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जीर्णोद्धार की खानापूर्ति, एक भी योजना चालू नहीं

जीर्णोद्धार की खानापूर्ति, एक भी योजना चालू नहीं फोटो- 19 नलकूप भवन रीगा : प्रखंड क्षेत्र में बागमती नदी की पुरानी धार में वर्षों पूर्व उद्भव सिंचाई योजना के तहत खेतों के पटवन के लिए बोरिंग लगायी गयी थी. इस पर लाखों रुपये खर्च हुए थे. स्थिति यह है कि एक भी बोरिंग चालू हालत […]

जीर्णोद्धार की खानापूर्ति, एक भी योजना चालू नहीं फोटो- 19 नलकूप भवन रीगा : प्रखंड क्षेत्र में बागमती नदी की पुरानी धार में वर्षों पूर्व उद्भव सिंचाई योजना के तहत खेतों के पटवन के लिए बोरिंग लगायी गयी थी. इस पर लाखों रुपये खर्च हुए थे. स्थिति यह है कि एक भी बोरिंग चालू हालत में नहीं है. इस ओर न तो सरकार का ध्यान है और न हीं विभाग का. किसानों के हित में काम करने की सरकार की बात कागजी खानापूर्ति साबित हो रही है. — सिंचाई योजना का माजरा वर्ष 1982 में बागमती नदी के पुरानी धार में दर्जन भर स्थानों पर बोरिंग लगायी गयी थी. इससे किसानों को दो-तीन वर्ष पटवन का लाभ मिला था. बाद में सब का सब ठप पड़ गया. उस दौरान बिजली से पटवन की जाती थी. खेतों तक अंडर ग्राउंड पाइप लगाया गया था. वर्ष 85 के बाद उचित देखरेख के अभाव में बोरिंग ठप पड़ गया तो भवन क्षतिग्रस्त हो गया. पटवन के लिए बनाये गये नाला का अता-पता नहीं है. — सरकार से निराशा हाथ नीतीश सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल में किसानों को उम्मीद थी कि ठप पड़े सिंचाई योजनाओं को चालू कराया जायेगा और सिचाई की सुविधा मिलने लगेगी, लेकिन किसानों को निराशा हाथ लगी. नजरपुर, उफरौलिया, रामपुर उत्तरी, रामपुर दक्षिणी, बेल, सहवाजपुर, दोहरा, धनुषी, पकड़ी, रेवासी व भगवानपुर के किसान सरकार से काफी उम्मीदें लगाये हुए थे. — जीर्णोद्धार के नाम पर खानापूर्ति बताया गया है कि सीएम नीतीश कुमार के कार्यकाल में बंद पड़े सिंचाई योजनाओं को चालू कराने के लिए 4.5 करोड़ का आवंटन मिला हुआ था. जीर्णोद्धार के नाम पर खानापूर्ति कर सरकारी राशि का बंदरबांट कर लिये जाने की बात कही जा रही है. जानकारों का कहना है कि कागज पर रामपुर गंगौली उत्तरी व दक्षिणी की सिंचाई योजनाओं को चालू बता दिया गया है. कुछ किसानों के नाम पर पटवन की राशि की निकासी कर लेने की भी चर्चा है. रामपुर गंगौली के कौशल किशोर सिंह, राम उपनेद प्रसाद गुप्ता व मनोज सिंह ने बंद सिंचाई योजनाओं को चालू कराने व जीर्णोद्धार के नाम पर खर्च की गयी राशि की जांच कराने की मांग की है.

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