धान, तोरी, गन्ना, सब्जी व तंबाकू को काफी क्षति
समस्तीपुर : जैसे–जैसे मौसम साफ हो रहा है ‘फैलिन’ के प्रभाव से आये तूफान व भारी बारिश से हुए नुकसान का आकलन शुरू हो गया है. चक्रवात ने खास तौर से खेती–बाड़ी को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है. जिसमें सर्वाधिक क्षति धान, तोरी, तंबाकू व सब्जी को पहुंचा है.
अनुमान के मुताबिक मोटे तौर पर करोड़ों रुपये के नुकसान की जुबानी बातें कही जा रही है. हालांकि आधिकारिक तौर पर नुकसान के आकलन का खुलासा अब तक नहीं किया गया है. जिससे स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. बताते चलें कि सूखे की स्थिति के बावजूद जिले में 50 फीसदी से अधिक खेतों में धान की रोपाई हुई थी. विपरीत मौसम के बीच धान की फसल गाभा और बाली की अवस्था तक पहुंच चुकी थी.
परंतु तेज हवा के साथ भारी बारिश ने पौधों को जमीन में सुला दिया. जिससे धान के उपज पर विपरीत असर पड़ना तय माना जा रहा है. सूखे के कारण खाली पड़ी जमीन में किसानों ने सब्जी की खेती कर उसकी भरपाई करने का प्रयास किया. लेकिन जमीनी हकीकत है कि जब पौधे फल देना आरंभ किया ही था कि भारी बारिश ने उसे गलाना शुरू कर दिया है.
जिसके कारण जिले में करीब 12 हजार हेक्टेयर भूमि में होने वाली सब्जियों की खेती को नुकसान पहुंचा है. इसमें खास तौर से भिंडी, फूल गोवी, मूली, साग, कद्दू, करैला, नेनुआ जैसी सब्जियां बर्बाद हो गयी है. इसी तरह करीब 9 हजार हेक्टेयर भूमि में लगी तोरी की फसल को पूरी तरह से क्षति पहुंचा है.
सरैसा का इलाका होने के कारण जिले के विभिन्न हिस्सों में करीब 3 हजार हेक्टेयर भूमि में होने वाले तंबाकू की खेती को क्षति पहुंची है. किसानों के मुताबिक सूखे के कारण पौधे आरंभिक चरण में ही लगा दिये गये. लेकिन भारी बारिश के कारण खेतों में जमा पानी ने उसे गला दिया है.
जिससे उनकी पूंजी डूब गयी है. किसानों के मुताबिक करोड़ों रुपये मूल्य के तंबाकू उत्पादन पर अब ग्रहण सा लगता प्रतीत हो रहा है. जिससे किसानों को नकदी के लिए आगे तरसना पड़ सकता है. इस सब के बीच अपर समाहर्ता आपदा महिपाल सिंह का कहना है कि जिला प्रशासन आंधी पानी के कारण फसलों को पहुंची क्षति का आकलन कर कृषि विभाग से रिपोर्ट मांगी गयी है.
इधर, जिला कृषि पदाधिकारी संतोष कुमार उत्तम का कहना है कि प्राकृतिक आपदा के बाद सभी बीएओ को पंचायतवार फसल क्षति की सूची तैयार कर 19 अक्तूबर तक सौंपने का आदेश दिया गया है. इसमें फसल वार हुई क्षति का प्रतिशत अलग से मांगा गया है. ताकि 21 अक्तूबर को राज्य सरकार को क्षति से पूरी तरह अवगत कराया जा सके.