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हर चेहरे पर था खौफ का मंजर

समस्तीपुर : समस्तीपुर में विगत दो दिनों से आये भूकंप से जान माल की भारी क्षति तो नहीं हुई है. लेकिन, भूकंप के झटके को देख चुके लोग आज भी बदहवास हैं. विगत 48 घंटों में प्राकृतिक आपदा ने जो अपना विकराल रूप दिखाया उससे सभी सहमे हुए कुछ इस कदर आपबीती बयां कर रहे […]

समस्तीपुर : समस्तीपुर में विगत दो दिनों से आये भूकंप से जान माल की भारी क्षति तो नहीं हुई है. लेकिन, भूकंप के झटके को देख चुके लोग आज भी बदहवास हैं. विगत 48 घंटों में प्राकृतिक आपदा ने जो अपना विकराल रूप दिखाया उससे सभी सहमे हुए कुछ इस कदर आपबीती बयां कर रहे थे.
धरती कांप रही थी, हमलोग भाग रहे थे
पूसा प्रखंड के बिरौली कॉलेज में शिक्षक पद पर तैनात राजेश कुमार व इनका पूरा परिवार भूकंप का नाम सुनते ही चौंक जाते हैं. दो दिनों तक भूकंप के कई झटके महसूस कर चुके श्री कुमार ने बताया कि जब-जब धरती में कंपन महसूस होता है तो हमलोग सीधे सड़क की ओर अपना रुख करते थे. सड़कों पर अफरा तफरी और चिख पुकार सुनाई देती थी.
इनके छोटे भाई दीपक कुमार का कहना था कि रविवार को जब दोबारा भूकंप आया तो पहले तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि दोबारा भी भूकंप आ सकता है. लेकिन, भूकंप के कंपन ने विश्वास को डगमगा दिया. उन्होंने बताया कि जब पूरा परिवार एक साथ रहता है तो संयुक्त रूप से किसी भी परिस्थिति का सामना करते हुए सुरक्षित रहने की जगह तलाशता है.
वहीं इनके छोटे-छोटे बच्चों ने बताया कि शनिवार का झटका बड़ा डरावना था. हमलोग स्कूल में पढ़ रहे थे. जैसे ही शिक्षक ने बताया कि भूकंप के झटके आ रहे हैं तो हमलोगों के अंदर भय पैदा हो गया. हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि अब भूकंप के झटके महसूस न हो.
जीवन का दूसरा बड़ा था झटका
अभी हाल में ही श्रीकृष्णापुरी इलाके में घर निर्माण कर निवास कर रहे सेवानिवृत्त शिक्षक बलराम शर्मा ने बताया कि सन् 1934 के बाद 25 अप्रैल को भूकंप का दूसरा बड़ा झटका अब तक के जीवन में महसूस हुआ. कुछ देर और कंपन होता तो हर तरफ प्रलय ही प्रलय नजर आता.
उन्होंने बताया कि पूर्व में आये भूकंप केझटकों से सीख लेते हुए उन्होंने जो घर निर्माण कराया है वह भूकंपरोधी है. लेकिन, भूकंप के झटके जब आभास होता है तो एक अलग ही डर समा जाता है. इनके चिकित्सक पुत्र चंदन ने बताया कि जब पहली बार भूकंप का कंपन महसूस हुआ तो उस वक्त घर में खाना बनाने का कार्य जारी था. भाभी घर में खाना आधा अधूरा ही बनाकर ही बाहर निकल आयी.
वहीं इनके पोते व पोतियों ने बताया कि होश संभालने के बाद इस तरह का झटका उनके अब तक के जीवन में पहली बार लगा. हमलोग जिस टेबल पर पढाई कर रहे थे वह टेबल व उसपर रखे कॉपी किताब कांपने लगे. टीवी में जैसा दिखाया जाता है वैसा ही सब कु छ हुआ.
बदहवास अवस्था में एक दूसरे को देख रहे थे..
धर्मपुर निवासी सह व्यवसायी फैसल मंसूर अपने व्यवसाय से जुड़े कार्यो से जा रहे थे. इसी क्रम में उन्हें भूकंप के झटके महसूस हुये. पहले तो उन्हें लगा कि कहीं यह मेरा वहम तो नहीं हैं.
लेकिन, पल भर में ही सड़क पर उतर रहे लोगों को देख वे भी अपनी बाइक से उतर सुरक्षित स्थान पर खड़े हो गये. श्री मंसूर ने बताया कि सड़क पर बदहवास अवस्था में लोग एक दूसरे को देख रहे थे. लेकिन, हम उनकी परेशानी को दूर नहीं कर सकते थे.
कंपन के थमते ही उन्होंने अपने परिजनों को फोन से संपर्क साध कुशल क्षेम पूछा. उन्होंने बताया कि विगत दो दिनों से धर्मपुर स्थित न्यू कॉलोनी में बने मस्जिद के बगल वाले दो मैदान में उपरी व दूसरे तल्ले पर रहने वाले लोग डर से सो रहे हैं.
वहीं घरों को खुला छोड़ दिया जा रहा है. रविवार की रात करीब 10 बजे के आसपास जब कंपन महसूस हुआ तो उनके बच्चे भी हमलोगों के चेहरे को देख सहम से गये. बच्चों के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. काश, इस तरह के खौफ का मंजर ना देखने को मिले.
फर्श जैसे दाएं से बाएं हो रहा था..
वीरकुंवर सिंह कॉलोनी निवासी सह गुरुकुल के सचिव मिनेश कुमार का कहना था कि शनिवार को जब तेज गति से भूकंप आया तो लग रहा था फर्श जैसे दायें से बायें की ओर जा रहा हो. टीवी स्टैंड भी थरथरा रहा था. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे धरती इधर से उधर हो जायेगी. जिधर नजर जा रही थी, उधर सब कुछ कांपता नजर आ रहा था.
इनकी माताजी मंजू देवी ने बताया कि झटके जैसे ही कम हुये मैंने अपनी बेटी का हाल जानने का प्रयास किया. लेकिन, मोबाइल नेटवर्क ठप होने से बात नहीं हो पायी. शनिवार को हुये भूकंप से जुड़े अनुभव को बताते हुए कहा कि बिजली के पोल, तार, पेड़ सभी डोल रहे थे. पूरा परिवार भूकंप रुकने का इंतजार कर रहा था. लेकिन, कुछ एक घंटे बाद फिर से कंपन महसूस होता रहा. ईश्वर इस तरह के कंपन से जग को बचाये.

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