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पहले दिन ही जमीन की खरीद बिक्री पर दिखा प्रतिकूल असर

छपरा (सदर) : मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव के पत्रांक 3644, दिनांक 10 अक्तूबर, 2019 के बाद जिला मुख्यालय समेत सभी छह निबंधन कार्यालयों में बिना व्यक्तिगत जमाबंदी के किसी भी प्रकार की जमीन की खरीद बिक्री पर पूरी तरह रोक लग गयी. इस दौरान सोनपुर आदि कुछ प्रखंड स्तर […]

छपरा (सदर) : मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव के पत्रांक 3644, दिनांक 10 अक्तूबर, 2019 के बाद जिला मुख्यालय समेत सभी छह निबंधन कार्यालयों में बिना व्यक्तिगत जमाबंदी के किसी भी प्रकार की जमीन की खरीद बिक्री पर पूरी तरह रोक लग गयी.

इस दौरान सोनपुर आदि कुछ प्रखंड स्तर के निबंधन कार्यालयों में पांच से छह दर्जन दस्तावेज, जो पक्षकारों के द्वारा निबंधन के लिए सारी कागजी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद 9 अक्तूबर को ही दिया गया था, वे भी निबंधित नहीं हो सके. चूंकि इन पदाधिकारियों के निर्धारित समय समाप्त होने के कारण निबंधन का कार्य नहीं किया गया था.
सरकार के अपर सचिव के पत्र के अनुसार यदि किसी परिवार की संयुक्त जमाबंदी सदस्यों के नाम से है, वैसी स्थिति में परिवार का एक सदस्य जमीन की बिक्री नहीं कर सकता, जब तक जमाबंदी से संबंधित सभी पक्ष निबंधन के दौरान उपस्थित नहीं हों. वहीं फ्लैट की बिक्री के संबंध में सरकार ने यह निर्देश दिया है कि जब बिल्डर से कोई भी व्यक्ति फ्लैट की रजिस्ट्री कराता है, उस समय बिल्डर को जमाबंदी पंजी प्रस्तुत करना जरूरी नहीं है.
परंतु, जब फ्लैट खरीदने वाला व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को फ्लैट पुन: बेचना चाहता है या दान करना चाहता है तो उसे फ्लैट का होल्डिंग नंबर अवश्य होना चाहिए. जिला अवर निबंधक संजय कुमार के अनुसार सरकार के पत्र के आलोक में 10 अक्तूबर से नये नियम के अनुसार जमाबंदी पंजी आवश्यक है.
वहीं जमीन के निबंधन के दौरान जमाबंदी पंजी के साथ-साथ उसकी पृष्ठ संख्या एवं भाग संख्या के उल्लेख के अलावा जमाबंदी के कागजात की फोटो कॉपी भी लगाना अनिवार्य है. गुरुवार को आदेश आने के बाद छपरा शहर स्थिति जिला अवर निबंधक कार्यालय के अलावा सोनपुर, मशरक, एकमा, मढ़ौरा, परसा निबंधन कार्यालयों में अचानक निबंधन के कागजात की संख्या एक, दो या नगण्य हो गयी.
निर्धारित राजस्व लक्ष्य 135 करोड़ प्राप्त करना भी होगा मुश्किल : निबंधन विभाग ने वित्तीय वर्ष 19-20 में सारण जिले का वार्षिक निबंधन राजस्व का लक्ष्य 135 करोड़ निर्धारित किया है. जिसमें जिला निबंधन कार्यालय का लक्ष्य अकेले 69 करोड़ 36 लाख है.
परंतु सरकार के नये आदेश के बाद आम लोगों का मानना है कि ऑन लाइन रशिद खाताधारी के प्राप्त होने के बाद जो भी निबंधन की व्यवस्था की गयी है उससे तत्काल आमलोगों को परेशानी होगी. वहीं सारण जिले में एक तो 70 फीसदी लोगों के नाम से जमाबंदी के कागजात नहीं है, वहीं 10 फीसदी लोगों के पास जो जमाबंदी के कागजात हैं वह भी संयुक्त नाम के हैं.
ऐसी स्थिति में सरकार के द्वारा भूमि विवाद कम करने, राजस्व की स्थिति को अद्यतन करने तथा आपसी विवाद को कम करने का प्रयास तो सराहनीय है परंतु, इसका सीधा असर तत्काल जहां राजस्व पर पड़ेगा वहीं अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी अंचल कार्यालय पर जहां से लोगों को जमीन की जमाबंदी का कागज तैयार कराना है.
मालूम हो कि पूर्व में 21 सितंबर को सरकार द्वारा दो अक्तूबर से जमाबंदी की अनिवार्यता संबंधित आदेश लागू करने की आशंका के मद्देनजर पूरे सितंबर से लेकर एक अक्तूबर तक विभिन्न निबंधन कार्यालयों में देर शाम तक सामान्य से काफी ज्यादा निबंधन का कार्य हुआ. परंतु, 10 अक्तूबर को सरकार के अधिसूचना जारी होने के बाद अचानक जमीन की खरीद-बिक्री पर पहले ही दिन प्रतिकूल असर दिखा.
तरैया सीओ व कर्मियों पर लगा आर्थिक दंड
तरैया. कार्यों में लापरवाही व ऑनलाइन दाखिल-खारिज के निष्पादन में अपेक्षित रुचि नहीं लेना तरैया सीओ, डाटा ऑपरेटर व राजस्व कर्मचारियों को महंगा पड़ गया है. भूमि सुधार उपसमाहर्ता मढ़ौरा द्वारा दंडात्मक कार्रवाई करते हुए आर्थिक दंड लगाने का आदेश जारी किया गया है. बिहार लोक सेवा के अधिकार अधिनियम, 2011 के अंतर्गत वाद संख्या 02/ 2019-20 का निबटारा करते हुए डीसीएलआर ने आदेश जारी किया है.
जारी किये गये आदेश में कहा गया है कि बिहार लोक सेवा के अधिकार अधिनियम 2011 के अंतर्गत लोक सेवक सह सीओ तरैया के विरुद्ध ऑनलाइन द्वारा 83 दाखिल-खारिज जो समय सीमा के अधीन निष्पादन नहीं किया गया है और वर्ष 2018-19 से काल बाधित हो गया है. पूर्व में भी कई बार संबंधित पदाधिकारी, कर्मचारी व डाटा ऑपरेटर को चेतावनी दी गयी थी.
परंतु डाटा ऑपरेटर भी प्राप्त ऑनलाइन आवेदन का प्रिंट आउट ससमय निकालकर राजस्व कर्मचारी व अंचल निरीक्षक को उपलब्ध नहीं कराते हैं. परिणामतः एक अक्तूबर 2019 को वर्ष 2018-19 के 83 मामले में कर्मचारी लॉगिन में 77 व अंचल अधिकारी तरैया के लॉगइन में छह दिखा रहा है.
राजस्व कर्मचारी व अंचल अधिकारी तरैया द्वारा वित्तीय वर्ष ऑनलाइन दाखिल खारिज मामले में निष्पादन में अपेक्षित रुचि नहीं ली गयी है. इस प्रकार उपरोक्त मामले के काल बाधित होने में कर्मचारी, डाटा ऑपरेटर व अंचलाधिकारी, तरैया दोषी प्रतीत होते हैं. डीसीएलआर ने सो-मोटो अपील के तहत काल बाधित आवेदनों के संख्या के अनुसार बिहार लोक सेवा के अधिकार अधिनियम की धारा 7(1)(क) के संदर्भ में दंड की राशि 83 हजार रुपये निर्धारित की है.
डाटा ऑपरेटर जयप्रकाश ठाकुर को 20750 रुपये, राजस्व कर्मचारी हरेंद्र राय को 5500, योगेंद्र सिंह को 15 हजार व अजीत कुमार पांडे को 21 हजार रुपये तथा अंचल अधिकारी तरैया को 20750 रुपये उनके वेतन से कोषागार के माध्यम से वसूलने का आदेश पारित किया गया है. डीसीएलआर ने पत्र के माध्यम से इन पदाधिकारी व कर्मचारियों को सूचित किया है.
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव के पत्र के बाद दिखा असर
अपने नाम से आवंटित फ्लैट की पुन: बिक्री करने के लिए विक्रेता के नाम होल्डिंग नंबर के कागजात जरूरी

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