रक्त का कारोबार. सफेदपोशों का है संरक्षण
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नकेल कसना मुिश्कल
रक्त का कारोबार. सफेदपोशों का है संरक्षण पूर्णिया : अवैध रक्त के धंधे से जुड़े माफियाओं के तार कोसी एवं सीमांचल के सभी जिले में फैले हुए हैं. लाल रक्त का यह काला कारोबार अब व्यक्तिगत नहीं रहा, बल्कि सिंडिकेट के माध्यम से यह धंधा परवान चढ़ रहा है. सिर्फ पूर्णिया में पांच दर्जन से […]
पूर्णिया : अवैध रक्त के धंधे से जुड़े माफियाओं के तार कोसी एवं सीमांचल के सभी जिले में फैले हुए हैं. लाल रक्त का यह काला कारोबार अब व्यक्तिगत नहीं रहा, बल्कि सिंडिकेट के माध्यम से यह धंधा परवान चढ़ रहा है. सिर्फ पूर्णिया में पांच दर्जन से अधिक मानकविहीन पैथोलॉजी और दर्जनों प्रसव घर तथा नर्सिंग होम के माध्यम से रक्त विक्रेताओं का यह कारोबार खूब फल-फूल रहा है. इन रक्त माफियाओं की पैठ इतनी गहरी है कि इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगाना आसान काम नहीं है. लिहाजा यह धंधा बेरोक-टोक जारी है.
बड़ा नेटवर्क कर रहा है काम : स्थानीय रक्त माफियाओं ने पूर्वोत्तर बिहार के सात जिले पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल में अपना पांव जमा लिया है. विभागीय सांठ-गांठ कर जोड़-तोड़ प्रणाली से पैथोलॉजी के धंधे का संचालन किया जा रहा है. जानकार बताते हैं कि पूर्णिया के कई डॉक्टरों का पैथोलॉजी सेंटर आसपास के कई जिले में संचालित हो रहा है. सभी जिले से संग्रहित रक्त की खपत अधिकतर पूर्णिया में होती है.
सुनियोजित तरीके से होता है धंधे का संचालन
जानकार बताते हैं कि लाइन बाजार के कई सफेदपोश इस धंधे में इसलिए दिलचस्पी ले रहे हैं कि कम समय में रक्त बिक्री कर आसानी से लखपति बना जा सकता है. ऐसे माफिया इन जिलों के ग्रामीण इलाके के लड़के को अपने तरीके से धंधे का प्रशिक्षण देकर संबंधित जिले में भेज दिया करते हैं, जो पैथोलॉजिकल जांच के नाम पर ठगी का काम तो बखूबी करते ही हैं ,साथ ही रक्त के काले कारोबार को भी अंजाम देते हैं. जानकार बताते हैं कि लाइन बाजार में 36 के आस पास नर्सिंग होम है.
इन नर्सिंग होम में रोजाना सैंकड़ो यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है. जिसकी आपूर्ति इन्हीं रक्त विक्रेताओं के द्वारा ऊंचे कीमतों पर किया जाता है. लाइन बाजार के आस पास रक्त के धंधेबाज अब अपने अपने घरों में मिनी रक्त अधिकोष बना कर काम कर रहे हैं.जिसकी गुणवत्ता हमेशा सवालों के घेरे में रहती है.
अंकुश लगाना विभाग के लिए आसान नहींस
रक्त के धंधे से जुड़े लोगों की कोई सूची विभाग के पास नहीं है.विभाग यह भी नहीं जानती है कि आखिर भारी संख्या में रक्त की आपूर्ति कहां से हो रही है और कौन कौन लोग इस काले कारोबार को अंजाम दे रहे हैं. जानकारों का मानना है कि इस काले कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए धंधे से जुड़े लोगों की प्रोफाइल बनानी होगी और उसके बाद कार्रवाई करनी होगी.
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