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वारदात. पूर्व में भी लग चुकी है मिल में आग, मिल सेक्शन में खली पानी की कमी

मिल को आधुनिकीकरण की है दरकार जूट मिल में आग लगने के बाद वहां काम कर रहे मजदूरों को रोटी पर आफत हो जाती है. कल्याणपुर : रामेश्वर जूट मिल में अगलगी की घटना नयी नहीं है. अतीत पर निगाह डालें तो पता चलता है कि यहां अगलगी का इतिहास पुराना रहा है. छोटी घटनाएं […]

मिल को आधुनिकीकरण की है दरकार

जूट मिल में आग लगने के बाद वहां काम कर रहे मजदूरों को रोटी पर आफत हो जाती है.
कल्याणपुर : रामेश्वर जूट मिल में अगलगी की घटना नयी नहीं है. अतीत पर निगाह डालें तो पता चलता है कि यहां अगलगी का इतिहास पुराना रहा है. छोटी घटनाएं तो यहां के मजदूरों के लिए आम हैं. बात तब परेशानी की हो जाती है जब आग की तेज लपट लाखों करोड़ों का नुकसान दे जाता है.
इन घटनाओं के बाद यदि सर्वाधिक नुकसान किसी को झेलना होता है तो वे हैं मिल के मजदूर. जिन्हें मिल बंद होने के कारण काम नहीं मिलता है. जिसके कारण उनके घर के चूल्हे चक्की प्रभावित हो जाते हैं. संभवत: यही वजह है कि ऐसी प्रत्येक घटनाओं के बाद इसकी रोकथाम के लिए मिल का आधुनिकीकरण कराने की आवाज उठती है लेकिन ताज्जुब है कि यह मसला भी ठंडे बस्ते में चला जाता है.
आग बुझाने की तैयारी करते कर्मी.
वर्ष 12 में 20 दिन जलती रही थी मिल
अतीत गवाह है कि वर्ष 2012 में अगलगी की घटना हुई थी. 23 मार्च को लगी इस आग की लपट 20 दिनों तक उठती रही. गोदाम में लगी इस आग को बुझाने के लिए कई जिलों से फायर दस्ते की मदद लेनी पड़ी थी. उस बार मील के गोदाम में आग लगी थी. लाखों का नुकसान हुआ था. भवन भी प्रभावित हुए.
इसमें लगातार 24 दिनों तक काम बंद रहा. आग बुझाने में होम गार्ड के जवान भी झुलस गये थे. इलाज के दौरान उसकी मौत भी हो गयी. इसके बाद बड़ी घटना वर्ष 14 में 22 अप्रैल को हुई थी. इसमें हुई अगलगी की घटना में 12 दिनों तक मिल जलता रहा. इस बार मिल के तांत सेक्शन में आग लगी थी. मिल का काम 20 दिनों तक ठप रहा था.

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