सहरसा : सरकार के निर्देश पर सदर अस्पताल व पीएचसी में युवा व नि:शक्त क्लिनिक आनन-फानन में शुरू तो कर दी गयी. लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं है. हालात यह है कि दोनों क्लिनिक कागज पर ही युवा व नि:शक्तों का इलाज कर रहे हैं. इसे देखने की फुर्सत ना ही जिला प्रशासन को है और ना ही स्वास्थ विभाग को. इस स्थिति में स्वास्थ को बेहतर बनाने का दावा कहां तक उचित है, कहना बेईमानी होगी. प्रमंडलीय अस्पताल होने के बावजूद इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.
स्थिति इतनी खराब है कि डॉक्टर के बैठने की जगह पर कंप्यूटर ऑपरेटर बैठते हैं और मरीजों की जांच के लिए लगाये गये बेड पर कागज व खाली कार्टून रखा गया है. वहीं मरीजों के बैठने के लिए लगायी गयी कुर्सी क्लिनिक का हाल बता रही है. परदे पर धूल जमी है. उद्घाटन के कुछ दिन बाद ही क्लिनिक के लिए उपलब्ध कमरा, कंप्यूटर ऑपरेटर व अन्य के लिए नाश्ता करने व बैग रखने की जगह बन गया.