शेखपुरा : जिले के राजनैतिक शून्यता आपदा के इस घड़ी में घाट कोसुम्भा प्रखंड के लिए अभिशाप बन गया है. जलजमाव से बाढ़ क्षेत्र घोषित कराने की मांग के इकलौते मुद्दे के बीच एक बार फिर किसानों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा है. हरोहर और टाटी नदी के उफान में 828 हेक्टेयर फसल डूब कर बरबाद हो गयी.
इस तबाही से उबरने को किसान आज भी अपनी आपदा को बाढ़ क्षेत्र घोषित करने की जद्दोजहद में सूबे के नेताओं से फरियाद लगा रहे हैं. आपदा की घड़ी में किसान लगातार इस मुद्दे को लेकर एक ऐसे चेहरे की तलाश में है. किसानों को आपदा की घड़ी में फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. बहरहाल बाढ़ की त्रासदी को जूझ रहे किसानों के बीच फसल की त्रासदी की भरपाई के लिए फिलहाल कोई विकल्प नहीं दिख रहा है.
472 हेक्टेयर धान की फसल डूबे : बाढ़ प्रभावित घाट कोसुम्भा के किसान व कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष शिव शंकर महतो ने कहा कि लगभग डेढ़ दशक के बाद इस तेज रफ्तार से अचानक नदियों में उफान से नुकसान की तबाही हुई. इधर कृषि विभाग के आंकड़ों में घाट कोसुम्भा प्रखंड में इस वर्ष 781 हेक्टेयर धान फसल लक्ष्य के विरुद्ध 675 हेक्टेयर की रोपनी हुई है, जबकि नुकसान को लेकर कृषि विभाग ने 427 हेक्टेयर का आंकड़ा जुटाया है. इस भारी तबाही के बीच किसानों को राहत अनुदान तो बाद में मिलेगा, लेकिन परिवार के समक्ष आर्थिक नुकसान का संकट गहराने लगा है.
आबादी आवागमन को लेकर 10 लाख का आवंटन : बाढ़ प्रभावित घाट कोसुम्भा प्रखंड की आबादी को आवागमन बहाल करने में नाव संचालन को लेकर अंचल प्रशासन को 10 लाख रुपये का आवंटन कराया गया है.
आपदा विभाग के द्वारा आवंटित राशि से
नाविकों के भुगतान की कार्रवाई के लिए विपत्र तैयार किया जा रहा है. पिछले 20 दिनों से नाव का संचालन कर रहे नाविकों को अब जल्द ही बकाये का भुगतान कर दिया जायेगा.
356 हेक्टेयर मक्का फसल का हुआ नुकसान
टाटी और हरोहर नदी में आये उफान की तबाही में टाल क्षेत्र में धान के साथ-साथ मक्के फसल में भी भारी तबाही हुई है. दरअसल प्रखंड में चार सौ हेक्टेयर मक्के का फसल लगाने का लक्ष्य था. इस लक्ष्य के अनुरूप 395 हेक्टेयर मक्का का आच्छादन किया गया. इस आच्छादित फसल में 356 हेक्टेयर मक्के की फसल नदियों के उफान में डूब कर बरबाद हो गयी. प्रखंड में हुए फसल क्षति की त्रासदी में अब तक 87 लाख 92 हजार 800 रुपये का नुकसान का आंकड़ा सामने आया है. कृषि विभाग ने यह आंकड़ा सर्वेक्षण के बाद आपदा विभाग के मापदंड के आधार पर तैयार किया है.
इस मापदंड में सिंचित भूमि के लिए प्रति हेक्टेयर साढ़े 13 हजार रुपये जबकि असिंचित भूमि के लिए 6800 रुपये के क्षति अनुदान का प्रावधान है. हालांकि प्रखंड नुकसान का ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में बाढ़ और सुखाड़ की स्थितियों पर विभाग की पैनी नजर है. घाट कोसुम्भा प्रखंड में अब तक लगभग 88 लाख की फसल क्षति हुई है. क्षति मुआवजे का प्रस्ताव भेजा जा रहा है.
लालबचन राम, जिला कृषि पदाधिकारी, शेखपुरा