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नेपाली डकैतों का कहर फिर बनी चुनौती

सीतामढ़ी : ग्रामीण इलाके में डकैतों का तांडव शुरू हो गया है. सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए नेपाली डकैतों के गिरोह ने सोमवार की रात सुरसंड थाना के मेधपुर गांव के तीन घरों में धावा बोल कर करीब 20 लाख की संपत्ति लूट ली. लेकिन भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों को इसकी […]

सीतामढ़ी : ग्रामीण इलाके में डकैतों का तांडव शुरू हो गया है. सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए नेपाली डकैतों के गिरोह ने सोमवार की रात सुरसंड थाना के मेधपुर गांव के तीन घरों में धावा बोल कर करीब 20 लाख की संपत्ति लूट ली. लेकिन भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों को इसकी भनक तक नहीं लगी.

इतना ही नहीं चुनाव को लेकर गांव-टोलों में पुलिस स्तर पर विशेष गश्त लगाने का निर्देश महज कागजों में ही दिख रहा है. आलम यह है कि इस वर्ष अब तक की सबसे बड़ी डकैती के बाद ग्रामीणों में सुरक्षा को लेकर तरह तरह की चर्चा हो रही है.

पुलिस व एसएसबी के बीच तालमेल नहींचार वर्ष पूर्व जिले के सीमावर्ती इलाके में लगातार हो रही डकैती को लेकर तत्कालीन पुलिस कप्तान विवेक कुमार ने थानाध्यक्षों को भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी जवानों से तालमेल बैठाने का निर्देश दिया था. एसएसबी के वरीय अधिकारियों का पुलिस के वरीय अधिकारियों के साथ एसपी की मीटिंग में साझा गश्त लगाने पर सहमति बनी थी. कुछ दिनों तक ही यह चला और बाद में पुलिस अधिकारी इससे किनारा कर लिये.

तालमेल के अभाव को भी डकैतों के बेखौफ होने को कारण माना जा रहा है.सीमावर्ती इलाका है सेफ जोनभारत-नेपाल का सटा इलाका डकैतों का सेफ जोन बना है. भारतीय क्षेत्र में वारदात को अंजाम देकर अपराधी आराम से नेपाल में चले जाते हैं. इसी प्रकार नेपाल में घटना करने के बाद डकैत भारतीय क्षेत्र में पनाह लेते हैं.

पिछले 11 माह के दौरान अब तक जिले में डकैती की एक दर्जन से अधिक घटनाएं हुई है, लेकिन किसी गिरोह का उद्भेदन नहीं हो पाया है. पिछले वर्ष भी डकैतों ने एक दर्जन घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती दे चुकी है.

गश्त को लेकर आइजी का निर्देश फेलमुजफ्फरपुर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक(आइजी) पारसनाथ ने जनवरी माह में पुलिस अधिकारियों की बैठक में यह निर्देश दिया था

कि पुलिस अंचलों के पुलिस निरीक्षक संबंधित थानों में सप्ताह में किसी एक दिन रात्रि गश्त में शामिल हो. वहीं थानाध्यक्षों को भी स्पष्ट तौर पर चुस्त दुरुस्त विधि-व्यवस्था को लेकर गश्त को आदत बनाने का निर्देश दिया था.

लेकिन जिस प्रकार आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है, उससे यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि आइजी का निर्देश फेल साबित हो रहा है.

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