बनियापुर : प्रति दिन लाखों रुपये का व्यवसाय करने वाले माइक्रो फाइनेंस की नॉन बैंकिंग शाखा में सुरक्षा की दृष्टि से सशस्त्र गार्ड की बात तो दूर लाठीधारी गार्ड भी मौजूद नहीं रहते हैं. शाखा भगवान भरोसे चलती है. उक्त खुलासा गत सोमवार को उत्कर्ष स्माॅल फाइनेंस बैंक में लूट की घटना के बाद हुआ. माइक्रो फाइनेंस बैंक प्रबंधन सरकार निर्धारित तमाम सुरक्षा मानक की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी-अपनी शाखा का संचालन कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में अपराधी बड़ी आसानी से लूट की घटना को अंजाम दे देते हैं.
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बिना सुरक्षा के चल रही हैं दर्जनों शाखाएं
बनियापुर : प्रति दिन लाखों रुपये का व्यवसाय करने वाले माइक्रो फाइनेंस की नॉन बैंकिंग शाखा में सुरक्षा की दृष्टि से सशस्त्र गार्ड की बात तो दूर लाठीधारी गार्ड भी मौजूद नहीं रहते हैं. शाखा भगवान भरोसे चलती है. उक्त खुलासा गत सोमवार को उत्कर्ष स्माॅल फाइनेंस बैंक में लूट की घटना के बाद हुआ. […]
दर्जनों से ज्यादा हैं माइक्रो फाइनेंस की शाखाएं : केवल थाना क्षेत्र के मुख्य बाजार में उत्कर्ष, तराशना, बंधन, सेटिंग, पावर सहित एक दर्जन से ज्यादा माइक्रो फाइनेंस की शाखाएं संचालित होती हैं. यहां प्रतिदिन लोन के रूप में लाखों रुपये दिये जाते हैं.
लाखों की वसूली होती है. मगर सभी शाखाओं में सुरक्षा के इंतजाम नगण्य हैं. ऐसी स्थिति में कभी वसूली एजेंट से लूट की वारदात होती है, तो कभी अपराधी बैंक शाखा को ही अपना निशाना बना लूट की घटना को अंजाम दे रहे है.
सभी शाखाओं में सुरक्षा के इंतजाम नगण्य
बैंक की गैर जिम्मेदारी व लापरवाही हुई उजागर
प्रावधान के मुताबिक एक लाख रुपये से अधिक राशि ले जाने के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन से मदद लेनी है. मगर लूट की घटना में इतनी बड़ी राशि बगैर पुलिस को सूचित किये जिस लापरवाही पूर्वक ले जायी जा रही थी उसी का नतीजा था साेमवार को लूट की घटना. ऐसे इस मामले पर पुलिस प्रशासन एवं बैंक प्रबंधन अपना-अपना पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं.
एक तरफ जहां पुलिस प्रशासन कह रहा है कि इतनी बड़ी राशि ले जाने की सूचना नहीं दी गयी थी. वहीं बैंक प्रबंधन का कहना था कि पूर्व में कई बार सुरक्षा बल की मांग की गयी थी जिसे स्थानीय पुलिस प्रशासन ने उपलब्ध कराने में असमर्थता जतायी थी.
प्रवेश नहीं है वर्जित
लगभग सभी माइक्रो फाइनेंस शाखा केवल महिलाओं को ही लोन देती है. इस लिहाज से बैंक शाखा के अंदर पुरुषों का प्रवेश वर्जित होना चाहिए. मगर कार्यावधि में बैंक के अंदर पुरुषों का जमावड़ा अासानी से देखा जा सकता है. बैंक के अंदर प्रवेश पर कोई रोक-टोक नहीं रहती है और लोग बेखौफ हो अंदर-बाहर करते रहते हैं. इससे बैंक शाखा की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था लीक हो जाती है.
थाना क्षेत्र में पूर्व में भी पीएनबी जनता बाजार शाखा के कैश वैन से सवा करोड़, पीएनबी चेतन छपरा, उत्तर बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक चतुर्भुज छपरा, कोल्हुआ पावर सब स्टेशन, ममता इंडेन गैस एजेंसी सहित थाना क्षेत्र के कई सड़क मार्गों पर लूट की वारदात हो चुकी है. कई माइक्रो फाइनेंस बैंक की वसूली एजेंट से भी पूर्व में लूट की घटना हो चुकी है. इससे प्रतीत होता है कि थाना क्षेत्र अपराधियों के लिए सेफ जोन बनता जा रहा है.
सीसीटीवी कैमरे हुए नकारा
बैंक परिसर में लगा सीसीटीवी कैमरा भी अपराधियों काे सुराग देने में नकारा साबित हुआ. कारण बैंक परिसर के मुख्य गेट पर लगा सीसीटीवी कैमरा केवल बैंक में प्रवेश करने वालों को ही अपने फुटेज में शामिल करता है. इसको ध्यान में रखते हुए अपराधियों ने सीसीटीवी एरिया के बाहर घटना को अंजाम दिया. अगर सामने की तरफ सीसीटीवी कैमरा होता तो अपराधियों की गतिविधि कैमरे में कैद हो जाती. अनुसंधान में जुटी पुलिस को मामले के उद्भेदन में काफी सहूलियत होती.
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