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बरखास्त सैनिक को पेंशन की जगी उम्मीद

सीतामढ़ी : सेना की नौकरी से बरखास्त कर दिये गये पूर्व सैनिक राम नारायण राय को पेंशन मिलने की उम्मीद जगी है. केंद्र सरकार ने उनसे जुड़ी फाइलों को खंगालने में लग गयी है. वहीं सेना मुख्यालय के स्तर से भी श्री राय संबंधित मामलों की तफतीश शुरू कर दी गयी है. माना जा रहा […]

सीतामढ़ी : सेना की नौकरी से बरखास्त कर दिये गये पूर्व सैनिक राम नारायण राय को पेंशन मिलने की उम्मीद जगी है. केंद्र सरकार ने उनसे जुड़ी फाइलों को खंगालने में लग गयी है. वहीं सेना मुख्यालय के स्तर से भी श्री राय संबंधित मामलों की तफतीश शुरू कर दी गयी है. माना जा रहा है कि देर से सही केंद्र सरकार व सेना मुख्यालय से श्री राय को न्याय जरूर मिलेगी.
27 अगस्त 73 को बरखास्त
पूर्व सैनिक श्री राय के पुत्र ने सेना मुख्यालय से अपने पिता को सेवा से बरखास्त किये जाने के संबंध में आरटीआइ के तहत पूरी जानकारी मांगी थी. सेना के लोक सूचना पदाधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल नानक चंद चौधरी ने आवेदक को बहुत कुछ की जानकारी दी है, पर यह नहीं बताया है कि किस आरोप में श्री राय को सेवा से बरखास्त किया गया था. 23 जनवरी 15 को निर्गत पत्र में सूचना पदाधिकारी श्री चौधरी ने बताया है कि पूर्व सैनिक श्री राय 20 अगस्त 1971 को सेना में भरती हुए थे. सेना अधिनियम भाग 38 के तहत समरी कोर्ट मार्शल के तहत 23 अगस्त 1973 को उन्हें सेना से बरखास्त कर दिया गया था.
पूर्व सैनिक की दास्तान
जिले के डुमरा प्रखंड के भूपभैरो गांव निवासी श्री राय की वर्ष 1968 में थल सेना में बतौर सैनिक दानापुर कैंप में नौकरी लगी थी. बाद में उन्हें आर्मी हेड क्वार्टर फिरोजपुर, पंजाब भेज दिया गया था. उस दौरान रक्षा मंत्रलय में ‘मुक्ति सेना’ का एक संगठन था. उसी संगठन में श्री राय वाली रेजिमेंट को शामिल कर लिया गया. वर्ष 1971 में पाकिस्तान व पूर्वी पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ. उस लड़ाई में मुक्ति सेना को भी भेजा गया था.
पूर्व फौजी श्री राय भी गये थे. युद्ध के दौरान श्री राय को पाक ने बंदी बना लिया था. 150 साथियों के साथ वे छह माह चार दिन जेल में रहने के बाद मुक्त हुए. फिर अपने वतन लौट कर आये. श्री राय कहते है कि वे पाक जेल में बंद थे और इस बीच सेना ने उन्हें मान लिया कि वे नौकरी छोड़ कर घर भाग गये है और उन्हें भगोड़ा घोषित कर सेवा से हटा दिया गया.

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