90 फीसदी पंचायत प्रतिनिधियों की बदलेंगी सीटें आकलन. खुद की सामाजिक एवं आर्थिक सुदृढ़ता बढ़ानेवाले जनप्रतिनिधियों के आश्वासनों पर जनता की नजर कमेटियों के गठन व आम सभा बुलाने में की गयी कागजी खानापूर्तिसंवाददाता, छपरा (सदर)अप्रैल-मई में होनेवाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण प्रक्रिया के तहत 90 फीसदी पंचायत प्रतिनिधियों की सीटों की तसवीरें बदलनेवाली है. वहीं, शीघ्र ही इनका आंकड़ा भी लोगों को मिल जायेगा. ऐसी स्थिति में विभिन्न मलाईदार पदों पर कब्जा जमाने व अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने की दिशा में प्रयासरत हैं. ऐसी स्थिति में आम जन इन भावी जनप्रतिनिधियों तथा वर्तमान जनप्रतिनिधियों की कारगुजारियों व येन-केन प्रकारेण मलाईदार सीट पर कब्जा जमाने के लिए आमजनों के साथ काफी सादगी से पेश आ रहे हैं. उन्हें यह भय सता रहा है कि जनता के सहयोग के बिना उन्हें आर्थिक व सामाजिक सुदृढ़ता नहीं मिलेगी. 90 फीसदी पंचायतों में न आमसभा न समितियों का गठनपंचायती राज व्यवस्था के तहत सभी पंचायतों में विकास, कल्याण की योजनाओं के चयन के लिए अधिक-से-अधिक तीन माह तक आमसभा बुलाने के अलावा छह महत्वपूर्ण दिवसों क्रमश: 26 जनवरी, 22 अप्रैल, 1 मई, 14 नवंबर, 15 अगस्त तथा दो अक्तूबर को राष्ट्रीय दिवस मानते हुए इन दिनों को भी आमसभा आयोजित कर विकास व अन्य योजनाओं पर आम जनों से चर्चा करना था. परंतु, 95 फीसदी मुखियों या अन्य सदस्यों ने पंचायती राज व्यवस्था को नजरअंदाज कर या तो आम सभा की ही नहीं या कुछ प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड सदस्यों) से मिलीभगत कर कागजी खानापूर्ति कर ली. वहीं, पंचायतों में विभिन्न कार्यों के बेहतर निर्वहण तथा उनकी निगरानी के लिए कुल सात समितियों का गठन भी करना था. परंतु, 90 फीसदी पंचायतों में कमेटियों का गठन नहीं हुआ. वहीं, जहां गठन भी हुआ, वहां अधिकतर जगहों पर बैठक कर विधिवत निर्णय लेने के लिए मुखिया व उनके परिजनों ने अपनी मनमानी की. इन सात समितियों को करने थे ये सभी कार्य पंचायतों में विकास योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए सात कमेटियों का गठन करना था, जिनमें अधिकतम पांच सदस्य रखने थे. इनमें पंचायत सचिव या अन्य कर्मी को सचिव के अलावा एक महिला तथा एक अनुसूचित जाति का सदस्य रखना था. इनमें योजना वित्त समिति का अध्यक्ष मुखिया को ही बनना था. किसी भी पंचायत प्रतिनिधि को अधिक-से-अधिक तीन कमेटियों में रखना था. परंतु, जब कमेटी का कई पंचायतों में गठन नहीं हुआ, तो पांच वर्षों में हुए नियमानुसार कार्याें का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. सरकार के निर्देश पर बार-बार जिला पंचायत कार्यालय द्वारा इन पंचायतों के मुखियाओं से आमसभा की कार्यवाही एवं विभिन्न समितियों के कार्यों एवं गठन के बारे में जानकारी मांगी जाती रही. परंतु, अधिकतर माननीयों ने ‘न खाता, न बही, मुखिया कहे से सही’ के तर्ज पर समितियों एवं कार्यों की रिपोर्ट देने की जरूरत नहीं समझी. ग्राम कचहरी, प्रखंड पंचायत समिति व जिप में भी यही स्थितिपंचायती राज व्यवस्था के तहत आम जनों को सामान्य मुकदमे में त्वरित न्याय दिलाने के लिए सरकार के द्वारा ग्राम पंचायतों के सरपंचों को सुसज्जित कार्यालय उपलब्ध कराने के लिए राशि देने के साथ-साथ फर्नीचर, न्यायमित्र व न्याय सचिव की भी तैनाती की गयी. यही नहीं सरपंचों के साथ-साथ न्याय पगड़ी भी उपलब्ध करायी गयी परंतु, अधिकतर ग्रामीण कचहरियों में सरपंच व पंचों की उदासीनता व कारगुजारियों के कारण न्याय की यह सबसे निचली इकाई भी अपने उद्देश्यों से भटक कर आम जनों को शीघ्र व नि:शुल्क न्याय देने के बदले कमोबेश विवादों में रही. प्रखंड पंचायत समितियों व जिला पर्षद में भी अधिकतर सदस्यों ने भी जिला पर्षद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रखंडों में प्रमुख, उपप्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाने व नये को बनाने में ही सदस्यों ने ज्यादा रुचि ली. अधिकतर सदस्यों ने आम जनों की भावना को नजरअंदाज कर अपनी सामाजिक एवं आर्थिक सुदृढ़ता बढ़ाने में ही रुचि दिखायी, जो निश्चित तौर पर पंचायती राज व्यवस्था की उम्मीदों केे प्रतिकूल है. -योजना, समन्वय एवं वित्त समिति-उत्पादन समिति-सामाजिक न्याय समिति-शिक्षा समिति-लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति-लोक निर्माण समिति-निगरानी समितिकितने पद हैं जिले में-जिला पर्षद – 47-मुखिया – 323-सरपंच- 323-पंचायत समिति सदस्य- 460-वार्ड सदस्य-4580-पंच – 4580पंचायती राज व्यवस्था के तहत सरकार के द्वारा आम जनों की सुविधा के लिए पंचायतों, ग्राम कचहरियों में मुखिया, सरपंच या अन्य प्रतिनिधि के सहयोग के बीच विभिन्न कमेटियों के गठन का आदेश दिया गया. सरकार के द्वारा बेहतर परिणाम के लिए समय-समय पर इन जनप्रतिनिधियों को आवश्यक निर्देश दिया जाता है. संतोष कुमारजिला पंचायती राज पदाधिकारी, सारण
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90 फीसदी पंचायत प्रतिनिधियों की बदलेंगी सीटें
90 फीसदी पंचायत प्रतिनिधियों की बदलेंगी सीटें आकलन. खुद की सामाजिक एवं आर्थिक सुदृढ़ता बढ़ानेवाले जनप्रतिनिधियों के आश्वासनों पर जनता की नजर कमेटियों के गठन व आम सभा बुलाने में की गयी कागजी खानापूर्तिसंवाददाता, छपरा (सदर)अप्रैल-मई में होनेवाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण प्रक्रिया के तहत 90 फीसदी पंचायत प्रतिनिधियों की सीटों की तसवीरें […]
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