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16 माह बाद भी टेंडर नहीं

अनदेखी. समस्याओं के भंवर में फंसा कर्पूरी बस पड़ाव समस्तीपुर : ले का इकलौता कर्पूरी बस पड़ाव समस्याओं के भंवर जाल में फंसा हुआ है. 16 महीने बाद में निविदा की गुत्थी नहीं सुलझ पायी है. इस वजह से एक तरफ टेंडर नहीं हो पा रहा है, तो दूसरी तरफ विकास भी अवरुद्ध है. निविदा […]

अनदेखी. समस्याओं के भंवर में फंसा कर्पूरी बस पड़ाव

समस्तीपुर : ले का इकलौता कर्पूरी बस पड़ाव समस्याओं के भंवर जाल में फंसा हुआ है. 16 महीने बाद में निविदा की गुत्थी नहीं सुलझ पायी है. इस वजह से एक तरफ टेंडर नहीं हो पा रहा है, तो दूसरी तरफ विकास भी अवरुद्ध है. निविदा नहीं होने के कारण नगर परिषद को भी हर महीने लाखों का घाटा लग रहा है. नगर परिषद द्वारा पिछले 16 महीनों से बस स्टैंड का संचालन किये जाने के कारण उसका अपना कार्य भी प्रभावित हो रहा है.
टैक्स निर्धारण को लेकर बनी है समस्या: बता दें कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में नगर परिषद द्वारा मनमाने ढंग से टैक्स निर्धारण किये जाने के कारण यह समस्या उत्पन्न हो गयी है. उक्त वित्तीय वर्ष में बंदोबस्ती की निविदा में बिना रेट खोले ही निविदा की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी. इसके विरोध के बाद प्रमंडलीय आयुक्त एवं परिवहन प्राधिकार को रेट निर्धारण के लिए भेजा गया, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी टैक्स निर्धारण नहीं हो सका.
जमकर हुआ था विरोध
निविदा के बाद संबंधित अभिकर्ता ने पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में वाहन चालकों से करीब पांच गुना अधिक राशि की वसूली शुरू कर दी थी. इसका वाहन चालक व मोटर व्यवसायी संघ ने जमकर विरोध किया था. तीन-चार दिनों तक समस्तीपुर में आवागमन पूरी तरह से ठप था. विरोध के बाद जिला प्रशासन को पहल करना पड़ा. टैक्स निर्धारण होने तक बस पड़ाव का पूर्व निर्धारित राशि के अनुसार संचालन का निर्देश दिया गया. लेकिन अभिकर्ता द्वारा मना करने के बाद मजबूरन नप को स्वयं बस पड़ाव के संचालन का जिम्मा उठाना पड़ा.
यात्री शेड में कटता है टिकट
यात्री शेड में ही नप ने अपना टिकट काउंटर खोल रखा है. टिकट काटने का जिम्मा नप के कर संग्राहक अरुण कुमार साह को सौंपा गया है. रात्रि प्रहरी प्रमोद मंडल द्वारा सुबह के चार बजे से शाम के आठ बजे तक दो शिफ्ट में वाहनों का टिकट काटा जाता है.
नहीं सुलझी निविदा की गुत्थी
नप को किराया बढ़ाने का अधिकार नहीं
नगर परिषद की मनमानी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. नियमों को ताक पर रखकर निविदा निकाली गयी थी. नप को किराया बढ़ाने का अधिकार नहीं है. इसकी बढ़ोतरी परिवहन प्राधिकार ही कर सकती है. जिले के ग्रेडिंग के अनुसार बस पड़ाव के कर का भी निर्धारण होना चाहिए.
संजय कुमार सिंह, अध्यक्ष, मो
टर व्यवसायी संघ
रेट का निर्धारण नहीं
रेट का निर्धारण नहीं होने के कारण बस पड़ाव की बंदोबस्ती नहीं हो पायी है. परिवहन प्राधिकार द्वारा ही बस पड़ाव के लिए न्युनतम बोली एवं वाहनों के प्रतिदिन फेरा व प्रति फेरा कर का निर्धारण होता है. इसको लेकर विभाग को कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन अभी तक रेट का निर्धारण नहीं हो पाया है.
देवेंद्र सुमन, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद
पिछले वर्षों हुई बंदोबस्ती की राशि
वर्ष 2013-14 35 लाख 16 हजार 900
वर्ष 2012-13 35 लाख 15 हजार 100
वर्ष 2011-12 35 लाख 14 हजार 201
वर्ष 2010-11 30 लाख 55 हजार
वर्ष 2009-10 24 लाख
वर्ष 2008-09 21 लाख 05 हजार
वाहनों की संख्या व टिकट की राशि
टेंपो 500 02 रुपये
मैजिक 150 06 रुपये
मिनी बस 50 08 रुपये
बस 150 12 रुपये
यात्री सुविधाओं का अभाव
बस पड़ाव में यात्री सुविधा का दूर-दूर तक नामों निशान नहीं है. यहां न तो रौशनी के लिए बिजली है और न ही यात्रियों के ठहरने के लिए यात्री शेड, पीने के लिए शुद्ध पेयजल और न ही सुरक्षा की उचित व्यवस्था है. पड़ाव स्थल में एक बोरिंग है जो बंद हो चुका है. अब इसमें पंक्चर ठीक करने की दुकान खुली है. एक चापाकल गाड़ा गया है, जो यात्रियों की प्यास बुझाने में नाकाफी है.दूसरी ओर शाम ढलते ही अंधेरा होने के कारण पूरा परिसर में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो जाता है.
बस स्टैंड परिसर में रौशनी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण आये दिन यात्रियों के साथ घटनाएं होती ही रहती हैं. महिला यात्री से छेड़खानी, सामान की चोरी तो आम बात है. यात्री सुविधा को लेकर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी देवेंद्र सुमन ने बताया कि बस पड़ाव में निविदा एवं उसकी साफ-सफाई का काम नगर परिषद स्वयं करती है. यात्री शेड व रौशनी की व्यवस्था का जिम्मा डूडा के पास होता है. बस पड़ाव में रौशनी की व्यवस्था के लिए जल्द ही डूडा द्वारा निविदा निकाली जायेगी. यात्री शेड का निर्माण कराया जा रहा है.

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