सूरत-ए-हाल . जिले के अधिकतर 102 एंबुलेंस खराब, विभाग है उदासीन
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प्रसूता किराया देकर पहुंच रहीं अस्पताल
सूरत-ए-हाल . जिले के अधिकतर 102 एंबुलेंस खराब, विभाग है उदासीन पिछले कई वर्षों से जिले के तमाम 102 एंबुलेंस आंशिक खराबी की वजह से उपयोगहीन साबित हो रहे हैं. अब गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए किराये के वाहन में अस्पताल आना-जाना हो रहा है, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, वे असंस्थागत […]
पिछले कई वर्षों से जिले के तमाम 102 एंबुलेंस आंशिक खराबी की वजह से उपयोगहीन साबित हो रहे हैं. अब गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए किराये के वाहन में अस्पताल आना-जाना हो रहा है, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, वे असंस्थागत प्रसव के लिए बाध्य हैं.
पूर्णिया : मातृत्व मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से जिले के सभी पीएचसी में सुरक्षित प्रसव के लिए 102 एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करायी गयी. इस एंबुलेंस से गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल व अस्पताल से हायर सेंटर लाने ले जाने की व्यवस्था थी.
यह सेवा कुछ दिनों तक ठीक-ठाक चली. पिछले कई वर्षों से जिले के तमाम 102 एंबुलेंस आंशिक खराबी की वजह से उपयोगहीन साबित हो रहे हैं. अब गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए किराये के वाहन में अस्पताल आना-जाना हो रहा है, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, वे असंस्थागत प्रसव के लिए बाध्य हैं. बताया जाता है कि विभाग के पास इन एंबुलेंस की मरम्मत के लिए कोई फंड नहीं है. एंबुलेंस नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ रही है.
जिले में हैं 15 एंबुलेंस
जिले में सदर अस्पताल सहित कुल 15 एंबुलेंस 102 सेवा के तहत उपलब्ध हैं. इनमे से अधिकांश खराब हैं, जो पीएचसी में पड़े-पड़े सड़ रहे हैं. इन एंबुलेंसों में लगभग आधा दर्जन एंबुलेंस सदर अस्पताल में सड़ रहे हैं. इनकी मरम्मत मामूली खर्च में हो सकती है, लेकिन इन एंबुलेंस को मरम्मत के लिए विभाग के पास फंड का अभाव है. विभाग की मानें, तो सरकार इन खराब एंबुलेंस की मरम्मत का जिम्मा किसी आउटसोर्सिंग एजेंसी को देने की सोच रही है. विभागीय निर्णय के अभाव में करोड़ों के एंबुलेंस लोहे के ढेर में तब्दील हो रहे हैं. इसकी सुधि लेने वाला भी कोई नहीं है.
प्रसूता हो रही हैं परेशान : जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए सरकार ने जिले के तमाम अस्पतालों में 102 एंबुलेंस सेवा शुरू की थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य था संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देते हुए मातृत्व मृत्यु दर को कम करना. 102 एंबुलेंस सेवा के आने के बाद मातृ मृत्यु दर में कमी के साथ-साथ संस्थागत प्रसव भी बढ़ा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से एंबुलेंस खराब रहने के कारण यह सेवा लगभग ठप सी हो गयी. एंबुलेंस की कमी के कारण आम मरीजों की परेशानी काफी हद तक बढ़ गयी है. लोगों को अब प्रसव के लिए अस्पतालों में भाड़े के वाहनों से आना-जाना करना पड़ रहा है.
मरम्मत का कार्य आउट सोर्सिंग एजेंसी को देने पर हो रहा विचार
एंबुलेंस मरम्मत के िलए कोई फंड नहीं
एंबुलेंस मरम्मत के लिए कोई फंड नहीं है. वैसे सरकार 102 एंबुलेंस के रख रखाव का जिम्मा आउटसोर्सिंग एजेंसी को सौंपने पर विचार कर रही है. इसके कारण इन एंबुलेंसों की मरम्मत नहीं हो पा रही है..
डॉ एमएम वसीम, सिविल सर्जन
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