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सेहत बिगाड़ सकती हैं ये मिठाइयां
शहर की अधिकांश दुकानों में कृत्रिम व मानक विहीन मिठाई धड़ल्ले से बेची जा रही है. फर्क केवल इतना है कि कहीं अधिक और कहीं कम का कारोबार होता है. शहर के कई नामी-गिरामी दुकानदार भी इस गोरखधंधे में संलिप्त हैं. वहीं संसाधनों के अभाव में खाद्य निरीक्षण विभाग भी पंगु बना हुआ है. पूर्णिया […]
शहर की अधिकांश दुकानों में कृत्रिम व मानक विहीन मिठाई धड़ल्ले से बेची जा रही है. फर्क केवल इतना है कि कहीं अधिक और कहीं कम का कारोबार होता है. शहर के कई नामी-गिरामी दुकानदार भी इस गोरखधंधे में संलिप्त हैं. वहीं संसाधनों के अभाव में खाद्य निरीक्षण विभाग भी पंगु बना हुआ है.
पूर्णिया : शहर से लेकर कसबाई इलाका तक इन दिनों मिलावटी एवं सिंथेटिक मिठाइयों की धूम मची हुइ है. ऐसी मिठाइयों से शहर की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी दुकानें सजी हैं. इतना ही नहीं शहर में कई जगहों पर मिठाई की फैक्टरियां संचालित हो रही हैं, जहां मानकों के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है. ऐसी मिठाइयां सेहत के लिए नुकसान देह ही नहीं, जहर भी मानी जाती हैं.
संसाधनों के अभाव में खाद्य निरीक्षण विभाग पंगु बना हुआ है. ऐसी मिठाइयों के कारोबारी विभाग की इसी कमियों को फायदा बखूबी उठा रहे हैं. ऐसे में यदा कदा जांच के लिए सैंपल लिये भी जाते हैं, तो कोलकाता से जांच रिपोर्ट आते-आते सारी तसवीर ही बदल जाती है. अभी नये वर्ष के आगमन को ले कर इन दुकानों में मानक विहीन व कृत्रिम मिठाइयों का काला कारोबार भी अचानक तेज हो चुका है. वजह साफ है कि नववर्ष के मौके पर लाखों-करोड़ों का कारोबार होगा.
मिलावटी मिठाई खाने से नुकसान
डॉ एनके झा के अनुसार, मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से सबसे ज्यादा नुकसान लीवर को होता है.ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से आंतों में संक्रमण हो जाता है, जिसके कारण आंतों में सूजन आ जाती है और उसमें छेद हो सकता है. मिलावटी व सिंथेटिक मिठाई खाने से पीलिया होने की आशंका ज्यादा रहती है. सिंथेटिक दूध के इस्तेमाल से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. मिलावटी मिठाई के सेवन से फूड प्वाइजनिंग के अलावा उल्टी व दस्त भी हो सकता है. त्योहारों में मिलावटी मिठाई, पनीर व घी खाने से सिर दर्द, पेट दर्द व त्वचा रोग हो सकते हैं. शरीर में सूजन भी हो सकता है.
वॉशिंग फैब्रिक व नकली रिफाइंड आयल का प्रयोग
थोड़े से दूध में पहले काफी मात्रा में लिक्विड वॉशिंग फैब्रिक डाला जाता है. इससे दूध की मात्रा बढ़ती है और उसमें फेन आता है. इसके बाद नकली दूध के कनस्तर में नकली रिफाइंड ऑयल मिलाया जाता है. ये नकली दूध को जरूरी चिकनाहट देने का काम करता है.
इसके बाद लगभग आधे घंटे तक दूध को फेटा जाता है, उसे घोंटा जाता है, ताकि तेल और डिटरजेंट दूध में अच्छी तरह मिल जाएं. इसके बाद उस सिंथेटिक दूध में पानी मिला कर सिंथेटिक दूध तैयार कर लिया जाता है. इसी दूध से मिठाई बना कर बाजार में बेचा जाता है. खाने के बाद भी इन मिठाइयों में नकली व असली का फर्क पता नहीं चल पाता है.
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