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अब गांजा की हो गयी मंडी!

कई बार प्रशासन ने अवैध रूप से बिक रहे गांजा किया है बरामद सहरसा सिटी : शहर का मुख्य बाजार डीबी रोड से सटा मछली मार्केट अवैध कारोबारियों का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है. यह हम नहीं, बल्कि जिला प्रशासन द्वारा कई बार अवैध रूप से बिक रहे अवैध सामग्री की बरामदगी ने इसकी […]

कई बार प्रशासन ने अवैध रूप से बिक रहे गांजा किया है बरामद

सहरसा सिटी : शहर का मुख्य बाजार डीबी रोड से सटा मछली मार्केट अवैध कारोबारियों का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है. यह हम नहीं, बल्कि जिला प्रशासन द्वारा कई बार अवैध रूप से बिक रहे अवैध सामग्री की बरामदगी ने इसकी पुष्टि कर दी है. समय-समय पर प्रशासन द्वारा छापेमारी के दौरान अवैध रूप से बिक रहे गांजा की बरामदगी से स्पष्ट होता है कि स्थानीय लोगों के बीच कुछ असामाजिक तत्व इस तरह का कार्य कर बाजार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं

इसके लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी प्रशासन का सहयोग देकर इस तरह के व्यवसाय व व्यक्ति को समाज के सामने लाकर विरोध करना होगा. हालांकि बाजार प्रवेश करने के बाद कंपीटिशन के लिए बुक स्टॉल, इंटरनेट कैफे व अन्य दुकान देख इन कारोबार का सहज अंदाजा लगाना मुश्किल है. फॉर्म भरने व रिजल्ट देखने के साथ दुर्लभ किताबें खरीदने शहर के अधिकांश छात्र यहां पहुंचते हैं. ठीक इसके विपरीत अवैध कारोबार भी यहां काफी फल-फूल रहा है.

गांजा का सुरक्षित ठिकाना
रविवार की रात सदर थाना पुलिस द्वारा भारी मात्रा में गांजा की बरामदगी ने स्पष्ट कर दिया है कि बाजार में सब कुछ ठीक नहीं है. गांजा के अवैध कारोबारी अपना पांव पसार चुके हैं. जो न तो समाज के लिए शुभ संकेत है और न ही प्रशासन के लिए. इससे पूर्व भी पुलिस प्रशासन कई बार बाजार में बिक रहे अवैध गांजा को बरामद कर चुकी है. रविवार की रात पुलिस द्वारा की गयी छापेमारी के बाद स्थानीय लोगों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है.
नीय लोगों ने बताया कि यह तो सिर्फ बानगी है, यदि प्रशासन सख्ती से बरामदगी का प्रयास करें, तो कितना गांजा बरामद होगा कहना मुश्किल है. लोगों ने बताया कि कुछ लोग बाजार को बदनाम करने पर तुले हुए हैं.
केरोसिन का भी होता है कारोबार
गांजा तो गांजा केरोसिन का भी अवैध कारोबार वर्षों से जिला प्रशासन की नाक के नीचे बदस्तूर जारी है. ऐसी बात नहीं है कि इन कारोबार से जिला प्रशासन अनभिज्ञ है. जानकारी होने के बाबजूद कोई इस पर रोक लगाने की जहमत नहीं उठा पाते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये कारोबारी सरकारी दर से दो-तीन गुणा ऊंची कीमत पर बेचते हैं. इतना ही नहीं तेल की तौल भी कम ही रहती है. यदि कोई खरीददार ऊंची कीमत व कम तौल का विरोध करता है तो अवैध कारोबारी उनसे उलझने तक से पीछे नहीं रहते हैं, जिसके कारण लोग इन अवैध कारोबारियों से जल्दी मुंह लगाना नहीं चाहते है. वहीं इन कारोबारियों पर प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होने से इनका हौसला बुलंद होते जा रहा है. सूत्रों के अनुसार आम लोगों की सुविधा के लिए विभिन्न वार्ड व पंचायत में मिलने वाली केरोसिन ही बाजार में किसी न किसी ढंग से पहुंचता है. यदि जिला प्रशासन सही ढंग से मामले की जांच करे तो कई सफेदपोश का चेहरा सामने आ सकता है.

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