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इंतजार में बीते आठ साल

समस्तीपुरः जिले में निवास करने वाली करीब 45 लाख की आबादी 20 प्रखंडों के 381 पंचायतों में फैली है. जिसे मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए वादे, इरादे व दावे किये जाते रहे हैं. लेकिन इसमें फिलवक्त कई गांव व टोले ऐसे हैं जहां अब तक बिजली तो दूर खंभे तक नहीं पहुंचे. कहीं खंभे […]

समस्तीपुरः जिले में निवास करने वाली करीब 45 लाख की आबादी 20 प्रखंडों के 381 पंचायतों में फैली है. जिसे मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए वादे, इरादे व दावे किये जाते रहे हैं. लेकिन इसमें फिलवक्त कई गांव व टोले ऐसे हैं जहां अब तक बिजली तो दूर खंभे तक नहीं पहुंचे. कहीं खंभे लगे भी तो उसमें तार और विद्युत प्रवाह के इंतजार में 8 साल गुजर चुके हैं. लेकिन लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हुई. पंकज राम (भानपुर दसौत शिवाजीनगर) : मेरी उम्र 23 वर्ष हो चली है. बिजली का सुख क्या होता है अब तक यहां के लोग नहीं जान सके.

ललन कुमार ठाकुर (लोदीपुर बेगूसराय) : खंभे लगे. तार टंगा. घर-घर मीटर भी चढ़ गया. लेकिन अब तक लोग कनेक्शन के इंतजार में हैं.आयुष कुमार (रामपुर जलालपुर, दलसिंहसराय) : बिजली के लिए आवेदन दिया. आसपास में बिजली है. लेकिन नोनफर, टांरा समेत कई टोले के लोगों को बिजली नसीब नहीं हो रही है. विनोद कुमार (उपप्रमुख, हसनपुर) : कसिया टोले के करीब 15 सौ परिवार बिजली की सुविधा से वंचित हैं. इन परिवारों ने बीपीएल के तहत आवेदन दे रखा है. विभाग के अधिकारी बताते हैं कि श्यामा पावर वाले कार्य को मूर्त रुप देंगे. परंतु कंपनी वाले भी कोई पहल करते नहीं दिख रहे हैं. सुनील कुमार (चीनी मिल हसनपुर) : सकरपुरा के लोग वर्षो से बिजली के लिए तरस रहे हैं. विभाग के अधिकारी कहते हैं कनेक्शन के लिए 1 पोल की जरुरत है. खुद लगवाई तब कनेक्शन मिलेगा. अनुज कुमार सिंह (ठकनटोली कल्याणपुर) : गांव के लोग अर्से से बिजली के इंतजार में है. लेकिन यह कब समाप्त हो गया यह पता ही नहीं चलता. बिजली आपूर्ति की दिशा में कोई पहल नहीं हो रही है.

निरंजन कुमार ठाकुर (सेदुखा खानपुर) : वारिंग हुए 6 महीने से अधिक समय बीत गया. लेकिन अब तक विद्युत आपूर्ति नहीं की जा रही है. पूछने पर कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं हो रहा है. अमित कुमार (कल्याणपुर उत्तर विभूतिपुर) : खंभा लगे 2 साल बीत गये. न तो ट्रांसफार्मर लगा और न ही तार टंगे.

संजय यादव (रुपौली बनघारा) : खंभा लग गया. लेकिन तार नहीं टंगा. विभाग दौड़ते दौड़ते अब थक गये हैं. कोई सुनने वाला नहीं है. शिवजन सदा (काकरघाट) : बिजली कभी आयी ही नहीं. आयेगी भी कैसे, न तो खंभे लगे और न कभी तार टंगा. ऋषिकेश पांडेय (नरहन विभूतिपुर) : चौक तक खंभा आ चुका है. बिजली भी है. लेकिन गांव के करीब 6 सौ घर बिजली विहीन बने हुए हैं. सन्नी कुमार (बभनगामा) : गांव में बिजली है. लेकिन वार्ड 1 वाले को नसीब नहीं हो रहा है. जिसके कारण 5 घर सुविधा से वंचित हैं.मुकेश कुमार पासवान (मधुबन सरायरंजन) : कभी बिजली नहीं आयी. विभाग के अधिकारी इस दिशा में जमीन पर कोई पहल नहीं करते दिख रहे हैं.

मो. अशीश (महेशपट्टी) : बिजली पहुंचने का कोई साधन ही नहीं है. कभी बिजली नहीं मिली. राहुल कुमार (अजनौल) : बिजली के लिए डीएम से सीएम तक आवेदन दिया. लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला. कुछ दिन पहले एक सज्जन आत्मदाह करने की घोषणा की तो अधिकारियों का हुजूम पहुंच कर उन्हें यह कह कर मना लिया कि जल्द पहल होगी. इसके भी कई महीने बीत गये.

सुमन कुमार सिंह (सहियार डीह) : गत वर्ष पोल की स्वीकृति मिली. 6 दिसंबर 12 को. लेकिन अब तक खंभे नहीं पहुंचे. मनोज कुमार (रुपौली, सरायरंजन) : 8 वर्ष से खंभे लगे हैं. लेकिन तार नहीं टंगा. शंभू चौधरी (अजनौल दलसिंहसराय) : वार्ड 10 में बिजली नहीं है. 29 नंबर गुमती के निकट तक बिजली पहुंच चुकी है. इसके आगे के लोग इससे वंचित हैं.

प्रकाश कुमार सिंह (माहे सिंघिया) : दो साल पहले खंभे गड़े. ट्रांसफार्मर भी लग चुका है. लेकिन अब तक घरों में बिजली नहीं पहुंची.

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