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बंद है पुरुष मरीजों का ऑपरेशन

परेशानी. सदर अस्पताल में सुविधाओं का हाल छोटे मोटे ऑपरेशन के बाद बच्चा वार्ड में रखे जाते हैं पुरुष मरीज नशामुक्ति केंद्र खोले जाने के कारण जगह के अभाव में बंद हुआ पुरुष वार्ड सदर अस्पताल में बेड बढ़ाने के लिए विभाग को लिखा गया है पत्र समस्तीपुर : सदर अस्पताल में पिछले कई महीनों […]

परेशानी. सदर अस्पताल में सुविधाओं का हाल

छोटे मोटे ऑपरेशन के बाद बच्चा वार्ड में रखे जाते हैं पुरुष मरीज
नशामुक्ति केंद्र खोले जाने के कारण जगह के अभाव में बंद हुआ पुरुष वार्ड
सदर अस्पताल में बेड बढ़ाने के लिए विभाग को लिखा गया है पत्र
समस्तीपुर : सदर अस्पताल में पिछले कई महीनों से पुरुष मरीजों का गंभीर ऑपरेशन बंद है. जिससे गरीब मरीजों की जान पर बन आयी है. आर्थिक रूप से संपन्न मरीज तो निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन करा लेते हैं लेकिन गरीब मरीजों का भगवान ही सहारा है.
रोजाना कई लोग इस आस में अस्पताल पहुंचे हैं कि कहीं आज ऑपरेशन शुरू हो गई होगी. लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. सबसे बुराहाल राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्ड धारियों का है. स्वास्थ्य कार्ड के भरोसे जिंदगी की डोर बढाने वाले गरीब मरीजों का उपचार बंद है. स्वास्थ्य कार्ड उनके लिए सिर्फ खिलौना बन गया है. कार्ड धारी इस बात को लेकर भी ज्यादा परेशान हैं कि सितंबर माह में कार्ड के उपयोगिता की समय सीमा समाप्त हो जाएगी. उनके पास उतना पैसा भी नहीं है कि प्राइवेट में ऑपरेशन करा पाएंगे.
पुरुषवार्ड बंद कर खोला गया नशामुक्ति केंद्र: अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि सदर अस्पताल में ऑपरेशन के पुरुष मरीज को पुरुष वार्ड में रखा जाता था. लेकिन पुरुष बंद कर उसके स्थान में नशा मुक्ति केंद्र खोल दिया गया.
एेसी स्थिति में ऑपरेशन के बाद पुरुष मरीजों को कहां रखा जाएगा. गंभीर ऑपरेशन के बाद मरीजों कम से कम आठ दिनों तक डॉक्टर अपनी देखरेख में रखते हैं. जगह नहीं रहने के कारण ऐसा नहीं हो रहा है. ऑपरेशन के बाद मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी होती है तो इसका जिम्मेवार कौन होगा. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि छोटे मोटे ऑपरेशन किये जाते हैं कुछ देर के लिए मरीजों को बच्चा वार्ड में रखा जाता है.
ऑपरेशन बंद होने से लौट रहे हैं मरीज: सदर अस्पताल में गंभीर ऑपरेशन बंद होने से मरीजों को वापस लौटना पड़ रहा है. खास कर गरीब लोगों की दिक्कत बढ़ी हुई है.
पेट में पत्थर की शिकायत पर बिथान से रेफर हो कर सदर अस्पताल आये भोला कामत को डॉक्टरों ने बताया कि पेट में पत्थर है. ऑपरेशन करना पड़ेगा. बड़ा ऑपरेशन है डॉक्टरों की देखरेख में कम से कम आठ दिनों तक रहना पड़ेगा. लेकिन यहां पुरुष वार्ड नहीं है ऐसी स्थिति में ऑपरेशन नहीं किया जा सकता.
भोला ने बताया कि हालांकि अस्पताल में दलाल टाइप कई लोगों ने कहा कि प्राइवेट में ऑपरेशन हो जाएगा. लेकिन उसके पास डॉक्टर को देने के लिए पैसा नहीं है.
पुरुष वार्ड बंद होने से गरीब मरीज परेशान
मामले को ले विभाग से किया गया है पत्राचार
विभागीय आदेश पर पुरुष वार्ड को बंद कर नशामुक्ति केंद्र खोला गया है, अस्पताल में बेड बढ़ाने के लिए विभाग को पत्राचार किया गया है. महिला मरीजों का ऑपरेशन जारी है . पुरुष वार्ड नहीं रहने से परेशानी हो रही है. इसके लिए अस्पताल उपाधीक्षक को निर्देश दिया गया है कि वह मरीजों को रखने की व्यवस्था करें.
डॉ अवध कुमार, सिविल सर्जन, समस्तीपुर

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