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शहर में जाम से शहरवासी सांसत में

गंगजला और बंगाली बाजार ढाला, शहर में दो ऐसे मुख्य स्थान हैं, जहां से शहर की सांस को दबोचने का काम होता है. यहां से लगने वाले जाम का आलम ऐसा होता है कि शहर का कोई चौक चौराहा इससे अछूता नहीं रहता. नतीजतन जाम से शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. सहरसा […]

गंगजला और बंगाली बाजार ढाला, शहर में दो ऐसे मुख्य स्थान हैं, जहां से शहर की सांस को दबोचने का काम होता है. यहां से लगने वाले जाम का आलम ऐसा होता है कि शहर का कोई चौक चौराहा इससे अछूता नहीं रहता. नतीजतन जाम से शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

सहरसा : बंगाली बाजार में ओवरब्रिज और गंगजला में ओवरब्रिज नहीं तो अंडर पास बनाने के महत्व को जानते हुए भी अनदेखी की जा रही है. इस बीच पर्व-त्योहार के मौसम व चुनावी काम काज के कारण सड़कों पर लोगों व वाहनों की आवाजाही बढ़ गयी है. ऐसे में रोज घंटों जाम के चंगुल में फंसने को मजबुर हो रहे हैं. जिसके कारण नोंक-झोंक, लात जूते चलना सामान्य सा होता जा रहा है. कारण भी है शहर में रोज लगने वाला जाम आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. आलम यह है कि जो पांच मिनट के काम के लिए भी घर से बाजार निकलता है, अधिकांश वक्त दो घंटे से कम समय में वापस नहीं लौट पाता. इससे लोगों में आक्रोश भरता जा रहा है, बेबस हो प्रशासन की नकारा नीति को कोसने को मजबूर लोगों का गुस्सा कभी भी जाम के कारण फट सकता है. हालांकि जाम लगने के बाद ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता दिखने लगी है. लेकिन संकुचित हो रहे शहर में लगातार बढ़ती जा रही भीड़ व अतिक्रमण के कारण वे भी बेबस नजर आते हैं.

लगभग रोज शहर में जाम की स्थिति ऐसी ही बनी रहती है. बाजार में भीड़ के बढ़ने के बाद एक दर्जन और जवानों को ट्रैफिक नियंत्रण के काम में लगाया गया है. लेकिन रेलवे ढाला के गिरने के बाद इन जवानों के हाथों में भी कुछ नहीं रह जाता.

सवारी हो या मालगाड़ी, लगाती है जाम

सिंगल रेल ट्रैक पर कई गाड़ियों के परिचालन से ट्रैक जाम की बात तो सभी जानते हैं, लेकिन रेलगाड़ियों की वजह से शहर की सड़कों पर घंटों जाम लगा रहता है. जिसमें होती है गाड़ियों की कतार और उसमें फंसे होते है हजारों लोग. चाहे मालगाड़ी का आगमन हो या प्रस्थान या फिर सवारी व एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन. इनसे जहां रेलवे को करोड़ों का मुनाफा होता है, वहीं स्थानीय लोगों का बहुमूल्य समय इन ट्रेनों से लगने वाले जाम में ही बीत रहा है.

एक ट्रेन के गुजरने के दौरान लगभग बीस से पच्चीस मिनट तक बैरियर गिरा होता है. तब तक तो पूरा शहर जाम की गिरफ्त में कराहने लगता है.

दुकानदार भी नहीं हैं कम. शहर के अति व्यस्त सड़कों वीआईपी रोड, बंगाली बाजार, डीबी रोड, गंगजला चौक, नगरपालिका चौक, थाना चौक, दहलान चौक एवं गांधी पथ में लगने वाले सड़क जाम की वजह से जिदंगी दौड़ने के बजाय रेंगती हुई नजर आती है. जाम से निकलने के प्रयास में वाहनों को आड़ा तिरछी कर निकालने की कतारें जाम को खत्म करने की जगह परेशानी को और बढ़ा देती है. इसके अलावा दुकानदारों द्वारा सड़कों का अतिक्रमण और लोगों द्वारा सड़कों पर गाड़ी पार्क करने के कारण भी जाम तेजी से फैल जाता है. जिला प्रशासन द्वारा दुकानदारों से अवैध कब्जा हटाने की अपील की गयी थी. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

ओवरब्रिज व अंडरपास से होगा समाधान. शहर के बंगाली बाजार रेलवे ढ़ाला एवं गंगजला रेलवे ढ़ाला पर ओवरब्रिज के निर्माण के बाद ही लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है. बंगाली बाजार रेलवे ढ़ाला पर तो ओवरब्रिज जरूरी है, लेकिन गंगजला चौक पर बड़ी गाड़ियों के प्रवेश को निषेघ कर यहां अंडरपास बनाना चाहिए. इसके बाद ही सहरसा जंक्शन से खुलने वाली रेलगाड़ियों के कारण से सड़क पर चलने वाला यातायात प्रभावित नहीं होगा.

सिस्टम में है दोष . गंगजला रेलवे ढ़ाला से लगभग सौ फीट पूर्व ही रेल इंजन शंटिंग कर ट्रैक बदलती है और वापस स्टेशन चली जाती है. लेकिन ढाला गिरने के ट्रैकिंग सिस्टम में दोष रहने के कारण बंगाली बाजार ढाला गिरने के साथ ही गंगजला ढाला को भी गिरा दिया जाता है.

निरीक्षण को पिछले साल आये सीसीए व अन्य अधिकारियों ने भी स्वीकार किया था कि ट्रैकिंग सिस्टम में थोड़े सुधार से गंगजला रेलवे ढ़ाला को बेवजह बेवजह बैरियर के गिरने से मुक्ति मिल सकती है. अधिकारियों ने तीन दिनों के अंदर सिस्टम में सुधार समस्या समाप्त कराने का आदेश संबंधित अधिकारी को भी दिया था. लेकिन इसके बाद डीआरएम ने स्पष्ट करते कहा था कि इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता है. क्योंकि फाटक का गिरना और उठना कोलकाता नियंत्रण कक्ष से तय होता है. जिसका पालन करना आवश्यक है.

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