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जांच की आंच ठंडी, खुले में बिक रहा खाना
समस्तीपुर : अपराह्न सवा दो बजे थे, प्लेटफॉर्म पर पवन एक्सप्रेस रुकी. लंबे सफर में भूखे यात्री सामने लगे स्टॉल पर खाना खरीदने लगे. दुकानदार हाथ से खाने पर बैठी मक्खियां भगा सामान देता रहा. यह नजारा एक दिन का नहीं बल्कि रोज का है. भूख मिटाने को यात्री बीमारी खरीदने को मजबूर हैं. स्टेशन […]
समस्तीपुर : अपराह्न सवा दो बजे थे, प्लेटफॉर्म पर पवन एक्सप्रेस रुकी. लंबे सफर में भूखे यात्री सामने लगे स्टॉल पर खाना खरीदने लगे. दुकानदार हाथ से खाने पर बैठी मक्खियां भगा सामान देता रहा. यह नजारा एक दिन का नहीं बल्कि रोज का है. भूख मिटाने को यात्री बीमारी खरीदने को मजबूर हैं. स्टेशन पर यात्रियों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है.
प्लेटफॉर्म पर एक तरफ मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं, वहीं खुले में भोजन बेचा जाता है. अधिकारियों की जांच के बाद कुछ दिन तक व्यवस्था ठीक रहती है, उसके बाद वेंडरों की फिर वही टेढ़ी चाल हो जाती है. यात्रियों को भोजन नहीं बल्कि बीमारी बेची जा रही है. ट्रेनों के आने-जाने के दौरान ट्रैक पर गंदगी हो जाती है, वहां की मक्खियां वेंडरों द्वारा खुले में रखी खाद्य सामग्री पर बैठती है.
वहीं सामान यात्रियों को बेचा जाता है. यात्री मजबूरी में सामान खरीदते हैं. इस संबंध में स्टेशन प्रबंधक विजय सिंह ने बताया कि समय समय पर अभियान चलाकर वेंडरों के द्वारा बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों की जांच की जाती है. जल्द ही फिर से अभियान चलाया जायेगा. नियमानुकूल नहीं मिलने पर कार्रवाई की जायेगी.
रेलवे के यह है मानक : रेलवे के मानकों के मुताबिक भोजन बेचने वाले वेंडर को वर्दी में होना चाहिए. उसकी नेम प्लेट वर्दी पर रहनी चाहिए. खाना बनाने वाले और परोसने वाले का रेलवे अस्पताल से मेडिकल होना अनिवार्य है. पका हुआ भोजन खुले में नहीं रखना चाहिए. स्टॉल और ठेला वालों का लाइसेंस व शिफ्टवार ड्यूटी अनिवार्य की गयी है. रेट लिस्ट ऐसी जगह हो, जहां यात्री आसानी से उसे देख सकें पर ये सब नियम कागजों में ही कैद दिखाई देते हैं.
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