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17 पहाड़ी भूखंडों का खरीदार नहीं

विभाग को 8.89 करोड़ की सुरक्षित जमा राशि को कम करने का भेजा प्रस्ताव सात बार निकाली गयी निविदा, नहीं आया एक भी आवेदन शेखपुरा : सोने का अंडा देने वाला उद्योग के नाम से पहचान स्थापित कर चुके पत्थर उद्योग के लिए इन दिनों बोली लगाने वाला कोई नहीं मिल रहा है. यह स्थिति […]

विभाग को 8.89 करोड़ की सुरक्षित जमा राशि को कम करने का भेजा प्रस्ताव

सात बार निकाली गयी निविदा, नहीं आया एक भी आवेदन
शेखपुरा : सोने का अंडा देने वाला उद्योग के नाम से पहचान स्थापित कर चुके पत्थर उद्योग के लिए इन दिनों बोली लगाने वाला कोई नहीं मिल रहा है. यह स्थिति सरकार की नई नीतियों के कारण हुई है. नई नीतियों के साथ लगभग दो वर्षों से जिले में पहाड़ी भूखंडों की बंदोबस्ती प्रक्रिया जारी है. बंदोबस्ती की नई व्यवस्था में 12.5 एकड़ का एक ब्लॉक बनाया गया है. जिले में पत्थर कारोबार को लेकर विभाग ने 30 ब्लॉक का सृजन किया. विभिन्न मौजों में अब तक मात्र 13 भूखंडों की ही बंदोबस्ती करायी जा सकी है, जबकि 17 ब्लॉकों के लिए कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा है. खास बात यह है कि पिछले एक वर्ष में सात बार भूखंडों की बंदोबस्ती निविदा निकाली गयी, लेकिन एक भी आवेदन जमा नहीं हो सका.
क्या है स्थिति : जिले में 17 पहाड़ी भूखंडों की बंदोबस्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है. दो वर्ष पहले शुरू हुई बंदोबस्ती की कार्रवाई के लिए पहली बार सुरक्षित जमा राशि 14.23 करोड़ निर्धारित थी. बंदोबस्ती के लिए आवेदन नहीं मिलने के कारण सुरक्षित जमा राशि कम करने का सिलसिला जारी रहा. दूसरी बार 10.33 करोड़, तीसरी बार 8.90 करोड़ एवं चौथी बार इससे भी कम के लिए निदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है.
क्या है अंतर : पत्थर उद्योग को लेकर सरकार की पुरानी व्यवस्था पर अगर नजर डालें तो यहां अधिकतम बोली एक एकड़ के लिए सवा करोड़ तक लगायी गयी थी. इसके बाद नयी नीतियों में 12.5 एकड़ पहाड़ी भूखंड के लिए 14.22 करोड़ की सुरक्षित जमा राशि रखी गयी. नयी नीतियों में पहाड़ी भूखंडों का जो आकार तय किया गया है उसमें एक बोली लगाने वाली फर्म को पूंजी लगानी और दिखानी पड़ती है. हालांकि वर्तमान जमा राशि 8.89 करोड़ के मुताबिक प्रत्येक एकड़ की दर से बंदोबस्ती प्रक्रिया अपनायी जाती तो पहाड़ की नीलामी पहले से महंगी नहीं है. छोटे कारोबारी समूह बना कर भी लेना चाहें तो फिलहाल किसी कंपनी को ढाल बनाना मजबूरी है.
नहीं बढ़ रहा रोजगार : जिले में रोजगार की स्थितियों पर नजर डालें तो पूर्व की व्यवस्था में लगभग 30 हजार मजदूर किसी न किसी तरह जुड़े थे लेकिन अब ऐसा नहीं है. जिले में 30 पहाड़ी भूखंडों में से 13 की बंदोबस्ती हो पायी है. इसमें भी मशीनरी के इस्तेमाल से रोजगार दरकिनार हो रहा है. खास बात यह है कि पहाड़ तो चालू हुआ लेकिन मजदूरों का पलायन आज भी नहीं रुका.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में 17 पहाड़ी भूखंडों की बंदोबस्ती करानी है. इसके लिए सात बार निविदा भी निकाली गयी है. लेकिन आज तक एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ. भूखंडों की वर्तमान सुरक्षित जमा राशि 8.89 करोड़ को और भी कम करने का प्रस्ताव भेजा गया है.
मनोज कुमार, खनिज विकास पदाधिकारी, शेखपुरा

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