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शहीदन बोली, यह कैसा इंसाफ है?

फोटो-2 परिजन के साथ मुनीफ की विधवा शहीदन — गोली खाने वाले को 10 साल की सजा और गोली चलाने वाले को पदोन्नति– कोर्ट के फैसले के बाद अन्हारी में मुनीफ नद्दाफ के घर सन्नाटा– 11 अगस्त 1998 को गोली कांड का शिकार हुआ था मुनीफ नद्दाफ– पांच पुत्रों को पढ़ाने-लिखाने का मुनीफ का सपना […]

फोटो-2 परिजन के साथ मुनीफ की विधवा शहीदन — गोली खाने वाले को 10 साल की सजा और गोली चलाने वाले को पदोन्नति– कोर्ट के फैसले के बाद अन्हारी में मुनीफ नद्दाफ के घर सन्नाटा– 11 अगस्त 1998 को गोली कांड का शिकार हुआ था मुनीफ नद्दाफ– पांच पुत्रों को पढ़ाने-लिखाने का मुनीफ का सपना रह गया अधूरारीगा : 11 अगस्त 1998 को समाहरणालय पर बाढ़ पीडि़तों के राहत की मांग को लेकर पुलिस द्वारा चलायी गयी गोली के शिकार बने मुनीफ नद्दाफ के परिजन गुरुवार को कोर्ट के फैसले से हतप्रभ हैं. प्रखंड के अन्हारी गांव स्थित मुनीफ नद्दाफ के घर के बाहर मातमी सन्नाटा पसरा है. मुनीफ की विधवा शहीदन खातून कहती है कि अब परवरदिगार सच का फैसला करेंगे. — परवरदिगार करेंगे फैसला वह कहती है, यह कैसा इंसाफ है? गोली खाने वाले को 10 साल की सजा और गोली चलाने वाले को पदोन्नति. सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाले मुनीफ नद्दाफ बाढ़ पीडि़तों की समस्याओं के सवाल पर उस मनहूस दिन को समाहरणालय पहुंचे थे. प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोली से उनकी मौत हो गयी थी. पेशे से मजदूरी करने वाले मुनीफ नद्दाफ अपने पांच पुत्रों मो हलीम, मो हुसैनी, मो रहमान, मो कादिर, मो आलिम को पढ़ाने लिखाने का सपना देखे थे. उनकी मौत के साथ परिवार का वह सपना भी टूट गया. गरीबी के कारण पुत्रों को पढ़ाई लिखाई छोड़ कर पिता की तरह मजदूरी करनी पड़ रही है. शहीदन कहती है, सरकारी सुविधा के नाम पर सिर्फ इंदिरा आवास मिला है. पति की मौत के बाद सरकारी अधिकारियों की ओर से पुत्र को नौकरी दिलाने का भरोसा दिया था, जो कोरा साबित हुआ. पति के मौत के बाद पुत्री जुबैदा की शादी कर सकी है.

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