शनिवार को दिघावारा में क्रार्यक्रम स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु व प्रवचन देते चैतन्य महाराज.
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ईश्वर से भी ऊपर है माता-पिता का स्थान गीता जयंती साप्ताहिक समारोह
शनिवार को दिघावारा में क्रार्यक्रम स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु व प्रवचन देते चैतन्य महाराज. दिघवारा : माता पिता दुनिया के सर्वश्रेष्ठ भगवान हैं और माता पिता की उपेक्षा व तिरस्कार कर भगवान की आराधना का कोई महत्व नहीं है. इतना ही नहीं माता व पिता का मन से दिया आशीर्वाद कभी भी व्यर्थ नहीं जाता […]
दिघवारा : माता पिता दुनिया के सर्वश्रेष्ठ भगवान हैं और माता पिता की उपेक्षा व तिरस्कार कर भगवान की आराधना का कोई महत्व नहीं है. इतना ही नहीं माता व पिता का मन से दिया आशीर्वाद कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है. उपरोक्त बातें नगर पंचायत के मालगोदाम के सामने गीता जयंती समारोह समिति द्वारा संपन्न हुए गीता जयंती साप्ताहिक समारोह के अंतिम दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के प्रवचनकर्ता प्रकाश चैतन्य ने कही.
प्रवचन के अंतिम दिन कृष्ण रक्मीणी विवाह की चर्चा हुई और सैकड़ों नगरवासी इस विवाह के साक्षी बने. कृष्ण भक्ति में डूबे श्रद्धालु भगवान कृष्ण के बाराती बने और धूमधाम से निकली बारात में हर कोई आस्था भाव से झूमता नजर आया, वहीं अधिवक्ता मुनिलाल और तारा देवी ने कन्यादान की रस्मोअदायगी को पूरा किया.
कन्यादान की भावुक बेला में कई श्रद्धालु अपनी आंसू को नहीं रोक सके. चैतन्य जी ने अपने प्रवचन के क्रम में रुकमीणी हरण की विस्तार पूर्वक व्याख्या कर हरण का वास्तविक उद्देश्य बताया.उन्होंने साफ तौर पर कहा कि संस्कारों के क्षय के बीच ईश्वर स्तुति औचित्यहीन है और ईश्वर से ऊपर भी माता पिता का स्थान है.उन्होंने \”लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जायेगा व निकला मेरा जनाजा कांधा बदल बदलकर एवं ए दो जहाँ के मालिक मुझे तू इतना बता दे आदि भजनों के सहारे हर किसी को भक्ति रस में सराबोर कर दिया.वहीं खलीलाबाद के स्वामी वैराज्ञानंद स्वामी ने कहा कि भागवतकथा भगवान के शब्दों से बना है और इसका हर शब्द अमृत के समान है और जो लोग श्रद्धा व प्रेम के साथ इस ग्रन्थ का अनुसरण करते हैं उनलोगों को ही श्री कृष्ण के स्वरुप की प्राप्ति होती है.वहीँ आमी के शिवबच्चन सिंह शिवम् ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों से लोगों की विमुखता का नतीजा है कि लोगों की नैतिकता में तेजी से ह्रास हो रहा है जो समाज के लिए चिंतनीय विषय है.
धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन से ही संस्कारों में वृद्धि संभव है.प्रवचन की समाप्ति के बाद समिति सदस्यों व थानाध्यक्ष सतीश कुमार द्वारा प्रवचनकर्ताओं को अंगवस्त्र देकर विदाई दी गयी वहीं भव्य भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें सदस्यों व स्थानीय लोगों के सहयोग से देर रात तक प्रसाद वितरण का कार्य चलता रहा.समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रसाद,सीताराम प्रसाद,राधेश्याम प्रसाद,अधिवक्ता मुनिलाल, सूर्यनारायण प्रसाद, हरिचरण प्रसाद आदि लोगों के कार्यक्रम की सफलता के लिए हर किसी के दिए गए सहयोग के प्रति आभार प्रकट किया.
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