जगह-जगह लगा मेला सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन
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मां का पट खुलते ही दर्शन को उमड़ी भीड़
जगह-जगह लगा मेला सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन आज होगी मां के आठवें स्वरूप देवी महागौरी सीतामढ़ी : नवरात्रि के सातवें दिन शनिवार को विधि-विधान के साथ मां दुर्गा के सातवें स्वरूप देवी कालरात्रि की पूजा-आराधना हुई. सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि रूप की विधि-विधान से आराधना के बाद पारंपरिक विधि से पूजा-पाठ की गयी. […]
आज होगी मां के आठवें स्वरूप देवी महागौरी
सीतामढ़ी : नवरात्रि के सातवें दिन शनिवार को विधि-विधान के साथ मां दुर्गा के सातवें स्वरूप देवी कालरात्रि की पूजा-आराधना हुई. सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि रूप की विधि-विधान से आराधना के बाद पारंपरिक विधि से पूजा-पाठ की गयी.
उसके बाद एक से बढ़कर एक आकर्षक तरीके से सजाये गये मां के सजे दरबारों के पट खोले गये. पट खुलते ही पूजा-पंडालों एवं मंदिरों में दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. इसके साथ ही महिला भक्तों द्वारा खोंइछ भरने एवं कन्याओं को भोजन कराने का सिलसिला भी शुरू हो गया. सप्तमी के अवसर पर विभिन्न पूजा समितियों द्वारा मेला व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें सभी उम्र वर्ग के महिला एवं पुरुष भक्तों ने शामिल होकर मेला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया.
पूजा समितियों द्वारा भक्तों को आकर्षित करने के लिए पूजा-पंडालों को भव्य एवं आकर्षक तरीके से सजाया गया है, जो शाम ढ़लते ही अति मनमोहक लगता है. पूजा समितियों एवं नगर परिषद की ओर से पूरे शहर को जगमग-जगमग करते कृतिम रोशनियों से नहलाया गया है. पूजा-पंडालों एवं मंदिरों में आवागमन करने में भक्तों को परेशानी न हो, इसके लिए सड़कों की सफाई की गयी है तथा सभी जरूरी जगहों पर महिला एवं पुरुष भक्तों की तैनाती की गयी है. इसके अलावा कंट्रोल रूप तैयार किया गया है, जहां से विधि-व्यवस्था की जानकारी ली जा रही है. सभी पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी शांति एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में सफलता पूर्वक दुर्गा पूजा को संपन्न कराने में जुटे हुए है. शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा गया कि मां के भक्तों द्वारा अपने-अपने घरों के सामने सड़कों की सफाई की गयी थी.
अमोघ फलदायिनी है मां महागौरी की उपासना
शास्त्रानुसार मां दुर्गा का आठवां स्वरूप देवी महागौरी की पूजा अमोघ फलदायिनी है. मां के इस रूप की सच्चे मन से आराधरना करने से भक्तों के तमाम मनोकामनाएं पूर्ण होते हैं. पूर्व के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. महागौरी की उपासना अति कल्याणकारी है.
इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं. इनके नाम से ही पता चलता है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है. इनकी उपमा शंख, चंद्र व कुंद के फूल से दी गयी है. इनकी आयु आठ साल की मानी गई है. इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं, इसीलिए उन्हें श्वेतांबरधरा कहा गया है. इनके चार भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है, इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है.
इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किये हुआ है. ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है. इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है. कहा जाता है कि पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी, इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया, लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया. उनका रूप गौर वर्ण का हो गया, इसीलिए ये महागौरी कहलाईं. महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है.
भक्तों ने की पूजा: सुप्पी. प्रखंड के जमला बांध चौक, बड़हरवा बाजार काली मंदिर परिसर, मनियारी, ढ़ेंग गम्हरिया, ससौला, अख्ता, घरवारा, नरकटिया, नरहा व मोहिनीमंडल चौक समेत विभिन्न पूजा पंडालों में शनिवार को मां का पट खुला. इस दौरान भारी संख्या में मौजूद महिला व पुरूष श्रद्धालु मां के जयकारे लगा रहे थे. मौके पर मौजूद थानाध्यक्ष सुबोध कुमार ने बताया कि इस बार 26 स्थानों पर दुर्गा पूजा व आठ स्थानों पर महावीरी झंडोत्सव का आयोजन किया गया है.
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