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बुनियादी विद्यालय का अस्तित्व खतरे में

पूर्णिया : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों में शुमार बुनियादी विद्यालय प्रमंडल क्षेत्र में ध्वस्त होने के कगार पर हैं. ये विद्यालय बुनियादी शिक्षा से तो दूर हैं ही, हालात यह हो गये हैं कि अब सामान्य शिक्षा की व्यवस्था भी इन विद्यालयों में लागू नहीं हो पा रहा है. अधिकांश विद्यालय शिक्षकों के अभाव […]

पूर्णिया : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों में शुमार बुनियादी विद्यालय प्रमंडल क्षेत्र में ध्वस्त होने के कगार पर हैं. ये विद्यालय बुनियादी शिक्षा से तो दूर हैं ही, हालात यह हो गये हैं कि अब सामान्य शिक्षा की व्यवस्था भी इन विद्यालयों में लागू नहीं हो पा रहा है. अधिकांश विद्यालय शिक्षकों के अभाव से जूझ रहे हैं. वही वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी इन विद्यालयों में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. गौरतलब है कि प्रमंडल क्षेत्र में कुल 22 बुनियादी विद्यालय अवस्थित हैं. जहां महज 88 शिक्षक पदस्थापित हैं.
गांधी जी का था सपना बुनियादी विद्यालय : आजादी से पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सन 1919 में बुनियादी विद्यालय की स्थापना की परिकल्पना की थी. सन 1934 में बुनियादी विद्यालयों का विकास का कार्य आरंभ किया गया. वर्ष 1974 में आजादी के समय बिहार में कुल 519 बुनियादी विद्यालय स्थापित किये गये थे. जिसमें प्रमंडल क्षेत्र में पूर्णिया में 14, कटिहार में 07 तथा अररिया में 01 विद्यालय शामिल है. आजादी के पश्चात करीब चार दशक तक बुनियादी विद्यालयों की स्थिति प्रशंसनीय रही. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण धीरे-धीरे बुनियादी विद्यालयों से बुनियादी सुविधाएं तक गायब होने लगी और स्थिति बद से बदतर होती चली गयी.
प्रमंडल के 22 विद्यालयों में महज 88 शिक्षक : पूर्णिया प्रमंडल में कुल 22 बुनियादी विद्यालय अवस्थित हैं, जहां लगभग 25 से 30 हजार छात्रों की पढ़ाई होती है. वही इन विद्यालयों में पठन-पाठन के लिए महज 88 शिक्षक रह गये हैं. गौरतलब है कि विभागीय स्वीकृति के मुताबिक यहां कुल 242 पद सृजित हैं. वर्ष 1980 के बाद इन स्कूलों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गयी.
जबकि जो शिक्षक पदस्थापित थे, वे धीरे-धीरे सेवानिवृत्त होते चले गये. नतीजा है कि शिक्षकों की संख्या घटतीचली गयी. हालांकि हाल के दिनों में इन विद्यालयों में प्रखंड एवं पंचायत नियोजन इकाई द्वारा पांच-पांच शिक्षकों का नियोजन किया गया है.
लेकिन प्रधानाध्यापक नहीं रहने के कारण सभी विद्यालयों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. साथ ही पदस्थापित शिक्षक सामान्य अध्यापन के लिए तो ठीक हैं, लेकिन बुनियादी विद्यालय के परिकल्पना के हिसाब से वे माकूल नहीं बैठते हैं.
स्वावलंबी बनाना था विद्यालय का मुख्य उद्देश्य : बुनियादी विद्यालयों की स्थापना का मूल उद्देश्य लोगों को स्वावलंबी बनाना था. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के व्यावहारिक, रोजगार परक एवं कार्य कौशल की शिक्षा प्रदान करना था.
इन विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा बच्चों को कार्यानुभव भी बताया जाता था. इसके अलावा खादी कपड़ों के लिए सूत कातने और उन्नत खेती का ज्ञान भी यहां छात्रों को दिया जाता था. प्राप्त ज्ञान के आधार पर छात्र सक्षम होने के उपरांत खुद के लिए रोजगार उत्पन्न कर सकता था. अर्थात यह कि स्वरोजगार को इससे बढ़ावा मिलता था. लेकिन यह सब अब बीते दिनों की बातें हो चली हैं.

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