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तू कहां पे गयी, मैं कहां रह गया
सीतामढ़ी : जिला मुख्यालय स्थित गीता भवन के सभागार में रविवार को प्रसाद साहित्य परिषद की मासिक कवि गोष्ठी आयोजित की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता ई शचींद्र कुमार हीरा ने की. मंच संचालन गीतकार गीतेश ने किया. कार्यक्रम का आगाज युवा कवि पृथ्वीराज राणा की गजल ‘ जब से साथ तुम्हारा छूट गया, तू कहां […]
सीतामढ़ी : जिला मुख्यालय स्थित गीता भवन के सभागार में रविवार को प्रसाद साहित्य परिषद की मासिक कवि गोष्ठी आयोजित की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता ई शचींद्र कुमार हीरा ने की. मंच संचालन गीतकार गीतेश ने किया.
कार्यक्रम का आगाज युवा कवि पृथ्वीराज राणा की गजल ‘ जब से साथ तुम्हारा छूट गया, तू कहां पे गयी, मैं कहां रह गया, क्या बताऊं सनम में तो लूट गया ’ से हुआ. सुरेश लाल कर्ण की रचना ‘ जाति धर्म का चोला ओढ़ा कर, भूल गये हम अपनों को’, उमा शंकर लोहिया की गजल ‘ बन के रहबर शैतान है सरेआम घूमते, हर दफा जिससे को सलीब पर चढ़ाया गया’, संगीता चौधरी की ‘ कुछ भी हमें हासिल बेवक्त नहीं होती ’ एवं वाल्मीकि कुमार की रचना ‘ कश्मीर की हरियाली आतंकी चरने आते हैं, संगीन है ताने रखवाले, बेमौत वे मारे जाते है’ ने महफिल को गीत प्रदान की.
सत्येंद्र मिश्र की ‘मौत की किसको फिकर है, जिंदगी का गम यहां है, सोचिए कि कल कहा थे, आज आखित हम कहां हैं’, प्राचार्य अनंत सहाय की मर्मस्पर्शी रचना ‘भिखारी तो था नहीं, भिक्षाटन मैने स्वीकार ही कर लिया है’, विकास कुमार की गंगा तुम बहती ही क्यों हो, डा. आनंद प्रकाश वर्मा की ‘आंसू, दर्द, बेबसी शेष रह गयी मेरी कहानी में एवं ई सचींद्र कुमार हीरा की ‘मेरे मन छेड़ो एक तराना, जो हर रोते को सिखाये मुस्कुराना’ ने महफिल को जवां बना दिया.
तौहिद अश्क, ऋषिकेश कुमार, अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह व डा. शत्रुघ्न यादव ने श्रोताओं की भरपूर वाहवाही बटोरी. गीतकार गीतेश ने अपनी धारदार हास्य-व्यंग्य ‘रिटायरमेंट के बाद बढ़ा है और भी ज्यादा टेंशन, क्योंकि झपट लेता है बेटा उनका सारा पेंशन’ ने आज के नंगा सच को उजागर कर दिया.
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