सहरसा (प्रतिनिधि) : पूर्व मध्य रेलवे अंतर्गत सहरसा-मानसी रेलखंड के फनगो हॉल्ट के निकट गुरुवार शाम रिटायर्ड रेल पुल संख्या 47 पर से एक मोटर साइकिल कोसी नदी में गिर गयी. जिसमें मोटर साइकिल पर सवार दो युवक और एक बच्चा पानी में डूब गये. हालांकि, थोड़ी देर में बच्चा के आमलोगों द्वारा निकाल लिया गया.लेकिन, दोनों युवकों का पता नहीं चल पाया है.
बताया जाता है कि डूबने वाले गुलरिया निवासी मो. इस्लाम उद्दीन का पुत्र तौफीक और दामाद रामपुर गोगरी निवासी शमसाद है. वहीं नदी से मौत को मात देकर निकलने वाला बच्चा मो. इस्लाम का नाती है. जो सिमरी बख्तियारपुर में पढ़ाई करता है. उसी बच्चे को सिमरी बख्तियारपुर ले जाने के दौरान फनगो हॉल्ट के पास यह घटना घट गयी. उधर, घटना के घंटों बाद विलंब से मानसी पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. परंतु रात हो जाने की वजह से शव की तलाश नहीं हो पायी.
कब बनेगा सड़क
साल दर साल गुजरते जा रहे है और हर रोज जान हथेली पर रखकर कोसी इलाके के लोग रेल पटरियों के किनारे और जर्जर पुलों को पार कर आवगमन करने को मजबूर है. वक्त के थपेड़ों में इस इलाके के कई सांसद बदले, लेकिन सलखुआ से खगड़िया को जोड़ने वाली सड़क अधूरी पड़ी है. कई वर्ष पूर्व ही सलखुआ- बदला घाट सड़क की नींव रखी गयी थी जो आज तक पूरी नहीं हो पायी है. हालांकि, उक्त सड़क निर्माण कार्य के समय क्षेत्र वासी के बीच खुशी की लहर दौड़ी थी. परंतु सबकुछ कागजों तक ही सीमित रह गया.
यहां यह बता दे कि बदला-कोपरिया सड़क बनने से सहरसा एवं खगड़िया जिले कि दूरी लगभग 14.15 किलोमीटर कम हो जायेगी और कोपरिया, फनगो, धमारा घाट, बदला घाट, साम्हरखुर्द समेत सहरसा-खगड़िया जिले के दर्जनों पंचायत के 40 से 50 गांव का सीधा संपर्क दोनों जिला समेत राजधानी से जुड़ जायेगा और सड़क व पुल निर्माण कार्य पूर्ण होते ही इन सभी गांव का विकास भी होगा. क्योंकि आजादी के इतने साल बाद भी कोसी दियारा-फरकिया क्षेत्र में सड़क बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मुलभूत सुविधा का घोर अभाव बना है. हर चुनाव के समय नेता अपनी कुर्सी के लिए ग्रामीण फरकिया के भोले-भाले मतदाताओं को लोकलुभावन वायदे कर बोट तो ले लेते हैं. लेकिन, किये वायदे भूल जाते है.
सड़क के अभाव में हुई थी मौत
बदला-कोपरिया वर्षों से सड़क निर्माण की बात होती रही है. लेकिन, सड़क निर्माण संभव नहीं हो सका है. वर्ष 2013 में 19 अगस्त को मां कात्यायनी स्थान पूजा-अर्चना करने जा रहे जिसमें 28 श्रद्धालुओं की मौत सहरसा-पटना राज्यरानी सुपरफास्ट ट्रेन से कट कर हो गयी. घटना के बाद भी नेता व रेल प्रशासन ने सड़क समेत धमारा स्टेशन का विकास की घोषणा की. लेकिन, आज तक न मंदिर तक पक्की सड़क ना ही नये प्लेटफार्म का निर्माण कार्य पूर्ण हो पाया है. जिस वजह से लोग आज भी पटरी के पत्थरों पर गिरते हुए और रेल के रिटायर्ड पुल को जैसे-तैसे पार कर सहरसा और खगड़िया आवागमन करते है.