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मुबंई, दिल्ली व बेंगलुरु की तर्ज पर अब सहरसा में भी सादे लिबास में काम करेंगे आरपीएफ जवान

सहरसा : आरपीएफ महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि सहरसा जंक्शन ईसीआर का रिमूव स्टेशन है. रेलवे इंफ्रक्चर पर सांसद समस्याओं को उठाते रहते हैं. इसी के निरीक्षण में यहां पहुंचे है. देखने में लगता है यहां अभी भी अंग्रेजों का सिस्टम चल रहा है. जबकि, पूरे देश में आरपीएफ का एक ही रूल काम […]

सहरसा : आरपीएफ महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि सहरसा जंक्शन ईसीआर का रिमूव स्टेशन है. रेलवे इंफ्रक्चर पर सांसद समस्याओं को उठाते रहते हैं. इसी के निरीक्षण में यहां पहुंचे है. देखने में लगता है यहां अभी भी अंग्रेजों का सिस्टम चल रहा है. जबकि, पूरे देश में आरपीएफ का एक ही रूल काम करता है. इस प्रथा को जल्द बदलने की जरूरत है. अब दिल्ली, मुबंई व बेंगलुरु स्टेशनों की तर्ज पर सहरसा जंक्शन पर 90 प्रतिशत आरपीएफ सादे लिबास में काम करेंगे. यात्रियों की सुरक्षा व समस्याओं की मॉनीटरिंग पांच मिनट में हो सकेगी.

इसके लिए आरपीएफ को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी. नयी दिल्ली से मुजफ्फरपुर व दरभंगा स्टेशनों के निरीक्षण के बाद बुधवार को सडक मार्ग से आरपीएफ महानिदेशक सहरसा जंक्शन आरपीएफ सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे. सहरसा आगमन पर सर्किट हाउस में पूर्व से तैनात नरकटियागंज आरपीएफ निरीक्षक बीरेंद्र कुमार तिवारी के नेतृत्व में गार्ड आफ ऑनर दिया गया.
इस दौरान आरपीएफ कमांडेट अंशुमान त्रिपाठी, सहायक कमांडेट एके साही, आरपीएफ इंस्पेक्टर सारनाथ, एसआई विजय मिश्रा, एएआआई श्रीनिवास कुमार सहित जिला मुख्यालय डीएसपी गणपति ठाकुर आदि मौजूद थे. इसके बाद महानिदेशक सहरसा जंक्शन पहुंचकर आरपीएफ पोस्ट में सीसीटीवी कैमरा, मालखाना कंप्यूटर कक्ष आदि का निरीक्षण किया. इससे पूर्व प्लेटफार्म पर खचाखच मजदूर यात्रियों के भीड का हाल भी जाना. महानिदेशक ने कहा कि सहरसा जंक्शन पर कई समस्याएं हैं.
यहां विषेष क्राइम नहीं है. बस, सीजन में टिकट दलाल कंप्यूटर हेक कर लेते हैं. आरपीएफ की इस पर विषेश नजर है. 110 स्टेशनों पर रेड किया गया है. इसके बाद महानिदेशक ने फुट ओवरब्रिज के बारे में जानकारी ली. आरपीएफ बैरक में सुरक्षा सम्मेलन से पूर्व पौधरोपण किया गया. इसके बाद आरपीएफ को यात्री सुरक्षा संबंधित गाइडलाइन भी जारी किया गया.
प्रशासनिक व अपराध मैन्युअल होगा जारी: आरपीएफ काम के प्रति संवेदनशील हो और बुनियादी कामो में फर्क लाये. इसके लिए जल्द ही एडमिसट्रेटिव बुक सभी आरपीएफ पोस्ट को भेजा जाएगा.
इसके अलावा अपराध मैन्युअल भी तैयार किया जाएगा. वहीं आरपीएफ को ऑन स्पॉट काम करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग भी दी जाएगी. महानिदेशक ने कहा कि आरपीएफ की ड्यूटी के दौरान स्लीपर कोच में एक बर्थ भी दिया जाता है. जिसकी बुकिंग नहीं होती है. आरपीएफ की जानकारी के लिए इसे बर्थ पर सुनिश्चित किया जाएगा.
ताकि अन्य इस पर नहीं बैठे. महानिदेशक ने कहा कि अर्नगल बातों से आरपीएफ की छवि खराब हो रही है. छोटी सी चीजों से आफरातफरी मच जाती है. अगर कोई दुर्घटना हो जाए, तब क्या होगा. छोटा सिपाही भी यात्री सुरक्षा को लेकर अपना सुझाव शीर्ष तक पहुंचाएं. अगर आरपीएफ एक-दूसरे के बीच ब्रीफ कर अपनी डयूटी निभाएं तो यात्रियों की सुरक्षा मजबूत होगी.

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