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.. हर चेहरे पर भूकंप का डर दिखायी देता है
सीतामढ़ी : जिला मुख्यालय डुमरा स्थित गीता भवन के पुस्तकालय कक्ष में रविवार को प्रसाद साहित्य परिषद की मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन प्राचार्य अनंत सहाय की अध्यक्षता में आयोजित की गयी. गोष्ठी से पूर्व साहित्यकारों ने भूकंप में मृत लोगों की आत्मा की शांति हेतू दो मिनट का मौन रखा. गोष्ठी का आगाज गीतकार […]
सीतामढ़ी : जिला मुख्यालय डुमरा स्थित गीता भवन के पुस्तकालय कक्ष में रविवार को प्रसाद साहित्य परिषद की मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन प्राचार्य अनंत सहाय की अध्यक्षता में आयोजित की गयी.
गोष्ठी से पूर्व साहित्यकारों ने भूकंप में मृत लोगों की आत्मा की शांति हेतू दो मिनट का मौन रखा. गोष्ठी का आगाज गीतकार गीतेश की रचना ‘अब भी बदहवास गांव और शहर दिखाई देता है’ हर चेहरे पर भूकंप का डर दिखाई देता है’ से किया गया.
गोष्ठी में शामिल सभी कलाकारों ने अपनी-अपनी गजल का जलवा बिखेरे. डॉ आनंद प्रकाश वर्मा की रचना ‘कौन कमजोर कहता है हमारी फितरत को’ हजारों जलजले के बाद भी जीने का हौसला क्या कहना ’ एवं ई शचींद्र कुमार हीरा की कविता धरती मां डोल कर यह सहमति जतायी है कि अर्थ का ही अर्थ है’ ने महफिल को गति प्रदान की.
सुरेश शर्मा की गजल ‘आदमी का जहर तो और असरदार है, इसके आगे सांप का विष भी बेकार है’ आंचलिक कवि राम बाबू सिंह की ‘ हर जगह शंका और संशय की तेजाबी धूप है, किसी अनहोनी के भय से गांव गुमशुम और शहर भी चुप है’. वही डॉ शत्रुध्न यादव की प्रेरणाप्रद कविता ‘ अपना ढ़ोल कभी मत पीटो, कद्र करो गुण और ज्ञान की’ ने महफिल को जवां बना दिया. प्राचार्य श्री सहाय की मर्मस्पर्शी कविता ‘बाजारवाद की दौड़ में नयी पीढ़ी के बीच बौना बन गया हूं, ने अलग छाप छोड़ दी.
इधर, सुरेश लाल कर्ण ने अपने बज्जिका गीत समहारब चुनरिया हो, भेल भारी उमरिया’ ने महफिल में रंगीनी घोल दी. वही जितेंद्र झा आजाद की कविता ‘कब तक सहन करोगे जुल्म एक दिन तो सामना करना होगा’ ने श्रोताओं की वाहवाही बटोरी. मौके पर शैलेंद्र कुमार खिरहर, ममता शर्मा, वर्षा आनंद, जयंत कृष्ण व उज्जवल आनंद ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मन मुग्ध कर दिया.
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