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चोरौत गांव के करीब 500 लोग काठमांडू में फंसे

चोरौत : प्रखंड के चोरौत गांव के करीब 500 लोग काठमांडू में फंसे हुए हैं. वहां से अब तक एक भी व्यक्ति घर नहीं लौट सका है. रास्ता बाधित होने के चलते परिजन भी अपनों का हाल जानने के लिए काठमांडू नहीं जा पा रहे हैं. दूरभाष पर हीं समाचार मिल पा रही है. सबसे […]

चोरौत : प्रखंड के चोरौत गांव के करीब 500 लोग काठमांडू में फंसे हुए हैं. वहां से अब तक एक भी व्यक्ति घर नहीं लौट सका है. रास्ता बाधित होने के चलते परिजन भी अपनों का हाल जानने के लिए काठमांडू नहीं जा पा रहे हैं. दूरभाष पर हीं समाचार मिल पा रही है. सबसे चिंतित वे लोग हैं, जिन्हें काठमांडू में रह रहे अपनो से दूरभाष पर भी बातचीत नहीं हो पा रही है. ऐसे लोग अपने परिजनों के लिए काफी चिंतित है.
पूरे गांव में सन्नाटा पसरा
गांव के सैकड़ों लोगों के एक साथ भूकंप की इस बड़ी त्रसदी में काठमांडू में फंसे होने के चलते गांव में सन्नाटा पसर गया है. कई घरों में खाना बने तीसरे दिन हो गये. जिस घर में खाना बन भी रहा है तो लोग भर पेट नहीं खा पा रहे हैं. उन्हें काठमांडू में फंसे अपनों की चिंता सता रही है. जिन लोगों की परिजनों से दूरभाष पर बातचीत हो जा रही है, उन्हें भी संतोष नहीं मिल रहा है. वे अपनों को एक नजर देखने को बेचैन हैं.
अब तक नहीं हुई बात
काठमांडू में शंभु भगत भी फंसा हुआ है. उसकी मां द्रौपदी देवी व पत्नी गुड़िया देवी ने बताया कि शनिवार से हीं शंभु से बातचीत नहीं हो पा रही है. चिंता से दोनों महिलाएं परेशान हैं. दोनों के पास ऐसा कोई साधन या उपाय नहीं है कि शंभु से बात कर सके. दोनों शंभु के सही सलामत घर लौटने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रही है. बताया गया है कि पड़ोसी द्रौपदी व गुड़िया को सांत्वना देकर धैर्य बढ़ा रहे हैं.
राजकुमार दास भी काठमांडू में हैं. उसके पिता भोगेंद्र दास कहते हैं कि पुत्र से बात हुई है. वह सकुशल है. वैसे जब तक वह घर पर सही सलामत लौट नहीं आता है, तब तक उसके लिए चिंता बनी रहेगी. रौशन मंडल की पिता रूदल मंडल व योगेंद्र मंडल के पिता बिलटाई कापड़ ने बताया कि पुत्र से बातचीत हो रही है.
बातचीत से संतोष नहीं
रवींद्र मंडल की विधवा मां अनरिया देवी ने बताया कि रवींद्र उसका इकलौता पुत्र है. उससे मोबाइल पर बात हुई है. बातचीत से संतोष नहीं मिल रहा है. जब तक उसे देख नहीं लेते हैं, तब तक मन बेचैन रहेगा. इसी तरह से अन्य लोग भी अपने बाल-बच्चों के लिए चिंतित है.
दर्जनों से संपर्क भंग
जदयू के वरीय नेता व चोरौत गांव निवासी नरेश कुमार मंडल के भाई मिथिलेश मंडल भी काठमांडू में रहते हैं. नरेश बताते हैं कि काठमांडू में रह रहे लोगों में से दर्जनों से मोबाइल पर संपर्क नहीं हो पा रहा है. भाई मिथिलेश से भी बात नहीं हो पा रही है. बताया कि वहां रह रहे लोगों को भी पता नहीं है कि गांव के दर्जनों लोग कहां पर हैं और किस हाल में है.
चार घंटे तक मलबे में दबे रहे दो लोग
सुरसंड . प्रखंड की श्रीखंडी भिट्ठा पूर्वी पंचायत के वार्ड नंबर पांच के पुनीत मिश्र के घर के लोग दहशत में हैं. परिवार के सभी सदस्यों की रात की नींद व दिन का चैन छीन गया है. ऐसा होना लाजिमी है. कारण कि भूकंप की इस त्रसदी में श्री मिश्र के पुत्र व दामाद समेत 10 सदस्य काठमांडू में फंसे हुए हैं. सदस्यों की सही सलामती के लिए श्री मिश्र व यहां रह रहे परिवार के सभी सदस्य चिंतित है. बता दें कि उनके पुत्र व दामाद बच्चों के साथ काठमांडू के गुरजू धारा में रहते हैं और वहीं फंसे हुए हैं.
बच्चों को देखने को तरस रहीं आखें
श्री मिश्र व उनकी पत्नी की आखें पुत्र, पुत्री व दामाद के साथ ही बच्चों को देखने के लिए तरस रही है. बताया कि भूकंप के पहले झटके में ही काठमांडू स्थित आवास का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया. इसके मलबे में उनकी बेटी बबली कुमारी व दस वर्षीया नतनी विक्षा कुमारी दब गयी. करीब चार घंटे बाद बचाव दल को खबर मिली और मलबे से दोनों को बाहर निकाला गया. एक पल तो लगा कि दोनों मौत के शिकार बन चुके हैं, पर हल्की-हल्की सांसें चल रही थी. दोनों को तुरंत अस्पताल में भरती कराया गया. काठमांडू से मिली सूचना के आधार पर श्री मिश्र बताते हैं कि अब भी उनकी पुत्री व नतनी बेहोश ही है. लगता है दोनों को गहरा सदमा लगा है.
घर लौटने को हैं बेचैन
श्री मिश्र ने बताया कि काठमांडू में उनका पुत्र रवींद्र मिश्र, दामाद शत्रुघ्न ठाकुर, गुड़िया देवी, सोनाली कुमारी, संजना कुमारी, आर्यन कुमार, दिव्या कुमारी व शाहिल ठाकुर भी फंसे हुए हैं. उनका दिल करता है कि कब यहां से जाकर पुत्र, दामाद व बच्चों के पास चले जायें. काठमांडू से भी लोग घर पर आने को बेचैन है. दुर्भाग्य यह है कि रास्ता अवरुद्ध होने के कारण आवागमन बाधित है और बसों व अन्य वाहनों का परिचालन पूरी तरह ठप है. वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. दोनों ओर से दूरभाष पर एक-दूसरे का समाचार लिया जा रहा है.
बेहोश हो जा रही है चंद्रिका
भूकंप के झटके को महसूस कर चुकी एवं झटके से नेपाल में आयी तबाही के बारे में सुन चुकी पुनीत मिश्र की पत्नी चंद्रिका देवी तबाही को याद कर बदहवास हो गयी हैं. घटना को याद कर वह बार-बार बेहोश हो जा रही है. परिवार के सदस्य उन्हें संभाले हुए हैं. श्री मिश्र ने बताया कि नाती शाहिल कुमार का एक मई को मुंडन होना था. अब शायद उक्त निर्धारित तिथि को नहीं हो पायेगा.

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