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डीएम साहब, आपसे ही है उम्मीद, संवार दीजिए बाजार

डीएम साहब, आपसे ही है उम्मीद, संवार दीजिए बाजार प्रभात खासबदहाल है शहर का सुपर बाजारप्रशासनिक उदासीनता का शिकार बना मार्केट कांम्प्लेक्स अतिक्रमणकारी कर रहे हैं अवैध कब्जा सहरसा नगर जिले के युवा बेरोजगारों को रोजगार के लिये प्लेेटफॉर्म मुहैया कराने के उद्देश्य से शहर के मध्य में तत्कालीन डीएम सुरेंद्र मोहन सिंह के प्रयास […]

डीएम साहब, आपसे ही है उम्मीद, संवार दीजिए बाजार प्रभात खासबदहाल है शहर का सुपर बाजारप्रशासनिक उदासीनता का शिकार बना मार्केट कांम्प्लेक्स अतिक्रमणकारी कर रहे हैं अवैध कब्जा सहरसा नगर जिले के युवा बेरोजगारों को रोजगार के लिये प्लेेटफॉर्म मुहैया कराने के उद्देश्य से शहर के मध्य में तत्कालीन डीएम सुरेंद्र मोहन सिंह के प्रयास से बनवाया गया सुपर बाजार विकास व ग्लोबल मार्केटिंग की दौड़ में काफी पीछे रह गया. मालूम हो कि वर्तमान में देश के बड़े महानगरों में प्रचलित मॉल कल्चर व नागरिक सुविधा जरूरत बन गयी है. सुपर बाजार की परिकल्पना तत्कालीन डीएम द्वारा 26 वर्ष पूर्व 11 जून 1989 में ही की गयी थी. लेकिन उस सपने को पूरा करने की दिशा में उसके बाद प्रयास नहीं किया गया. ज्ञात हो कि इन दिनों स्थानीय लोगों द्वार बांस व बल्ले से सुपर बाजार की जमीन को घेर कर खुलेआम अतिक्रमण भी किया जा रहा है. प्रशासनिक उपेक्षा का शिकारसुपर बाजार के निर्माण व स्थापना के बाद जिला प्रशासन द्वारा नये व्यवसायियों को आश्वस्त किया गया था कि सुपर बाजार के सामने बने लोक बाजार में सब्जी मार्केट, मछली बाजार को शिफ्ट कर दिया जायेगा. इसके पीछे तर्क दिया गया था कि शहर में अन्यत्र लगने वाली सब्जी मंडी के यहां शिफ्ट हो जाने से रोजाना सुपर बाजार में लोगों की आवाजाही बढ़ जायेगी. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से सुपर बाजार लोगों को लुभाने में असफल रहा. कुछ दुकानदारों ने इधर का रूख भी किया, लेकिन प्रशासन की उदासीनता और अनिर्णय की स्थिति ने स्थायी बाजार बसाने के सपने को अब तक पूरा नहीं होने दिया है. स्वरोजगार का सपना धूमिलसुपर बाजार के निर्माण के क्रम पर जिले के युवा व्यवसायियों को दुकान लीज पर आवंटित करने के एवज में लागत का एक हिस्सा वसूला गया था. जिसके बाद सौ से अधिक दुकानदारों ने आशान्वित होकर अपना व्यवसाय शुरू किया था. लेकिन उसके बाद गाहे-बगाहे ग्राहकों के अलावा लोगों की बड़ी तादाद कभी भी इस बाजार का रुख नहीं कर सकी. जिसके कारण बाजार की अस्सी प्रतिशत दुकानें हमेशा ही बंद रहती है एवं उनके मालिक रोजगार के लिये अन्यत्र पलायन करने को विवश हो गये. अब तो डॉक्टर और मेडिकल की दुकान भी खुल चुकी है, ग्राहक सुपर बाजार तक पहुंचने लगे है. लेकिन पर्याप्त व्यवस्था के अभाव में सभी दम तोड़ रहे हैं. जर्जर कांप्लेक्स ही पहचानकभी सुव्यवस्थित ढंग से दुकान बनाकर सजाये गये सुपर बाजार की पहचान अब उसकी जर्जर व खंडहर बन चुकी दुकानों से होने लगी है. कई सालों से बंद दुकानों की छतों को गिरने की आशंका को नहीं नकारा जा सकता है. वहीं पहुंच पथ के टूटने के कारण परिसर में जगह-जगह जल जमाव होने लगा है. बाजार में आने वाले ग्राहकों की सुविधा के लिये बनाये गये स्वीमिंग पूल में पानी की जगह सिर्फ रेत ही रहता है. शाम होते ही पूरा परिसर अंधेरे में डूब जाता है. इसका फायदा असामाजिक तत्व उठाते हैं. फोटो- मार्केट 4- खंडहर में तब्दील हो रहा सुपर बाजारफोटो- मार्केट 5- अतिक्रमण कर लोगों ने किया सुपर बाजार में कब्जा

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