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नाथो ने रखा था बरतन भी गिरवी

अब सब जानते हैं नाथो के घर का पता कच्चे ईंट के घर में टूटे छप्पर के नीचे था आशियाना //कुमार आशीष// बैजनाथपुर (सहरसा):भूख बनाती है मूल्य, इस पार या उस पार होने को उकसाती है. नियति भूख के पीछे चलती है, ढा देती है मीनार. सभी ईश्वर, देवी-देवता और पेड़ पौधे स्तब्ध रह जाते […]

अब सब जानते हैं नाथो के घर का पता

कच्चे ईंट के घर में टूटे छप्पर के नीचे था आशियाना

//कुमार आशीष//

बैजनाथपुर (सहरसा):भूख बनाती है मूल्य, इस पार या उस पार होने को उकसाती है. नियति भूख के पीछे चलती है, ढा देती है मीनार. सभी ईश्वर, देवी-देवता और पेड़ पौधे स्तब्ध रह जाते हैं. भूख रचती है इतिहास. कवि की यह पंक्तियां और उसकी सार्थकता का पता कुम्हार टोली निवासी नाथो स्वर्णकार के घर से लगभग तीन किलोमीटर दूर ही चल चुका था. टूटी मड़ैया में ही अन्न के बिना जिंदगी का जंग हार गया नाथो का पता अब सब जानते हैं. नाथो के घर चारों तरफ मातमी सन्नाटा पसरा होने का अंदेशा था लेकिन वहां पहुंचते ही ग्रामीणों का जमावड़ा लग गया. सभी बिना देर किये नाथो की जीवन गाथा कहने लगे. जो आजादी के दशकों बाद भी व्यवस्था को तार-तार करने के लिए पर्याप्त है.

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