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संगठित प्रयासों से समृद्ध होगा बिहार, लौटेगा इसका गौरव

छपरा : बिहारी होने पर हमें गर्व है. यह ज्ञान और तप की भूमि है. यहां हर संघर्ष को विराम मिलता है. शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, विज्ञान, समाजसेवा आदि प्रमुख क्षेत्रों में बिहार ने राष्ट्र का मार्गदर्शन किया है. प्रभात खबर द्वारा शुक्रवार को आयोजित ‘कैसे हासिल हो बिहार का गौरव’ विषयक परिचर्चा में समाज के […]

छपरा : बिहारी होने पर हमें गर्व है. यह ज्ञान और तप की भूमि है. यहां हर संघर्ष को विराम मिलता है. शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, विज्ञान, समाजसेवा आदि प्रमुख क्षेत्रों में बिहार ने राष्ट्र का मार्गदर्शन किया है. प्रभात खबर द्वारा शुक्रवार को आयोजित ‘कैसे हासिल हो बिहार का गौरव’ विषयक परिचर्चा में समाज के विविध क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे बुद्धिजीवियों ने अपने मूल्यवान विचारों से बिहार के गौरव को समृद्ध बनाने की परिकल्पना को साकार रूप देने का प्रयास किया.

स्थानीय रामकृष्ण मिशन आश्रम के सभागार में आयोजित परिचर्चा
को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व जेपीयू के सेवानिवृत्त प्राध्यापक
डॉ एचके वर्मा ने कहा कि बिहार कहीं से भी पिछड़ा हुआ नहीं है. हमारा अतीत गौरवशाली है. एक सकारात्मक सोच विकसित कर अपने गौरव को और भी समृद्ध बनाया जा सकता है.
प्रभात खबर परिचर्चा
सामाजिक कार्यों में युवाओं की भागीदारी हो
परिचर्चा में कल-कारखानों को विकसित कर रोजगार के अवसर बढ़ाने और युवाओं को हुनरमंद बनाने पर भी विद्वतजनों ने विचार प्रस्तुत किये. शिक्षा के पैटर्न में बदलाव, महिलाओं के सामाजिक उत्थान, सामाजिक कार्यों में युवाओं की भागीदारी, कला संस्कृति व खेल के क्षेत्र में प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करने पर भी चर्चा हुई. बुद्धिजीवियों ने एक संगठित प्रयास के माध्यम से बिहार के गौरव को समृद्ध बनाने पर सहमति व्यक्त की.
स्थानीय स्तर पर व्यवस्थित शिक्षा मुहैया कराने की जरूरत : इस परिचर्चा में शिक्षा व्यवस्था को सुगम बनाने को लेकर कई लोगों ने खुलकर राय प्रस्तुत की. शिक्षाविद विक्की आनंद, रमन सिंह, उषा श्रीवास्तव और डॉ सुरेश प्रसाद ने युवाओं का आत्मबल बढ़ाने और उन्हें स्थानीय स्तर पर व्यवस्थित शिक्षा मुहैया कराने की बात कहीं. बिहार सरकार के द्वारा सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के उद्देश्य से चलाये जा रहे कार्यक्रमों की प्रशंसा करते हुए रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी अतिदेवानंद महाराज ने बौद्धिक विचारों को आत्मसात कर एक आदर्श स्थापित करने की बात कहीं. इस अवसर पर प्रो उदयनारायण सिंह, डॉ विवि त्रिपाठी, कमलेश्वर राय, श्याम बिहार अग्रवाल, सुरभित दत्त, अभिषेक अरुण, धर्मेन्द्र रस्तोगी, विश्वजीत चंदेल, विभूति नारायण शर्मा, शंकर शरण आदि शामिल हुए.

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