शिवसागर/सासाराम : प्रखंड क्षेत्र के खैराखोंच के ग्रामीणों ने पक्की सड़क व नदी में पुल बनाने की मांग को लेकर गांव में जम कर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों ने सभाध्यक्ष शिवमूरत बिंद के नेतृत्व में डीएम को हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपा. जिसमें कहा कि आजादी के 72 वर्ष बाद भी खैराखोंच गांव मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाया है. आज भी गांव में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. यह गांव चारों ओर से नदी से घिरा हुआ है. गांव की कुल जनसंख्या करीब 35 सौ है, जबकि 12 सौ मतदाता है. एक प्राथमिक विद्यालय और एक आंगनबाड़ी केंद्र है.
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पुल व सड़क बनाने के लिए खैराखोंच के ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, हंगामा
शिवसागर/सासाराम : प्रखंड क्षेत्र के खैराखोंच के ग्रामीणों ने पक्की सड़क व नदी में पुल बनाने की मांग को लेकर गांव में जम कर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों ने सभाध्यक्ष शिवमूरत बिंद के नेतृत्व में डीएम को हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपा. जिसमें कहा कि आजादी के 72 वर्ष बाद भी खैराखोंच गांव मुख्यधारा से […]
गांव में सात निश्चय योजना के तहत न तो नाली गली का निर्माण हुआ है और न ही शौचालय का निर्माण हो पाया है. गांव के मुख्य गली में पक्कीकरण का कार्य हुआ भी है, तो उसमें घोर अनियमितता बरती गयी है. पुल निर्माण व पक्की सड़क के लिए कई बार स्थानीय विधायक, सांसद समेत प्रशासनीक अधिकारियों से गुहार लगायी गयी है. लेकिन, जब चुनाव आता है, तो दिखावा के लिए मापी शुरू कर वोट ले लेते है. बाद में इस गांव की समस्या को नजर अंदाज कर देते हैं.
हर वर्ष छह माह तक मुख्यालय से कट जाते हैं गांव के लोग : ट्रैक्टर को छोड़ दूसरा वाहन तो गर्मी में भी गांव में प्रवेश नहीं कर पाते है. सबसे बड़ी समस्या बरसात में होती है. जब नदी के पानी से यह गांव चारों ओर से घिर जाता है. लोगों को गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. स्कूल व आंगनबाड़ी छह माह तक बंद हो जाते है. प्रसूता महिलाओं को जान जोखिम में डाल ग्रामीण नदी पार कर बाहर ले जाते है. नदी में बाढ़ के कारण खैराखोंच व रेही गांव के करीब पांच सौ एकड़ भूमि में खाद व बीज बह कर बर्बाद हो जाता है.
पुल नहीं होना ही मुख्य कारण
खैराखोंच गांव के लोग वर्षों से विभिन्न समस्याओं से जुझ रहे हैं. पक्की सड़क के कारण गांव अबतक काफी पिछड़ा हुआ है. पुल नही होने से ग्रामीण हर वर्ष करीब आठ माह तक गांव में ही सिमट कर रह जाते है, जिससे बाहरी वातावरण से काफी दूर हो जाते है, ऐसे में यहां के लोगों का मानसिक विकास भी काफी कम हो पाया है. गांव के 95 प्रतिशत लोग आस-पास के गांवों में मजदूरी कर अपना जिविकोपार्जन करते है. इस समस्याओं से उब ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर दस दिनों के भीतर गांव की समस्याओं के समाधान करने की मांग की अन्यथा उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी.
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