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चर्चित रहा था 75 लाख के गबन का मामला

चर्चित रहा था 75 लाख के गबन का मामला (यादो के झरोखे से : 2015, बोखड़ा प्रखंड )बोखड़ा. वर्ष 2015 में प्रखंड क्षेत्र में कई मामलों को लेकर चर्चित रहा. सबसे अधिक चर्चा में रहा तब जब प्रखंड कार्यालय के नजारत में 75 लाख रुपये का हिसाब नहीं मिला था. उस दौरान नाजिर के रूप […]

चर्चित रहा था 75 लाख के गबन का मामला (यादो के झरोखे से : 2015, बोखड़ा प्रखंड )बोखड़ा. वर्ष 2015 में प्रखंड क्षेत्र में कई मामलों को लेकर चर्चित रहा. सबसे अधिक चर्चा में रहा तब जब प्रखंड कार्यालय के नजारत में 75 लाख रुपये का हिसाब नहीं मिला था. उस दौरान नाजिर के रूप में विनोद वर्मा कार्यरत थे. डीएम के आदेश पर उक्त राशि को लेकर वर्मा के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी जो अब तक लंबित है. प्रखंड में नौ घंटे तक तालाबंदी जनवरी के प्रथम सप्ताह में ही प्रखंड कार्यालय गरमा गया था. बोखड़ा गांव के मनरेगा मजदूरों ने मजदूरी नहीं मिलने से क्षुब्ध होकर प्रखंड कार्यालय में करीब नौ घंटे तक तालाबंदी की थी. पुपरी एसडीओ ने समझा कर ताला खुलवाया था. 10 जनवरी को तत्कालीन एसपी नवलकिशोर सिंह ने थाना के लिए कई स्थलों का जायजा लिया था और शीघ्र थाना भवन का निर्माण शुरू होने की बात कही थी. अब तक निर्माण के नाम पर ईंट का एक टुकड़ा भी नहीं गिराया गया है. स्वर्ण व्यवसायी के यहां डकैती जनवरी में ही कुरहर के स्वर्ण व्यवसायी शंभु साह के घर से डकैतों ने नगद 75 हजार, 1.25 लाख के आभूषण व अन्य सामान लूट लिये थे. परिजन के साथ मारपीट की गयी थी. डकैतों ने मौके पर फायरिंग भी की थी. प्रखंड कार्यालय एक बार फिर तब चर्चा में आया जब पंचायत प्रतिनिधियों के वेतन व भत्ता मद के लाखों रुपये का दो चेक गायब हो गया था. उक्त भुगतान अब तक नहीं हो सका है. नया टोला गांव में चंद्रिका देवी एक महिला को दहेज में भैंस नहीं मिलने के चलते ससुराल वालों ने घर में ही जला कर हत्या कर दी थी. वह भोला महतो की पत्नी थी. शायद ही कोई भूलेगा भूकंप वर्ष 2015 में ही लगातार कई दिनों तक आये भूकंप के झटके को शायद ही कोई भूल सकेगा. भूकंप के दौरान घर गिरने से प्रखंड के झिटकी गांव के एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी. राशि की निकासी कर भवन का निर्माण नहीं कराने वाले आधा दर्जन प्रधान शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया गया था. यह बात पांच अगस्त की है. पूरे वर्ष कनीय शिक्षक को प्रधान शिक्षक बनाये रहने का मामला चर्चित रहा. अब भी नियोजित शिक्षक व कनीय शिक्षक कई हैं जो प्रधान की कुरसी संभाल रहे हैं. उनके अधीन वरीय व नियमित शिक्षकों को काम करना पड़ रहा है. हाइकोर्ट, राज्य सरकार व डीइओ का आदेश कैसे मजाक बन कर रह गया है, इसका उदाहरण विभिन्न स्कूलों में अब तक नियोजित शिक्षक के प्रधान होने का है. छह माह से एमडीएम बंद प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय, थरुहट में करीब छह माह से एमडीएम बंद हैं. पूर्व प्रधान नसीम स्कूल से अचानक गायब हो गये. शिक्षकों ने दो माह तक जेब से एमडीएम चलाया और बाद में बंद कर दिया. प्रखंड का यह इकलौता स्कूल है, जहां सबसे अधिक दिनों से एमडीएम बंद है और विभागीय अधिकारी हाथ पर हाथ रख बैठे हुए हैं. सैकड़ों महिलाओं को कन्या विवाह योजना का लाभ नहीं मिल सका. आवंटन ही नहीं आ रहा है. फसल क्षतिपूर्ति के वितरण में गड़बड़ी के लिए भी प्रखंड चर्चा में रहा था. खुद चकौती मुखिया उपेंद्र पासवान ने बीडीओ से गड़बड़ी की शिकायत की थी. मामला दब गया था.

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