शिक्षक छुट्टी पर, तीन छात्र आये और लौट गये 11 मार्च से मैट्रिक की परीक्षा होने वाली है. इससे पूर्व 24 फरवरी से इंटर की परीक्षा होनी है. स्कूलों में कोर्स पूरा नहीं हो सका है. इसे ले न तो विभाग और न हीं शिक्षक गंभीर है. छात्र-छात्राएं अपने स्तर से परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं. बच्चे स्कूल के बजाय ट्यूशन व कोचिंग कर कोर्स पूरा कर रहे हैं. मैट्रिक व इंटर की पढ़ाई का जायजा लेने के लिए प्रभात खबर शुक्रवार को हाई स्कूल खड़का पहुंचा. यहां की व्यवस्था सवाल दर सवाल पैदा करती है. — इंटर कला में मात्र दो विषय के शिक्षक — इंटर विज्ञान के किसी भी के शिक्षक नहीं — कोचिंग कर कोर्स पूरा करने में लगे हैं छात्र-छात्रा — प्रयोगशाला के नाम पर नामोनिशान नहीं फोटो- 1 छात्र-छात्राओं को पढ़ाते शिक्षक, 2 वर्षों से अधूरा भवन, 3 से 7 तक बच्चे बोखड़ा : प्रखंड अंतर्गत हाई स्कूल, खड़का में दिन व दिन पठन-पाठन व अन्य सुविधाओं की स्थिति बदतर होती जा रही है. यही कारण है कि एक तो छात्र-छात्राओं का स्कूल से मोह भंग होते जा रहा है और वे स्कूल नहीं आना चाहते तो दूसरी ओर जो बच्चे आते हैं, उन्हें पढ़ाने के लिए सभी विषयों के शिक्षक हीं नहीं है. बच्चों का कोर्स पूरा नहीं हो पाया है. उन्हें कोचिंग व ट्यूशन पढ़ कर जैसे-तैसे कोर्स को पूरा करना पड़ रहा है. उक्त स्कूल में इंटर तक पढ़ाई होती है. मैट्रिक से बदतर स्थिति इंटर की पढ़ाई की है. शुक्रवार को इंटर के तीन छात्र पहुंचे थे. छात्रों को पता चला कि दोनों शिक्षक छुट्टी पर है. फलत: तीनों छात्र वैरंग लौट गये. यह हाल किसी एक दिन का नहीं है. ऐसा अक्सर होता है. जिस विषय के शिक्षक हैं वे भी नियमित नहीं आ पाते हैं ताकि बच्चों का कोर्स पूरा हो सके. — सीट 240, नामांकित 65इंटर में कला व विज्ञान में 120-120 सीट है, जिसकी तुलना में मात्र 65 छात्र-छात्रा नामांकित है. तीन बच्चे आये थे. अधिकांश बच्चे क्लास करना छोड़ चुके हैं. इसके लिए छात्र-छात्राओं को हीं दोषी नहीं माना जा सकता. विभाग अधिक जिम्मेदार है. कारण कि अधिकांश विषयों के शिक्षकों की बहाली नहीं होने के चलते बच्चे नहीं आते हैं और घर पर रह कर हीं परीक्षा की तैयारी करते हैं. बदतर शिक्षा व्यवस्था का इससे बड़ा नमूना और क्या होगा कि इंटर के इतिहास व राजनीति शास्त्र विषय को छोड़ किसी विषय के शिक्षक नहीं है.– इंटर के छात्र को कमरा नहीं उक्त हाई स्कूल में इंटर की पढ़ाई शुरू हुए कई वर्ष बित गये, लेकिन अब तक इंटर के छात्र-छात्राओं के लिए कमरे का निर्माण नहीं हो सका है. वर्ग नवम व दशम के बच्चों के साथ हीं इंटर के छात्र-छात्राओं को बैठ कर पढ़ना पड़ता है. कमरे का निर्माण वर्षों से लंबित है. इससे भी बूरा हाल वर्ग नवम व दशम के पढ़ाई की है. — बच्चे 1150, कमरा मात्र चार वर्ग नवम में 600 एवं दशम में 550 बच्चे हैं. शिक्षक का पद 17 है. वर्तमान में प्रधान समेत सात शिक्षक कार्यरत हैं. कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं, जिसमें अंग्रेजी व उर्दू भी शामिल हैं. छात्र व छात्रा क्रमश: रौशन, रोहित, नितेश, उगन, सपना, पम्मी, रुचि व अंजलि ने बताया कि न तो पढ़ने के लिए पर्याप्त कमरा उपलब्ध है और न हीं शिक्षक. सब कुछ भगवान भरोसे है. कोर्स पूरा करने के लिए कोचिंग का सहारा लेना पड़ रहा है. — कक्षा में नहीं बनती हाजिरी उक्त छात्र-छात्राओं ने गणित विषय के शिक्षक बृज बिहारी प्रसाद की मौजूदगी में यह कह कर स्कूल प्रबंधन की पोल खोल दी कि वर्ग कक्ष में हाजिरी नहीं बनायी जाती है. सब दिन कार्यालय कक्ष में हीं हाजिरी बनती है. इस बात को शिक्षक श्री प्रसाद ने भी स्वीकार किया. बच्चों का कहना था कि प्राइवेट स्कूलों में कक्षा सात से हीं कंप्यूटर की शिक्षा दी जाती है. इस हाई स्कूल में अब तक कंप्यूटर देखने का भी मौका नहीं मिला है. सुबह 11:30 बजे पहला क्लास लगता है. एक-दो क्लास के बाद छुट्टी कर दी जाती है. यह सिलसिला हर दिन का है. 1150 में मात्र 50 बच्चे आये थे. स्कूल में प्रयोगशाला के नाम पर कोई नामोनिशान नहीं है. — क्या कहते हैं प्रधान शिक्षक प्रधान शिक्षक सुशील कुमार ने बच्चों की कम उपस्थिति के लिए अभिभावक भी दोषी हैं. वैसे यहां शिक्षक व संसाधन की भी कमी है. पांच-सात वर्षों से भवन का काम अधूरा छोड़ संवेदक गायब हैं. उन्हें पता भी नहीं है कि कौन संवेदक है और किस विभाग से भवन बनाया जा रहा है.
शक्षिक छुट्टी पर, तीन छात्र आये और लौट गये
शिक्षक छुट्टी पर, तीन छात्र आये और लौट गये 11 मार्च से मैट्रिक की परीक्षा होने वाली है. इससे पूर्व 24 फरवरी से इंटर की परीक्षा होनी है. स्कूलों में कोर्स पूरा नहीं हो सका है. इसे ले न तो विभाग और न हीं शिक्षक गंभीर है. छात्र-छात्राएं अपने स्तर से परीक्षा की तैयारी में […]
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