समस्तीपुर : जिले में इस वर्ष अबतक कालाजार के 87 मरीजों को चिह्नित किया गया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से फैलाये जा रहे जागरूकता के कारण पिछले कुछ वर्षों में मरीजों की संख्या में गिरावट देखी गयी है. विभाग की ओर से जिले के सभी प्रखंडों में कालाजार की रोकथाम को लेकर घरों में छिड़काव कराया जा रहा है.
सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल दलसिंहसराय व रोसड़ा में कालाजार के मरीजों के इलाज की व्यवस्था है. इसके अलावे जिले में कहीं भी कालाजार के मरीज चिह्नित होते हैं, तो प्राइवेट डॉक्टरों को भी कालाजार मरीज को सदर अस्पताल भेजना है. दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार बुखार होने पर भी कालाजार होने की आशंका होती है. सदर अस्पताल में इसके लिए जांच की सुविधा उपलब्ध है.
छिड़काव के प्रति जागरूकता की अपील : जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि छिड़काव व जागरूकता के कारण ही कालाजार के मरीजों की संख्या में साल दर साल गिरावट दर्ज की जा रही है. साल में दो बार गांवों में दवा का छिड़काव कराया जाता है. कुछ गांवों में अभी भी जागरूकता के अभाव के कारण दवा का छिड़काव करने वाले कर्मियों को घरों में छिड़काव करने से मना कर दिया जाता है. उन्होंने लोगों से छिड़काव के दौरान कर्मियों की मदद करने की अपील की. कहा, बालू मक्खी घर में कोने में छिपे होते हैं. दवा के छिड़काव से ही उन्हें मारा जा सकता है.
कालाजार बीमारी सेंड फ्लाई (बालू मक्खी) के काटने से होता है. बालू मक्खी घर में नमी वाले स्थान पर पनपता है. दिन में यह मक्खी दीवारों व जमीन में दुबक जाता है और रात के समय सक्रिय होता है. इस मक्खी के काटने के बाद लोगों को चुभन महसूस होता है. यदि उसी व्यक्ति को दोबारा मच्छर काटता है. वहीं मच्छर दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो उसे भी कालाजार होने की आशंका होती है.
सरकार की ओर से इलाज के साथ मिलता है अनुदान : मरीज में कालाजार की पुष्टि होने पर सरकार की ओर से मुफ्त इलाज व मुख्यमंत्री कालाजार सहायता योजना से मरीज को सहायता दी जाती है. कालाजार के मरीज को 66 सौ रुपये दिये जाते हैं.
कालाजार को लेकर जिले में किया जा रहा छिड़काव
पांच वर्षों से लगातार कालाजार मरीजों की संख्या में आयी कमी
वर्षवार मरीजों का आंकड़ा
2013 500
2014 300
2015 248
2016 155
सितंबर 2017 तक 87
कालाजार मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है. गांवों व चिह्नित प्रखंडों में दवा का छिड़काव कराया जा रहा है. लाेगों के भीतर जागरूकता लाने की आवश्यकता है.
डॉ. विजय कुमार, जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, सदर अस्पताल समस्तीपुर