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रमजान की पहली रात होती है रहमत की बारिस

फोटो नंबर-18, मौलाना मो इस्तिायक आलम — शुक्रवार को मुसलिम भाइयों ने रखा पहला रोजासीतामढ़ी/सुरसंड : रमजान का चांद देख कर मुसलिम भाइयों ने शुक्रवार को पहली नमाज अदा करने के साथ पहला रोजा भी रखा. अल्लाह से शांति व ईमान की सुरक्षा की दुआ की. रमजान के महीना में हर घड़ी रहमत बरसती है, […]

फोटो नंबर-18, मौलाना मो इस्तिायक आलम — शुक्रवार को मुसलिम भाइयों ने रखा पहला रोजासीतामढ़ी/सुरसंड : रमजान का चांद देख कर मुसलिम भाइयों ने शुक्रवार को पहली नमाज अदा करने के साथ पहला रोजा भी रखा. अल्लाह से शांति व ईमान की सुरक्षा की दुआ की. रमजान के महीना में हर घड़ी रहमत बरसती है, तो वहीं पुण्य को 70 गुणा बढ़ा दिया जाता है. रोजा का मतलब समझाते हुए मदरसा मरकजे अहले सुन्नत रिजवानिया के मौलाना मो इस्तियाक आलम बताते है कि रोजा का मतलब हर तरह की बुराइयों से बचना है. — गलत काम करने वाले का रोजा नहीं होतामौलाना बताते है कि जो आदमी रोजा रख कर गलत काम करता है, उसका रोजा नहीं होता, बल्कि वह सिर्फ भूखा रहता है. रोजा आंख, कान व मुंह समेत शरीर के सभी अंगों का होता है. रमजान की पहली रात अल्लाह अपने बंदों पर रहमत बरसाता है. प्रतिदिन 10 लाख लोगों को जहन्नुम से आजाद करता है. रमजान के महीना में गरीब, लाचार व बेबसों को मदद व दान करने बड़े पुण्य का काम है.– हराम होता है किसी का दिल दुखाना किसी इनसान का दिल दुखाना, जलील करना, झूठ बोलना, अपने नौकर पर सख्ती करना, मां-बाप से बदसलूकी, पत्नी से कड़क कर बातें करना, बेरहमी करना, रास्ता में गंदगी फैलाना, रास्ते में रूकावट पैदा करना, पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार नहीं करना को हराम बताया गया है. रमजान तो इसलिए आता है कि इस महीना में अपने दिल से दुश्मनी निकाल कर पूरे साल पापों से बच सके. रमजान, धैर्य का महीना है. अपने इच्छाओं को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा मौका भी है.

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