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उत्सव : आदमखोर कहानी व लालच की हुई प्रस्तुति

उत्सव : आदमखोर कहानी व लालच की हुई प्रस्तुति नवोदित नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन दो कहानियों का सफल मंचन सहरसा सदर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा संत लक्ष्मीनाथ गोसाई कला भवन में आयोजित पांच दिवसीय नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन दो कहानियों का सफल मंचन किया गया. शनिवार […]

उत्सव : आदमखोर कहानी व लालच की हुई प्रस्तुति नवोदित नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन दो कहानियों का सफल मंचन सहरसा सदर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा संत लक्ष्मीनाथ गोसाई कला भवन में आयोजित पांच दिवसीय नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन दो कहानियों का सफल मंचन किया गया. शनिवार को मधेपुरा के जनजातीय रंगकर्मियों द्वारा विनोद बेसरा के निर्देशन में आदमखोर कहानी का मंचन किया गया. जनजातीय भाषाई के बावजूद रंग कर्मियों ने अपने भाव-भंगिमा से नाटक की कहानी को इस तरह प्रस्तुत किया कि भाषाई अवरोध के बावजूद दर्शक दीर्घा में बैठे लोग उनकी भाव-भंगिमा से वह जो कहना चाह रहे थे, उसे समझ जाते थे. निर्देशक विनोद बेसरा द्वारा कहानी के इस मंचन में दादा-दादी-नानी द्वारा बचपन में सुनाई किस्सों की याद को ताजा कर दिया. जो आज के बच्चे अपने दादी-नानी से उन कहानियांे को सुनने के बजाय बढ़ते बजारीकरण की चकाचौंध में टीवी सिनेमा, मोबाइल व इंटरनेट पर ही ज्यादा मशगूल रहते हैं. आदमखोर की कहानी उन्हीं दादी-नानी द्वारा सुनाये किस्सों पर आधारित था जिसमंे एक आदमखोर राक्षस हैं जो नित्य आसपास के गांव के लोगों को अपने भोजन का शिकार बनाता था. उस राक्षस के भय से गांव वाले हमेशा वहां परेशान रहा करते थे. गांव वाले को जब यह पता चलता है कि उस राक्षस की जान किसी तोते में बसती है तो लोग उसे मारने की तरकीब सोचते हैं. नाटक के पात्र में सुमन, कमैल, मुन्ना, पवन, पूजा, लक्ष्मी, अमृता, अविनाश सहित अन्य जनजातीय रंगकर्मियों ने मंच पर अपने सशक्त अभिनय के कारण दर्शकों की खूब तालियां बटोरी. लालच ने दर्शकों को बांधा नवोदित नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन दूसरे प्रस्तुति के रूप में बिरसा कला सांस्कृतिक दल जमशेदपुर द्वारा लालच कहानी का मंचन की गयी. गौतम धीवर के लिखित व निर्देशन सह निर्देशक उषा मिश्रा के निर्देशन में प्रस्तुत इस नाटक के जरिये रंग कर्मियों ने मनुष्य या किसी भी प्राणी के अंदर लालच नाम की उस चीज को दिखाने का काम किया. जिसके कारण हर कोई मुसीबत में पड़ जाता है. इस नाटक की कहानी भी किसी गांव पर आधारित है. नाटक में बताया गया कि लालच से इंसान अर्जित धन भी गवां देता है. इस कहानी के जरिये रंगकर्मियों ने ज्ञानपरक प्रस्तुति से दर्शकों को लालच की बला से बचने की प्रेरणा दे जाता है. नाटक के पात्रगत भूमिका में सूरज धीवर, सौरभ वर्मा, सोमू धीवर, श्यामली धीवर, रिंकी धीवर, विष्णु बगाती, कुलदेव महतो, आकाश केवर्ता, लक्की धीवर, डोली धीवर, कोषणा धीवर, संदीप कुमार, रंजीत वर्मा सहित अन्य रंगकर्मियों ने अपनी सशक्त अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा. केंद्र के प्रोग्राम आफिसर डॉ तापस सामंतो राय व वरिष्ठ रंगकर्मी व नाट्य निर्देशक हरिशंकर गुप्ता द्वारा दोनों ही टीमों को मोमेंटों व बुके देकर सम्मानित किया गया. इस मौके पर कार्यक्रम समन्वयक महेन्द्र कुमार, अशोक वैरागी सहित अन्य मौजूद थे. मंच संचालन अभय कुमार मनोज व निरंजन कुमार ने किया. महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को स्थानीय पंचकोसी सांस्कृतिक मंच के रंग कर्मियों द्वारा अमित जयजय के निर्देशन में स्व डॉ मनोरंजन झा की रचना ईंट उगहनी का नाट्य रूपांतर का मंचन किया जायेगा. फोटो-नाटक 21,22,23 व 24- कला भवन में नाटक प्रस्तुत करते कलाकार

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