जाता है. चर्चित राजनेता शहाबुद्दीन व सुरजभान सिंह इसका स्पष्ट उदाहरण है. गवाही देने पर गवाह के अलावा उनके गवाही से समाज भी भयमुक्त हो जाता है.
केस की स्थिति
हाईप्रोफाइल मर्डर, राजनीतिक सरगरमी व जनाक्रोश के बाद यतींद्र हत्याकांड की स्थिति यही है कि अब तक मात्र रीतेश कुमार नामक स्टॉफ न्यायालय में गवाही के लिए हाजिर हुआ, लेकिन वह भी सरोज के खिलाफ गवाही न देकर, घटना से अनभिज्ञता जतायी. रीतेश ने न्यायालय में बताया कि उस दिन वह अवकाश पर था. सूचना मिलने पर वह अस्पताल पहुंचा, तो यतींद्र खेतान को मृत अवस्था में देखा. दुर्भाग्य की बात यह भी है कि अभी
तक गवाही के लिए घटना का एक मात्र चश्मदीद गवाह जयनारायण महतो भी उपस्थित नहीं हुए है. स्व यतींद्र के परिवार वालों द्वारा भी किसी तरह की गवाही अब तक न्यायालय में नहीं दी गयी है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यतींद्र हत्याकांड में सरोज राय समेत अन्य आरोपितों के पक्ष या विपक्ष में फैसला होगा.
क्या है मामला
यतींद्र खेतान की हत्या गत 31 दिसंबर 2014 को शहर स्थित प्रेस क्लब के समीप मोटरसाइकिल पर सवार अपराधियों ने गोली मार कर दी थी. हत्या के बाद स्व खेतान के साथ घटना के वक्त मोटरसाइकिल पर मौजूद जयनारायण महतो नामक स्टॉफ के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. घटना के बाद मीडिया को फोन कर सरोज राय ने हत्या की जिम्मेदारी ली थी.
इधर सभी वर्ग के लोगों के दिल में अपने लिए सम्मान रखने वाले यतींद्र की मौत के बाद जनाक्रोश फैल गया था. दो दिन तक शहर बंद रहा. एसपी नवल किशोर सिंह का तबादला भी कर दिया गया.
हाइकोर्ट से जमानत
यतींद्र हत्याकांड में रवि पटेल भी आरोपित था. रवि ने गिरफ्तार होने के बाद सरोज के नाम का खुलासा किया था. रवि को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है.
रवि के आधार पर ही सरोज को भी जमानत दी गयी है.

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