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1969. 96 लाख से शहर में होगी पेयजल आपूर्ति

समस्तीपुर : शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए पहल शुरू कर दी गयी है़ प्रथम चरण में वार्ड पार्षदों से पेयजल आपूर्ति के लिए कार्ययोजना के तहत नप प्रशासन ने प्रस्ताव मांगा था़ अब नप व बिहार राज्य जल पर्षद संयुक्त रूप से शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना को मूर्तरूप देने में जुटी है़ बिहार राज्य जल […]

समस्तीपुर : शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए पहल शुरू कर दी गयी है़ प्रथम चरण में वार्ड पार्षदों से पेयजल आपूर्ति के लिए कार्ययोजना के तहत नप प्रशासन ने प्रस्ताव मांगा था़ अब नप व बिहार राज्य जल पर्षद संयुक्त रूप से शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना को मूर्तरूप देने में जुटी है़ बिहार राज्य जल पर्षद के गंगा परियोजना प्रमंडल संख्या तीन, भागलपुर के कार्यपालक अभियंता ने नप के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र भेज चयनित स्थल से संबंधित एनओसी मांगी है़ इओ ने डीइओ को पत्र भेज एनओसी की मांग की है़ फिलवक्त जिस स्थल पर डीइओ कार्यालय संचालित है, वह जमीन केसरे हिंद है़

शहर में पेयजल आपूर्ति सुगम बनाने के नाम पर कई कार्ययोजना बनायी गयी, बावजूद इसके सब धरी रह गयी थी़ अब एक बार फिर उम्मीद जगी है़ नप इओ देवेंद्र सुमन ने बताया कि शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिये डीपीआर तैयार कर तकनीकी अनुमोदन के लिये गंगा परियोजना प्रमंडल संख्या तीन, भागलपुर ने भेजा था़ विभाग द्वारा शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना के लिये 1969. 96 लाख की राशि के खिलाफ प्रशासनिक स्वीकृति भी प्रदान की जा चुकी है व निविदा प्रक्रिया भी प्रारंभ की जा चुकी है़ नलकूप व जलमीनार निर्माण के लिये डीइओ कार्यालय व बीएड कॉलेज परिसर का चयन किया गया है. 100- 100 फीट भूखंड का साइज दर्शा नप ने डीइओ कार्यालय व बीएड कॉलेज से एनओसी मांगी है़
पाइपलाइन में लीकेज, नहीं पहुंच पाता पानी
वर्तमान में पानी की जरूरत हर घर में है़ बावजूद लोगों तक पानी नहीं पहुंच पाता़ इसकी मुख्य वजह लीकेज है़ जर्जर हो चुकी पाइपलाइन में कई ऐसे लीकेज हैं, जहां से नियमित पानी बहता है़ औसत एक एमएलडी पानी यहीं से बह रहा है़ दर्जनों सार्वजनिक नल हैं. इन नलों में टोटियां नहीं लगी है़ं करीब डेढ़ एमएलडी पानी नलों से बह जाता है़ सरकार के पास पैसा भी है, योजनाएं भी और संसाधन भी, बावजूद इसके प्रतिवर्ष गहराने वाले पेयजल संकट को दूर नहीं किया जा सका है़ कहा जा सकता है कि कमजोर प्रशासनिक कार्यशैली व दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव के कारण यह समस्या जस-की-तस बनी हुई है़ पेयजल समस्या
को दूर करने के लिये एक ठोस नीति बनाने की जरूरत है.

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