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निर्माण के दो वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो सका पोस्टमार्टम हाउस

पुराने पोस्टमार्टम हाउस में दो फुट पानी जमा सासाराम नगर : निर्माण के दो वर्ष बाद भी पोस्टमार्टम हाउस शुरू नहीं हो सका है. सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस का भवन बन कर तैयार है, लेकिन उसमें अब तक न मशीन लगी है और न ही एसी की व्यवस्था हुई है. अभी जो प्रशासनिक स्तर […]

पुराने पोस्टमार्टम हाउस में दो फुट पानी जमा
सासाराम नगर : निर्माण के दो वर्ष बाद भी पोस्टमार्टम हाउस शुरू नहीं हो सका है. सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस का भवन बन कर तैयार है, लेकिन उसमें अब तक न मशीन लगी है और न ही एसी की व्यवस्था हुई है.
अभी जो प्रशासनिक स्तर पर चल रहा है. उसे देख कर नहीं लगता है कि आनेवाले दो-तीन वर्षों में भी शुरू हो सकेगा. तब तक यह भवन देख-रेख के अभाव में जर्जर हो जायेगा. इन दिनों बरसात के मौसम में पोस्टमार्टम करने में बहुत परेशानी हो रही है.
चिकित्सक पोस्टमार्टम करने जाने से कतराते है. मजबूरी में जाना पड़ता है. पुराने पोस्टमार्टम परिसर में दो फुट पानी जमा है. पानी में गंदगी व शव का फेंका हुआ कपड़ा तैरता रहता है. पोस्टमार्टम कराने आये लोगों को काफी परेशानी होती है. जिस शव की पहचान नहीं होती है उसे पोस्टमार्टम के बाद सुरक्षित रखने में बहुत परेशानी होती है. उसे बाहर में या पोस्टमार्टम हाउस में ही रख दिया जाता है. 24 घंटे बाद शव से बदबू आने लगता है. बगल में स्थित सिविल सर्जन कार्यालय में कर्मियों को बैठना मुश्किल हो जाता है.
जनप्रतिनिधि या अधिकारी नहीं करते प्रयास
अगर यहां के सांसद व विधायक व बड़े अधिकारी प्रयास करते तो अब तक पोस्टमार्टम हाउस में मशीन, एसी व पानी की व्यवस्था हो गयी होती. नये भवन में 16 शवों को रखने की व्यवस्था है. मशीनें व एसी लगने पर छह माह तक भी शवें रखी जा सकेंगी. कई बार अस्पताल प्रशासन व जिला प्रशासन को फजिहत झेलनी पड़ी है. पोस्टमार्टम के 72 घंटे बाद पुलिस व प्रशासन शव का दाह-संस्कार कर देता है. जब चौथे दिन मृतक की पहचान हो गयी तब स्थिति बिगड़ जाती है. उस समय अधिकारी नजरे चुराने लगते है.
लावारिस शवों को लेकर परेशानी
पोस्टमार्टम हाउस की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व उप सचिव को कई बार पत्र लिखा गया. लेकिन कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. सासाराम सदर अस्पताल में दुर्घटना के मामले बहुत आते है. इसमें लावारिस शवों की संख्या बहुत होती है. लावारिस शवों को कहां रखा जाये यह बहुत बड़ी समस्या है. मैं इसके लिए लगातार प्रयास कर रहा हूं.
डॉ नवल किशोर प्रसाद सिन्हा, सिविल सर्जन

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