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अिधवक्ताओं के सब्र का बांध टूटा

नाकामी. 11 मार्च को हुए बम विस्फोट की गुत्थी सुलझाने में पुलिस रही विफल कोर्ट के सामने हुए विस्फोट का सुराग जानने के लिए हैं बेताब कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं बार काउंसिल के अध्यक्ष 13 साल में सात बार कोर्ट परिसर में हो चुकी हैं बम विस्फोट की घटनाएं घटनाओं का […]

नाकामी. 11 मार्च को हुए बम विस्फोट की गुत्थी सुलझाने में पुलिस रही विफल

कोर्ट के सामने हुए विस्फोट का सुराग जानने के लिए हैं बेताब
कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं बार काउंसिल के अध्यक्ष
13 साल में सात बार कोर्ट परिसर में हो चुकी हैं बम विस्फोट की घटनाएं
घटनाओं का पुलिस अब तक नहीं कर सकी
है उद्भेदन
सासाराम (नगर) : व्यवहार न्यायालय के सामने बुधवार को हुए बम विस्फोट का रहस्य जानने के लिए अधिवक्ता बेताब हैं. चार माह पूर्व 11 मार्च को हुए बम विस्फोट की गुत्थी अभी पुलिस सुलझा भी नहीं पायी थी कि 13 जुलाई को एक और बम विस्फोट से अधिवक्ताओं में पुलिस के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है.
13 साल में सात बार कोर्ट परिसर के ईद-गिर्द बम विस्फोट हो चुके हैं. किसी भी घटना का पुलिस अब तक उद्भेदन नहीं कर सकी है. इस बार की घटना के बाद अधिवक्ताओं के सब्र टूटने लगा है. बार काउंसिल इस बम विस्फोट का रहस्य जानना चाहता है. माननीय उच्च न्यायालय द्वारा कोर्ट परिसर की सुरक्षा के लिए दिये गये निर्देश का पुलिस पालन नहीं कर रही है. ऐसा अधिवक्ता संघ का कहना है.
अगर सुरक्षा व्यवस्था होती तो कोर्ट परिसर के पास इतना बड़ा विस्फोट नहीं होता. व्यवहार न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था से हम संतुष्ट नहीं हैं. न्यायालय के लोग भयभीत हैं. आशंका ऐसी कि मामूली आवाज पर लोग कांप उठते हैं. बुधवार की घटना जेहन में आते ही शरीर में सिहरन हो जा रही है. लंच का समय था हम सभी अधिवक्ता अपने अपने टेबुल पर बैठे आराम कर रहे थे, तभी जोर का धमाका हुआ. लगा किसी ने बम लगा कर कोर्ट परिसर को उड़ा दिया हो, जो जहां था वहीं फ्रिज हो गया. यह क्या मजाक है धमाके होते रहे और पुलिस सुरक्षा व्यवस्था का ढोंग करती रहे. बार काउंसिल इस बम विस्फोट का रहस्य जानना चाहता है.
राममूर्ति सिंह, अध्यक्ष , रोहतास बार काउंसिल
संयोग ही कहा जायेगा कि बुधवार को हुई घटना के वक्त लंच हुआ था. नहीं तो बड़ी हादसा हो सकता था. चार माह के अंतराल पर दो बड़ी घटना से न्यायालय के लोगों में भय व्याप्त है. सासाराम जिला का मुख्यालय है. यहां प्रतिदिन हजारों लोग विभिन्न कामों से आते हैं. खास कर यह प्रशासनिक व न्यायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्र है. इसकी सुरक्षा व्यवव्स्था हर हाल में सुदृढ़ होनी चाहिए. जब खास क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था लुंज-पूंज है तो शहर के अन्य जगहों की सुरक्षा व्यवस्था तो भगवान भरोसे है.
रामाशीष सिंह, पूर्व अध्यक्ष, रोहतास बार काउंसिल
इस घटना को मैं कैसे भूल सकता हूं. मेरी दुकान से चंद कदम दूर जोरदार विस्फोट हुआ. नजर पड़ा तो देखा एक आदमी खून से लथपथ जमीन पर पड़ा है. तब तक पुलिस आयी और उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गयी. बाद में पता चला कि घायल व्यक्ति ही अपनी गाड़ी में विस्फोटक लाया था. मेरी दुकान पर हर तरह के लोग पान खाने के लिए आते हैं. न जाने कौन क्या कुछ कर गुजरे.
परशुराम सिंह, पान दुकानदार
हर मामले में पुलिस को दोष देना ठीक नहीं है. शहर का मुख्य मार्ग है. हर किसी के वाहन की जांच करना संभव नहीं है. यहां सभी आते हैं. चूंकि न्यायालय है शरीफ लोग भी आते हैं. आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी आते हैं. प्रदेश भर में न्यायालय परिसर में घट रही इस तरह की घटनाओं को देखते हुए कोर्ट परिसर की सुरक्षा थोड़ी सख्त होनी चाहिए. यहीं वक्त है सभी शहरवासी धैर्य बना कर रहें और पुलिस को अपना काम करने दें. वक्त लगता है हर रहस्य से पर्दा उठता है. इन दोनों विस्फोटों के रहस्य का पता पुलिस लगाने में सफल होगी
प्रो सुभाष यादव

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