केनगर (पूर्णिया) : सरकारी योजनाएं आम लोगों के हित के लिए बनती हैं, लेकिन कागजी प्रक्रिया में उलझ कर यह लाभुकों के पास पहुंचने से पहले दम तोड़ देती हैं. ऐसा ही एक उदाहरण केनगर प्रखंड के गोआसी पंचायत के वार्ड नंबर 14 महादलित टोला में हुआ, जहां कबीर अंत्येष्टि योजना राशि के अभाव में महादलित परिवार के सदस्य का अंतिम संस्कार करने की बजाय उसे दफन करना पड़ा. इस हक के लिए मृत व्यक्ति की पत्नी रामसुधारी देवी ने पंचायत सचिव से गुहार लगायी, मुखिया के चौखट पर दस्तक दी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. अंतत: विवश होकर उसे पति के शव को दफनाना पड़ा.
मृतक वार्ड नंबर 14 निवासी चंदेश्वरी ऋषि(46) बताया जाता है. परिवार की आर्थिक बदहाली का आलम यह है कि शुक्रवार को चंदेश्वरी ऋषि का श्राद्ध कर्म है, लेकिन पैसे के अभाव में औपचारिकता भी पूरी हो पायेगी या नहीं, इसमें संदेह है.
पैसे के अभाव में नहीं हो सका इलाज
चंदेश्वरी की पत्नी रामसुधारी देवी ने बताया कि कुछ महीने से उसके पति बीमार चल रहे थे, लेकिन रुपये के अभाव में उचित इलाज नहीं हो सका. हालांकि उधार लेकर लाइन बाजार स्थित एक प्राइवेट चिकित्सक के यहां पति का इलाज कराया, लेकिन अंतत: 19 दिसंबर को उनकी मौत हो गयी. इलाज के दौरान सारी जमापूंजी समाप्त हो गयी, इसलिए लाश को जलाने के लिए पैसे भी नहीं बचे थे.
पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई की मांग
रामसुधारी ने बताया कि पति का अंतिम संस्कार कराने के लिए वह कबीर अंत्येष्टी योजना के तहत मिलने वाले तीन हजार अनुदान की रकम मांगने पंचायत सचिव सुनील सिंह से मिली. पर, पंचायत सचिव ने उसे मुखिया के पास ये कह कर भेज दिया कि उक्त योजना की रकम देने की पूरी जिम्मेवारी मुखिया की है.
उसने बताया कि मुखिया से मुलाकात नहीं हो पायी. लाचार होकर महिला ने अपने पारंपरिक रिवाज के विरुद्ध पति के शव को दफन करा दिया. तीन पुत्रों में बड़ा बेचन ऋषि (15) ने पिता को मुखाग्नि दी. खास बात यह है कि अब तक योजना की राशि मृतक के परिजनों को नहीं मिली है. अंतत: रामदुलारी देवी ने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां आवेदन देकर पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है.