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आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को नहीं मिला सरकारी लाभ
बोखड़ा : पूर्व नक्सली गणोशी दास को अब तक सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सका है. समाज की मुख्य धारा से जुड़ रहने व स्वरोजगार कर खुद व परिवार का भरन-पोषण करने की मंशा से वह 11 साथियों के साथ आत्मसमर्पण किया था. गणोशी दास समेत 11 नक्सलियों ने 23 मई 2010 को दरभंगा […]
बोखड़ा : पूर्व नक्सली गणोशी दास को अब तक सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सका है. समाज की मुख्य धारा से जुड़ रहने व स्वरोजगार कर खुद व परिवार का भरन-पोषण करने की मंशा से वह 11 साथियों के साथ आत्मसमर्पण किया था. गणोशी दास समेत 11 नक्सलियों ने 23 मई 2010 को दरभंगा के तत्कालीन एसएसपी एमआर नायक के समक्ष हथियार डाल दिया था.
उस दौरान पुलिस की ओर से गणोशी दास व उसके साथियों को सरकारी लाभ दिलाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें कही गयी थी, पर सरकार व प्रशासनिक उपेक्षा के चलते गणोशी दास को कोई लाभ नहीं मिल सका है. यह बात अलग है कि उसे प्रोत्साहन राशि के रूप में दस हजार रुपये मिला था.
प्रशासन से खफा है गणोशी
प्रखंड के बठौल गांव का रहने वाला गणोशी दास प्रशासन की कार्यशैली से खफा हैं. कहते हैं कि जिस सोच व मंशा के तहत हथियार डाले थे, उस सोच पर प्रशासन ने पानी फेर दिया है. कहता है कि पुलिस ने सरकार की घोषणा के अनुरूप नगद दो लाख व इंदिरा आवास दिलाने की बात कही थी. बच्चों का स्कूल में दाखिला, कृषि के लिए भूमि, स्वरोजगार के लिए ऋण व तीन हजार पेंशन दिलाने की बात कही गयी थी. यहां तक कि सौंपे गये हथियार के एवज में नगद 10 हजार भुगतान करने का वादा किया गया था. राज्य सरकार की एक भी घोषणा पर अमल नहीं हुआ.
हाइ कोर्ट में गया था गणोशी
सरकार व प्रशासन की बेरुखी से खफा होकर साथियों के साथ गणोशी ने हाइ कोर्ट में एक मामला दायर किया और उन जैसे लोगों को सरकार की घोषणा के अनुरूप लाभ दिलाने की मांग की. सीडब्ल्यूजेसी 511/15 में हाई कोर्ट ने 11 फरवरी 15 को आदेश जारी किया, जिसमें तीन माह के अंदर प्रोत्साहन राशि व अन्य घोषित लाभ देने की बात कही गयी. गणोशी ने हाइ कोर्ट के आदेश की प्रति के साथ मुजफ्फरपुर व सीतामढ़ी के डीएम एवं सीतामढ़ी एसपी को आवेदन दिया है.
सीओ पर गंभीर आरोप
आत्मसमर्पण करने वाले 11 नक्सलियों में दो सीतामढ़ी जिले के नानपुर थाना क्षेत्र के हैं, जिसमें से एक गणोशी दास भी शामिल हैं. डीएम को भेजे आवेदन में गणोशी ने कहा है कि कृषि के लिए जो जमीन दी गयी थी वह कृषि योग्य नहीं है. सीओ से शिकायत करने पर कृषि योग्य जमीन के लिए 60 हजार रुपये का डिमांड किया गया.
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