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हत्या की सूई मुकेश पाठक पर

आतंक का अंत . दरभंगा इंजीनियर हत्याकांड के बाद दो फाड़ में बंट गया था गिरोह सीतामढ़ी : 2010 में हाथ मिलाने के बाद संतोष झा व मुकेश पाठक उत्तर बिहार के अपराध की दुनिया में एकछत्र राज कर रहे थे. चर्चा है कि दरभंगा इंजीनियर हत्याकांड के बाद रुपया व हथियार के लेन-देन को […]

आतंक का अंत . दरभंगा इंजीनियर हत्याकांड के बाद दो फाड़ में बंट गया था गिरोह

सीतामढ़ी : 2010 में हाथ मिलाने के बाद संतोष झा व मुकेश पाठक उत्तर बिहार के अपराध की दुनिया में एकछत्र राज कर रहे थे. चर्चा है कि दरभंगा इंजीनियर हत्याकांड के बाद रुपया व हथियार के लेन-देन को लेकर गिरोह दो फाड़ में विभक्त हो गया था.
संतोष झा से खफा होने के कारण गिरोह के अधिकांश सदस्य मुकेश पाठक के साथ खड़ा हो गये. कभी संतोष झा का राइट हैंड रह चुके शातिर अपराधी चिरंजीवी सागर भी मुकेश पाठक के साथ शामिल हो गया. गौरतलब हो कि 31 मई 2018 को जिला कल्याण पदाधिकारी शुभ नारायण दत्त की हत्या में चिरंजीवी के संलिप्तता का खुलासा कांट्रेक्ट किलर रामजी राय ने किया था.
ठेकेदारों के बीच आतंक का पर्याय बन गया था संतोष: सीतामढ़ी. हाल के कुछ माह से जेल से संतोष द्वारा लेवी मांगने को लेकर स्थानीय ठेकेदारों में आतंक व्याप्त हो गया था. लेवी के डॉन के नाम से चर्चित आपराधिक संगठन बिहार पिपुल्स लिबरेशन आर्मी व परशुराम सेना के मुखिया संतोष झा का खतरा एक बार फिर उत्तर बिहार में मंडराने लगा था. इस बार गैंगस्टर संतोष झा के निशाने पर ग्रामीण कार्य व भवन निर्माण विभाग के संवेदक थे. अपने शागिर्दों को ठेकेदारी दिलाने के लिए दूसरे ठेकेदारों को टेंडर डालने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी जा रही थी. हाल में पिस्तौल व कारतूस के साथ पुलिस के गिरफ्त में शागिर्द ऋषि झा ने भी अपने स्वीकारोक्ति बयान में इस बात का खुलासा किया था कि वह संतोष के कहने पर एक विवादित जमीन को खाली कराने जा रहा था.
ऋषि के साथ आशीष नामक एक युवक की गिरफ्तारी इस बात की ओर इशारा भी करती है कि नये-नये चेहरे को शामिल कर एक बार फिर से लेवी (रंगदारी) लेने के लिए गिरोह खड़ा किया जा रहा था.
इन चार संगीन मामलों में शातिर संतोष को किया गया था रिहा
छह माह के अंदर, 23 मार्च से 17 अप्रैल 2018 के बीच संतोष झा चार संगीन मामलों में रिहा भी हो चुका है. गवाह के मुकर जाने के बाद अदालत ने साक्ष्य के अभाव में संतोष को रिहा कर दिया. चारों के चारों मामले जिले के चर्चित मामलों में शामिल रहे है.
सुपरवाइजर संजय हत्याकांड में रिहा
केस स्टडी एक : सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर एनएच-77 का निर्माण कर रही कंपनी के सुपरवाइजर संजय कुमार की हत्या मामले में प्रतिबंधित आपराधिक संगठन बिहार पिपुल्स लिबरेशन आर्मी के चीफ शातिर अपराधी संतोष झा को 23 मार्च को रिहा कर दिया गया था. प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश किशोर कुमार सिन्हा ने सुनवाई के बाद संतोष झा को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया था. इस संबंध में कंपनी के कर्मी दीपक कुमार के बयान पर 20 मई 2012 को रून्नीसैदपुर थाना में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
घटनास्थल पर मिले परचा व अनुसंधान के क्रम में पुलिस ने संतोष झा, चिरंजीवी भगत, लंकेश झा, अरुण कुमार, अमित पांडेय, मृत्युंजय कुमार, नीतीश दूबे, ऋषि झा, उदय झा एवं मुकेश पाठक को आरोपित किया था. दिलचस्प यह कि संजय हत्याकांड की सुनवाई के दौरान अनुसंधानकर्ता को छोड़ कर किसी ने भी आरोपितों के हत्याकांड में शामिल होने की बात को स्वीकार नहीं किया था. बताया गया था कि रंगदारी नही देने पर आरोपितों ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर निर्माण कार्य करा रहे संजय सिंह को दिनदहाड़े एके-47 से भून दिया था.
संतोष को पहचानने से किया इनकार
केस स्टडी दो : नगर के मेला रोड स्थित बैद्यनाथ नर्सिंग होम में रंगदारी को लेकर बम-विस्फोट मामले में बिहार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रमुख संतोष झा को 3 अप्रैल 2018 को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश किशोर कुमार सिन्हा ने साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया था. वर्ष 2008 में नर्सिंग होम के संचालक चर्चित चिकित्सक डाॅ सीताराम प्रसाद सिंह ने वर्ष 2008 में नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जिसमें मोबाइल नंबर-9973523552 के मालिक को आरोपित किया था. जिसमें स्वयं को अविनाश बताकर 25 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी. रंगदारी नहीं देने पर पूरे परिवार की हत्या करने की धमकी दी थी.
19 नवंबर 2008 को प्राथमिकी(कांड संख्या-537/08) दर्ज होने के बाद 21 नवंबर 2008 को संध्या सात व आठ बजे के बीच हॉस्पिटल के मुख्य गेट पर बम विस्फोट कर पर्ची छोड़कर भाग निकला. बाद में आर्म्स एक्ट में गिरफ्तार मोहन बैठा एवं चिरंजीवी भगत के स्वीकारोक्ति बयान के आधार तथा पुलिस अनुसंधान में संतोष झा के अलावा राम संजीवन महतो, गिरेंद्र भगत, गणेश राय, जितेंद्र कुमार, रामनाथ भगत, पिंटू यादव, हर्षवर्धन पाठक, चुन्नु पाठक को आरोपित किया गया. सुनवाई के क्रम में सूचक डाॅ सिंह समेत छह साक्षियों ने संतोष झा को पहचानने से इनकार कर दिया था.
बम विस्फोट में संतोष समेत पांच रिहा
केस स्टडी तीन : फास्ट ट्रैक कोर्ट-दो के न्यायाधीश आरपी ठाकुर ने गुरुवार को दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद रीगा प्रखंड के सहबाजपुर पंचायत के पूर्व मुखिया दिनेश सिंह के रामपुर बराही स्थित घर को डायनामाइट से उड़ाने तथा भाई रत्नेश सिंह की गोली मारकर हत्या किये जाने मामले में भाकपा माओवादी(उत्तर बिहार पश्चिम जोनल कमेटी) के एरिया कमांडर संतोष झा समेत पांच को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया था. रिहा हुए लोगों में मेजरगंज थाना क्षेत्र के सिमरदह गांव निवासी विजय पासवान, पूर्व मुखिया शिवचंद्र पासवान, बिहारी पासवान एवं महेंद्र राम भी शामिल था. 11 अप्रैल 2004 की रात्रि लगभग आठ बजे रीगा थाना क्षेत्र के बराही गांव में लगभग 100 की संख्या में माओवादियों ने पूर्व मुखिया दिनेश सिंह के घर पर हमला किया था.
बैंक लूटकांड में भी रिहा
केस स्टडी-चार : रीगा थाना में 22 दिसंबर 2003 को पुरनहिया थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष मो सफी अहमद के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर संतोष झा को बैंक लूट व पुलिस पर फायरिंग करने के मामले में आरोपित किया गया था. उक्त मामले में गत चार जुलाई को दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद संतोष को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया.

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