सहरसा : डीएम बिनोद सिंह गुंजियाल के निर्देश पर आकांक्षा अनाथ आश्रम की ओर जानेवाले सभी रास्तों को पूरी तरह सील कर आवाजाही रोक दी गयी थी. एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी, सदर थानाध्यक्ष भाई भरत, महिला थानाध्यक्ष आरती सिंह सहित पर्याप्त संख्या में पुलिसबलों के सहयोग से अनाथालय को खाली कराया गया. संचालक शिवेंद्र कुमार व […]
सहरसा : डीएम बिनोद सिंह गुंजियाल के निर्देश पर आकांक्षा अनाथ आश्रम की ओर जानेवाले सभी रास्तों को पूरी तरह सील कर आवाजाही रोक दी गयी थी. एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी, सदर थानाध्यक्ष भाई भरत, महिला थानाध्यक्ष आरती सिंह सहित पर्याप्त संख्या में पुलिसबलों के सहयोग से अनाथालय को खाली कराया गया.
संचालक शिवेंद्र कुमार व उसकी पत्नी बबली देवी के विरोध करने पर गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि इस आश्रम से बरामद बच्चों में से लड़कियों को पूर्णिया व लड़कों को सहरसा बाल गृह व दत्तक गृह भेजा गया. वहां मिली तीन अन्य महिलाओं को उत्तर रक्षा गृह पटना भेज दिया गया है.
संचालन में सहयोग करने वालों पर भी होगी कार्रवाई: एसडीएम सौरभ जोरवाल ने बताया कि अवैध रूप से आश्रम चला रहे शिवेंद्र कुमार का दो मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है. उसका कॉल डिटेल खंगाला जा रहा है. इसके आधार पर आश्रम के अवैध संचालन में सहयोग करने वाले लोगों पर भी नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार आकांक्षा अनाथ आश्रम के संचालन व क्रियाकलाप में जिन स्थानीय लोगों की संलिप्तता रही है. उसे भी अनुसंधान में शामिल किया जायेगा.
साथ ही उनके विरुद्ध भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी. इधर बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक भास्कर प्रियदर्शी ने कहा कि बरामद सभी लड़कियों का मेडिकल टेस्ट कराया जा रहा है. बताया कि महिलाओं के साथ मिले बच्चे के पिता, पति के आवासीय पते की भी जानकारी नहीं दी गयी है. लिहाजा बच्चों का डीएनए टेस्ट भी होगा.
पूरी तरह अवैध था अनाथालय
2008 में कुसहा त्रासदी के बाद से शहर में शुरू हुआ यह अनाथालय पूरी तरह अवैध व अनैतिक था. सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत इंद्राक्षी एजुकेशन ट्रस्ट के नाम पर चलाया जा रहा यह अनाथालय शुरू से ही संदेह के घेरे में था. संस्था के आमदनी का कोई जरिया नहीं था. यह पूरी तरह लोगों के दान-अनुदान पर ही निर्भर था. लिहाजा यहां के बच्चों में प्रारंभ से ही पोषक तत्वों का अभाव रहा था. आश्रम के अधिकतर बच्चे कुपोषण के शिकार थे. 12 सितंबर को भी जिस 11 वर्षीय अनाथ मुकेश कुमार की मौत हुई वह भी कुपोषण के कारण ही डायबिटीज एवं टीबी जैसी बीमारी का शिकार हो गया था. तीन दिनों तक सदर अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उसने दम तोड़ दिया था. 2016 में भी आश्रम के एक बच्चे ने खून की कमी होने के कारण दम तोड़ दिया था, जबकि कई अन्य बच्चों की यहां मौत हो चुकी थी.