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सहरसा में नौ महीने में ही अपराध के 4272 मामले

11 79 गंभीर मामले हैं थाना में दर्ज औसतन 474 आपराधिक मामले प्रत्येक महीने सहरसा : जिले के थानों में अपराध का ग्राफ देख कर ऐसा लगता है जैसे हम किसी और शहर में रह रहे हैं. एक ही शहर के अलग-अलग थानों का रिकॉर्ड बता रहा है कि कहीं-कहीं पुलिस सुस्त है और अपराधी […]

11 79 गंभीर मामले हैं थाना में दर्ज

औसतन 474 आपराधिक मामले प्रत्येक महीने
सहरसा : जिले के थानों में अपराध का ग्राफ देख कर ऐसा लगता है जैसे हम किसी और शहर में रह रहे हैं. एक ही शहर के अलग-अलग थानों का रिकॉर्ड बता रहा है कि कहीं-कहीं पुलिस सुस्त है और अपराधी बेखौफ होकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. पुलिस इन थाना क्षेत्रों में अपराधियों की आपराधिक गतिविधियों पर लगाम नहीं लगा पा रही है. इसका एक कारण या तो पुलिस की लापरवाही भरी कार्यशैली हो सकती है या फिर आपसी मिलीभगत के चलते अपराधियों को खुली छूट दी जा रही है. अगर ये दोनों ही कारण हैं तो जनता का निश्चिंत होकर सोना मुश्किल है. हालांकि इन थानों के रिकॉर्ड को देख कर पुलिस के आला अधिकारी भी नाखुश हैं.
पर केवल नाखुशी जातने से ही काम नहीं चल जाता है. इन थाना क्षेत्रों को सुधारने के लिए पुलिस अधिकारियों को कड़ी मेहनत करनी होगी और अपराधियों पर लगाम लगाकर ही इन थाना क्षेत्रों की सूरत बदली जा सकती है. ज्ञात हो कि जिले में नौ महीने के आंकड़े पर गौर करें तो 42 सौ 72 मामले दर्ज हुए है. जिसमें 11 सौ 79 गंभीर आपराधिक मामले शामिल है. औसतन प्रत्येक महीना लगभग 474 मामले की प्राथमिकी जिले के विभिन्न थाना में हो रही है.
पीड़ित की जासूसी पर पकड़ाते हैं अपराधी: जिले के थाना में प्राथमिकी दर्ज करा देने से ही न्याय मिलने की उम्मीद धूमिल होने लगी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्राथमिकी करने वाले सूचक व उनके परिजनों की सक्रियता से ही अपराधियों पर लगाम लगायी जाती है. इनलोगों के द्वारा किये गये जासूसी व सूचना पर ही आरोपी की गिरफ्तारी होती है. ऐसे बहुत कम मामले है जिसमें पुलिस स्वयं के बनाये नेटवर्क में अपराधी को कैद कर सके. सभी थाना में सुबह से रात तक गस्ती की व्यवस्था है. लेकिन गश्ती का आलम यह है कि देर रात के बाद सड़कों पर खादी वरदी का घोर अभाव दिखता है.
कोई नामचीन अपराधी नहीं है सक्रिय: जिले के लोगों के लिए आतंक बन चुका कुख्यात सोनू सिंह, नवीन यादव, अमित झा मारा जा चुका है. वहीं कुख्यात लीलसागर यादव जेल में बंद है. हालांकि सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के मोहनियां गांव का निवासी अपराधी कौशल यादव फिलवक्त जेल से बाहर है. जबकि दूसरे जिले से पहुंचने वाले अपराधियों की सूची स्थानीय पुलिस को नहीं है. पुलिस क्राइम के तरीके सहित वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिये सक्रिय गिरोह तक पहुंचने की कवायद में लगी हुई है.
क्राइम का ग्राफ एक नजर में
क्राइम-जनवरी-फरवरी-मार्च-अप्रैल-मई-जून-जुलाई-अगस्त-सितंबर : कुल
संज्ञेय- 270- 278- 318- 324- 449- 378- 374- 325- 377 : 3093
हत्या- 001- 001- 006- 003- 007- 007- 002- 001- 006 : 34
डकैती- 001- 000- 000- 001- 001- 000- 001- 001- 000 : 5
लूट – 009- 002- 001- 006- 006- 0012- 008- 003- 003 : 50
सेंघमारी- 010- 010- 016- 012- 011- 014- 012- 03- 03 : 91
चोरी- 041- 027- 014- 030- 038- 033- 035- 029- 020 : 267
दंगा – 045- 051- 059- 056- 083- 057- 065- 062- 053 : 531
अपहरण- 012- 013- 012- 016- 014- 012- 024- 013- 20 : 136
रेप- 002- 001-001- 000- 006- 002- 000- 002- 003 : 17
राहजनी- 000- 000- 000- 001- 001- 000- 001- 001- 000 : 4
रोड डकैती- 007- 001- 001- 005- 006- 012- 006- 003- 003 : 44

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